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मध्य प्रदेश में जंगल की हुई चोरी! वन मंत्रालय की रिपोर्ट आंखें खोल देगी - MADHYA PRADESH DEFORESTATION

वन मंत्रालय की रिपोर्ट में मध्य प्रदेश पर चौंकाने वाला खुलासा. देश के सारे राज्यों और UT के मुकाबले एमपी में मार्च 2024 तक 5,460 वर्ग किमी क्षेत्र पर अतिक्रमण.

Madhya Pradesh Deforestation
राजगढ़ में विकास कार्यों के नाम पर पेड़ों की बलि (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : April 7, 2025 at 12:58 PM IST

Updated : April 7, 2025 at 4:02 PM IST

5 Min Read

राजगढ़ (अब्दुल वसीम): मध्यप्रदेश में पर्यावरण संरक्षण के दावों के बीच एक रिपोर्ट में ये तथ्य उजागर हुआ है कि राज्य में पेड़ों की संख्या में लगातार कमी आ रही है. वन्य क्षेत्रफल भी लगातार घट रहा है. विकास कार्यों के नाम पर पेड़ों की अंधाधुध कटाई हो रही है. हालांकि दावा किया जाता है कि विकास योजनाओं के नाम पर काटे गए पेड़ों के बदले उतने ही पेड़ लगाए जाएंगे लेकिन ये बातें पूरी तरह से हवाहवाई ही साबित होती हैं.

राजगढ़ जिले में पेड़ भी घटे और वन्य क्षेत्रफल भी

इसी प्रकार राजगढ़ जिले में पेड़-पौधों की संख्या लगातार घट रही है. जिले में वन्य क्षेत्रफल भी घट रहा है. वर्ष 2024 के अंत में जारी की गई भारतीय वन सर्वेक्षण रिपोर्ट (ISFR) में इस बात की पुष्टि होती है कि जिले में वनावरण लगातार कम हो रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक राजगढ़ जिले में 0.43 स्क्वायर किलोमीटर यानि करीब 43 हेक्टेयर वनावरण भूमि कम हुई है. खास बात ये है कि वन्य क्षेत्रफल लगातार घट रहा है, लेकिन कितने पेड़ कब और कहां से काटे गए, वन्य क्षेत्रफल कहां और कैसे कम हुआ? इस बारे में कोई डाटा वन विभाग के पास नहीं है.

राजगढ़ वन मंडलाधिकारी वेणी प्रसाद दोतानिया (ETV BHARAT)

राजगढ़ जिले में डिफोरेस्टेशन जोरों पर

गौरतलब है कि राजगढ़ जिले में विकास कार्यों के नाम पर डिफोरेस्टेशन तेजी से हो रहा है. जिले में डैम, मेडिकल कॉलेज, नवीन अस्पताल बिल्डिंग, पॉलीटेक्निक कॉलेज, रेलवे लाइन और नेशनल हाइवे सहित अन्य विकास कार्यों के कारण लगातार पेड़ों की कटाई हो रही है. राजगढ़ जिले का कुल क्षेत्र 6154 स्क्वायर किलोमीटर है, जिसमे 278 स्क्वायर किलोमीटर का एरिया फॉरेस्ट का है. यदि प्रतिशत निकालें तो ये करीब 4.5 प्रतिशत है. राजगढ़ जिले में वन क्षेत्रफल घटने से पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. इससे वन्य प्राणी और मनुष्य जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

Madhya Pradesh Deforestation
सड़क निर्माण कार्य के कारण भी पेड़ों की कटाई (ETV BHARAT)

विकास कार्यों के कारण पेड़ों की कटाई

दरअसल, वनावरण भूमि वह भूमि होती है, जिसमे हरे-भरे पेड़ लगे होते है, लेकिन जरूरत और शहर के विकास के मुताबिक पेड़ों की कटाई करके उस जगह को समतल कर दिया जाता है. यही सब राजगढ़ में देखने को मिल रहा है. राज्य सरकार ने एक जनवरी 2023 से पेड़ों की कटाई के सरलीकरण के लिए ग्रामसभा के अधिकारों में इज़ाफ़ा किया है. इस कारण वन विभाग के पास भी राजस्व भूमि के अंतर्गत विकास कार्यों के लिए काटे जाने वाले पेड़ों का सही डाटा नहीं है. केवल वर्ष 2022 और 2023 में राजगढ़ वन विभाग द्वारा अवैध रूप से की गई 178 पेड़ों की कटाई के मामले में कुल 11 प्रकरण दर्ज किए गए. इनमें से 7 प्रकरण वर्ष 2022 के हैं, जिसमें 143 वृक्ष प्रभावित हुए. वहीं 4 प्रकरण वर्ष 2023 के हैं, जिनमें 35 वृक्ष प्रभावित हुए.

