
रतलाम में 12 वीं शताब्दी का शिव साम्राज्य, खजुराहो जैसी बेजाड़ मूर्तियां जीतेंगी दिल
रतलाम में 800 साल पुराना प्राचीन शिव मंदिर जहां दिखी खजुराहो जैसी बेजोड़ शिल्प कलाकृतियां. जानें क्या है हाल और पुरातत्व विभाग को क्यों है इसकी फिक्र.

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team
Published : August 22, 2025 at 8:50 PM IST
|Updated : August 23, 2025 at 7:04 AM IST
रतलाम: मध्य प्रदेश के रतलाम में कई सालों से विभिन्न क्षेत्रों में प्राचीन मंदिर और मूर्तियां मिलने का सिलसिला जारी है. राजपुरा माताजी क्षेत्र में माही नदी के किनारे पुरातत्व विभाग को वर्ष 2021 में एक प्राचीन शिव मंदिर मिला था. साथ ही यहां बड़ी संख्या में अलग-अलग देवी देवताओं की दुर्लभ मूर्तियां और कलाकृतियां भी मिली थीं. इनकी सुरक्षा के लिए पुरातत्व विभाग ने संस्कृति विभाग से अनुमति मांगी थी.
पुरातत्व विभाग को अनुमति का इंतजार
शासकीय लेट लतीफी के चलते 4 साल बीत गया, लेकिन पुरातत्व विभाग को अभी तक मंदिर के संरक्षण की अनुमति नहीं मिल सकी. भारी बारिश और प्रतिकूल मौसम की वजह से यह प्राचीन मंदिर धीरे-धीरे अपना स्वरूप खो रहा है. मंदिर के ऊपरी हिस्से में सिर्फ दो पिलर खड़ा हुआ है. बाकि सभी पिलर गिर चुके हैं. यहां करीब 200 कलाकृतियां और दुर्लभ मूर्तियां मौजूद हैं. जोकि अब लावारिस हालत में बिखरी पड़ी हैं. पुरातत्व विभाग ने करीब 4 साल पहले मंदिर के आसपास खुदाई का कार्य बंद कर दिया था.
बेहतरीन नक्काशी वाली दुर्लभ मूर्तियां
साल 2019-20 में स्थानीय लोगों ने पुरातत्व विभाग को यहां पर प्राचीन मंदिर होने की जानकारी दी थी. जिसमें यह प्राचीन मंदिर के साथ करीब 250 कलाकृतियां मिली थी. इसमें देवी-देवताओं की बेहतरीन नक्काशी वाली कई दुर्लभ मूर्तियां भी शामिल हैं. स्थानीय राजापुरा माताजी मंदिर के पुजारी रविंद्र शर्मा बताते हैं कि "मेरे ही परिवार वालों ने यहां मिट्टी के टीले के नीचे भगवान शिव का मंदिर होने की बात प्रशासन और पुरातत्व विभाग को दी थी."

800 साल पुराना मंदिर, 12 वीं शताब्दी में हुआ था निर्माण
पुजारी रविंद्र शर्मा ने आगे कहा, "पुरातत्व विभाग की सर्वे टीम ने यहां खुदाई शुरू की थी. जिसमें मंदिर के साथ कई मूर्तियां और कलाकृतियों मिली थीं. यह मंदिर 12 वीं शताब्दी में बनाया गया था. इस का निर्माण राजस्थान शैली में हुआ है. सबसे खास बात यह है कि यहां की कलाकृतियां खजुराहो के मंदिर की कलाकृतियों से हूबहू मेल खाती हैं."


खजुराहो की कलाकृति से खाता है मेल
इस मंदिर का सर्वे करने वाले पुरातत्वविद डॉ. डीपी पांडे ने बताया कि " करीब दो वर्षों में मंदिर और मूर्तियां सहित कई कलाकृतियां निकाली गई थीं. इस मंदिर को पुरातत्व विभाग के अधीन लेने के लिए प्रदेश सरकार के संस्कृति मंत्रालय से पत्राचार किया था. जिसका प्रथम नोटिफिकेशन जारी हुआ था. लेकिन अभी फाइनल नोटिफिकेशन जारी होना बाकी है. यह मंदिर मालवा में मिले अन्य परमार कालीन मंदिरों से भिन्न है, वहीं खजुराहो की कलाकृति से मेल खाता है."

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बहरहाल 4 साल पहले पुरातत्व विभाग के सर्वे और खुदाई में यह प्राचीन धरोहर मिल तो गई, लेकिन इसे सहेजने के लिए पुरातत्व विभाग को अभी भी प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग की अनुमति का इंतजार है. इसी बीच प्राचीन धरोहर मिट्टी में मिलती जा रही है.