वन क्षेत्रफल कम होने से प्रतिकूल प्रभाव

इस मामले में राजगढ़ वन मंडलाधिकारी वेणी प्रसाद दोतानिया का कहना है "डीफोरेस्टेशन के दुष्प्रभाव सभी पर पड़ते हैं. बायोडायवर्सिटी लॉस होता है. वनस्पति और वन्य प्राणियों के जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ता और वे विलुप्त होने लगते हैं. वनावरण कम होने से एयर प्यूरिफिकेशन पर प्रभाव पड़ता है. हवा भी शुद्ध नहीं होती. मौसम में परिवर्तन भी देखने को मिलता है. गर्मी में ज्यादा गर्मी और सर्दी में ज्यादा सर्दी पड़ती है. वनावरण घटने के कारण जमीन का वाटर लेवल नीचे चला जाता है."

Madhya Pradesh Deforestation
रेलवे लाइन बनने से पेड़ों की अंधाधुंध कटाई (ETV BHARAT)

राजगढ़ में वन्य क्षेत्रफल कम होने के ये हैं प्रमुख कारण

  • राजगढ़ जिले में वर्ष 2022 में रामगंज मंडी से भोपाल रेल मार्ग का कार्य शुरू हुआ. इसमें कृषकों की भूमि अधिग्रहण की गई है. निजी भूमि पर लगे वृक्षों को भी काटा गया.
  • फॉरेस्ट विभाग राजगढ़ के मुताबिक वर्ष 2022 से ही जिले में सुठालिया वृहद सिंचाई परियोजना का कार्य प्रगति पर है. इसकी सीमा में आने वाले ग्रामीणों की भूमि भी अधिग्रहण की गई है और उनमें लगे वृक्षों को भी काटा गया.
  • वर्ष 2022 में नेशनल हाइवे क्रमांक 752 सी का निर्माण कराया गया. इससे खुजनेर बायपास मार्ग में 570 वृक्षों की कटाई की गई. वर्ष 2023 में नेशनल हाइवे क्रमांक 752 सी जीरापुर से खिलचीपुर मार्ग में 317 वृक्षों की कटाई की गई.

मध्यप्रदेश में लगातार घट रहा वन्य क्षेत्रफल

बता दें कि भारतीय वन सर्वेक्षण रिपोर्ट (ISFR) 2023 में बताया गया है कि मध्य प्रदेश में वन क्षेत्र लगातार घट रहा है. रिपोर्ट के अनुसार "मध्य प्रदेश में सबसे बड़ा वन और वृक्ष क्षेत्र (85,724 वर्ग किलोमीटर) है लेकिन इसमें 612.4 वर्ग किलोमीटर से ज़्यादा की कमी पाई गई है." खास बात ये है कि रिपोर्ट के अनुसार "राष्ट्रीय वन क्षेत्र में 2021 में पिछले आकलन के बाद से 156.4 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है, लेकिन मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में वन्य क्षेत्रफल लगातार घट रहा है." गौरतलब है कि देश का कुल वन और वृक्ष क्षेत्र 8,27,356.9 वर्ग किलोमीटर है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 25.2% है.

राजगढ़ (अब्दुल वसीम): मध्यप्रदेश में पर्यावरण संरक्षण के दावों के बीच एक रिपोर्ट में ये तथ्य उजागर हुआ है कि राज्य में पेड़ों की संख्या में लगातार कमी आ रही है. वन्य क्षेत्रफल भी लगातार घट रहा है. विकास कार्यों के नाम पर पेड़ों की अंधाधुध कटाई हो रही है. हालांकि दावा किया जाता है कि विकास योजनाओं के नाम पर काटे गए पेड़ों के बदले उतने ही पेड़ लगाए जाएंगे लेकिन ये बातें पूरी तरह से हवाहवाई ही साबित होती हैं.

राजगढ़ जिले में पेड़ भी घटे और वन्य क्षेत्रफल भी

इसी प्रकार राजगढ़ जिले में पेड़-पौधों की संख्या लगातार घट रही है. जिले में वन्य क्षेत्रफल भी घट रहा है. वर्ष 2024 के अंत में जारी की गई भारतीय वन सर्वेक्षण रिपोर्ट (ISFR) में इस बात की पुष्टि होती है कि जिले में वनावरण लगातार कम हो रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक राजगढ़ जिले में 0.43 स्क्वायर किलोमीटर यानि करीब 43 हेक्टेयर वनावरण भूमि कम हुई है. खास बात ये है कि वन्य क्षेत्रफल लगातार घट रहा है, लेकिन कितने पेड़ कब और कहां से काटे गए, वन्य क्षेत्रफल कहां और कैसे कम हुआ? इस बारे में कोई डाटा वन विभाग के पास नहीं है.

राजगढ़ वन मंडलाधिकारी वेणी प्रसाद दोतानिया (ETV BHARAT)

राजगढ़ जिले में डिफोरेस्टेशन जोरों पर

गौरतलब है कि राजगढ़ जिले में विकास कार्यों के नाम पर डिफोरेस्टेशन तेजी से हो रहा है. जिले में डैम, मेडिकल कॉलेज, नवीन अस्पताल बिल्डिंग, पॉलीटेक्निक कॉलेज, रेलवे लाइन और नेशनल हाइवे सहित अन्य विकास कार्यों के कारण लगातार पेड़ों की कटाई हो रही है. राजगढ़ जिले का कुल क्षेत्र 6154 स्क्वायर किलोमीटर है, जिसमे 278 स्क्वायर किलोमीटर का एरिया फॉरेस्ट का है. यदि प्रतिशत निकालें तो ये करीब 4.5 प्रतिशत है. राजगढ़ जिले में वन क्षेत्रफल घटने से पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. इससे वन्य प्राणी और मनुष्य जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

Madhya Pradesh Deforestation
सड़क निर्माण कार्य के कारण भी पेड़ों की कटाई (ETV BHARAT)

विकास कार्यों के कारण पेड़ों की कटाई

दरअसल, वनावरण भूमि वह भूमि होती है, जिसमे हरे-भरे पेड़ लगे होते है, लेकिन जरूरत और शहर के विकास के मुताबिक पेड़ों की कटाई करके उस जगह को समतल कर दिया जाता है. यही सब राजगढ़ में देखने को मिल रहा है. राज्य सरकार ने एक जनवरी 2023 से पेड़ों की कटाई के सरलीकरण के लिए ग्रामसभा के अधिकारों में इज़ाफ़ा किया है. इस कारण वन विभाग के पास भी राजस्व भूमि के अंतर्गत विकास कार्यों के लिए काटे जाने वाले पेड़ों का सही डाटा नहीं है. केवल वर्ष 2022 और 2023 में राजगढ़ वन विभाग द्वारा अवैध रूप से की गई 178 पेड़ों की कटाई के मामले में कुल 11 प्रकरण दर्ज किए गए. इनमें से 7 प्रकरण वर्ष 2022 के हैं, जिसमें 143 वृक्ष प्रभावित हुए. वहीं 4 प्रकरण वर्ष 2023 के हैं, जिनमें 35 वृक्ष प्रभावित हुए.

वन क्षेत्रफल कम होने से प्रतिकूल प्रभाव

इस मामले में राजगढ़ वन मंडलाधिकारी वेणी प्रसाद दोतानिया का कहना है "डीफोरेस्टेशन के दुष्प्रभाव सभी पर पड़ते हैं. बायोडायवर्सिटी लॉस होता है. वनस्पति और वन्य प्राणियों के जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ता और वे विलुप्त होने लगते हैं. वनावरण कम होने से एयर प्यूरिफिकेशन पर प्रभाव पड़ता है. हवा भी शुद्ध नहीं होती. मौसम में परिवर्तन भी देखने को मिलता है. गर्मी में ज्यादा गर्मी और सर्दी में ज्यादा सर्दी पड़ती है. वनावरण घटने के कारण जमीन का वाटर लेवल नीचे चला जाता है."

Madhya Pradesh Deforestation
रेलवे लाइन बनने से पेड़ों की अंधाधुंध कटाई (ETV BHARAT)

राजगढ़ में वन्य क्षेत्रफल कम होने के ये हैं प्रमुख कारण

  • राजगढ़ जिले में वर्ष 2022 में रामगंज मंडी से भोपाल रेल मार्ग का कार्य शुरू हुआ. इसमें कृषकों की भूमि अधिग्रहण की गई है. निजी भूमि पर लगे वृक्षों को भी काटा गया.
  • फॉरेस्ट विभाग राजगढ़ के मुताबिक वर्ष 2022 से ही जिले में सुठालिया वृहद सिंचाई परियोजना का कार्य प्रगति पर है. इसकी सीमा में आने वाले ग्रामीणों की भूमि भी अधिग्रहण की गई है और उनमें लगे वृक्षों को भी काटा गया.
  • वर्ष 2022 में नेशनल हाइवे क्रमांक 752 सी का निर्माण कराया गया. इससे खुजनेर बायपास मार्ग में 570 वृक्षों की कटाई की गई. वर्ष 2023 में नेशनल हाइवे क्रमांक 752 सी जीरापुर से खिलचीपुर मार्ग में 317 वृक्षों की कटाई की गई.

मध्यप्रदेश में लगातार घट रहा वन्य क्षेत्रफल

बता दें कि भारतीय वन सर्वेक्षण रिपोर्ट (ISFR) 2023 में बताया गया है कि मध्य प्रदेश में वन क्षेत्र लगातार घट रहा है. रिपोर्ट के अनुसार "मध्य प्रदेश में सबसे बड़ा वन और वृक्ष क्षेत्र (85,724 वर्ग किलोमीटर) है लेकिन इसमें 612.4 वर्ग किलोमीटर से ज़्यादा की कमी पाई गई है." खास बात ये है कि रिपोर्ट के अनुसार "राष्ट्रीय वन क्षेत्र में 2021 में पिछले आकलन के बाद से 156.4 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है, लेकिन मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में वन्य क्षेत्रफल लगातार घट रहा है." गौरतलब है कि देश का कुल वन और वृक्ष क्षेत्र 8,27,356.9 वर्ग किलोमीटर है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 25.2% है.

Last Updated : April 7, 2025 at 4:02 PM IST
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