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एक क्लिक पर मिलेगा अपराधियों का रिकॉर्ड, पुलिस की मददगार बनी राजकॉप ऑफिशियल ऐप - Rajasthan Police

Rajcop app for criminals Record : राजकॉप ऑफिशियल ऐप से अपरधियों की पहचान और उसका पूरा रिकॉर्ड निकालने में पुलिस को मदद मिल रही है. नावां में भी पुलिस अधिकारी व सिपाही ऐप को काम में ले रहे हैं.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 18, 2024, 7:14 AM IST

नावां पुलिस थाना
नावां पुलिस थाना (ETV Bharat)

कुचामनसिटी : अपराधियों की धर पकड़ और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए राजस्थान पुलिस ने भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया है. राजकॉप ऑफिशियल ऐप में फोटो मैचिंग ऐप्लिकेशन से अब किसी भी व्यक्ति की फोटो अपलोड करते ही राज्यभर के उससे मिलते-जुलते व्यक्ति का नाम-पता व संपूर्ण ब्यौरा और आपराधिक कुंडली खुल जाएगी. यदि वह कहीं वांटेड है तो भी पता लग सकेगा. इस ऐप को नावां पुलिस भी काम में ले रही है.

डीडवाना कुचामन जिले के नावां थाना क्षेत्र में भी अधिकारियों से लेकर सिपाहियों के मोबाइल में यह ऐप्लिकेशन सुविधा शुरू की गई है. यह ऐप्लिकेशन सिर्फ पुलिस के लिए ही है. इससे अब दिन या रात्रिगश्त के दौरान कोई संदिग्ध व्यक्ति मिलता है तो उसकी फोटो खींचकर एप्लिकेशन पर डालकर पता लगाया जा सकेगा कि उसका आपराधिक रिकॉर्ड है या वांटेड है. : जोगेन्द्र सिंह, थाना प्रभारी, नावां

शव की पहचान में भी मददगारः कोई भी अपराधी, लापता व्यक्ति या किसी मृतक की मौके पर पहचान का पता लगाने के उद्देश्य से राजकॉप ऑफिशियल ऐप और सीसीटीएनएस (अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम) में फोटो मैचिंग मॉड्यूल ऐप्लिकेशन विकसित की गई है. इसमें आपराधिक गतिविधि से जुड़े किसी भी व्यक्ति की फोटो अपलोड करते ही पहचान हो जाएगी. इसके लिए फोटो मैचिंग मॉड्यूल को सीसीटीएनएस के आपराधिक रिकॉर्ड मॉड्यूल से इंटीग्रेट किया गया. यदि किसी व्यक्ति का आपराधिक रिकॉर्ड है तो उसका न सिर्फ आपराधिक रिकॉर्ड बल्कि व्यक्तिगत जानकारी पुलिसकर्मी को तुरंत ही उपलब्ध हो जाएगी.

इसे भी पढे़ं. साइबर अपराध रोकने के लिए पुलिस तैयार करेगी 'साइबर सिटीजन', डिजिटल लाइजनिंग ग्रुप बनाकर पॉजिटिव ट्रेंड चलाने का भी सुझाव

एआई आधारित यह तकनीक : यह एप्लिकेशन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित तकनीक वाली है. इसके विश्लेषण के लिए एनालिटिक्स डैशबोर्ड पर फोटो मैचिंग डैशबोर्ड तैयार किया गया है. इसका एक्सेस आइपीएस-आरपीएस अधिकारियों के साथ ही थाना स्तर पर दिया गया है. डैशबोर्ड से किस पुलिस अधिकारी व जवान ने कितनी बार फोटो मैचिंग तकनीक उपयोग में ली है, वह भी पता लगाया जा सकेगा.

जांच अधिकारी गिरफ्तार व्यक्ति का अपने मोबाइल से फोटो खींचकर संपूर्ण जानकारी सीसीटीएनएस के मार्फत अपलोड कर रहे हैं. इसी से फोटो मैचिंग ऐप्लिकेशन में फोटो अपलोड करते ही आपराधिक रिकॉर्ड मिल जाता है. कहीं गश्त के दौरान कोई संदिग्ध व्यक्ति मिलता है तो उसका फोटो डालकर एक क्लिक करते ही उसका संपूर्ण रेकॉर्ड आ जाएगा. इससे अपराधियों की पहचान करने में भी आसानी होगी. : जोगेन्द्र राठौड़, थानाधिकारी, नावां

कुचामनसिटी : अपराधियों की धर पकड़ और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए राजस्थान पुलिस ने भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया है. राजकॉप ऑफिशियल ऐप में फोटो मैचिंग ऐप्लिकेशन से अब किसी भी व्यक्ति की फोटो अपलोड करते ही राज्यभर के उससे मिलते-जुलते व्यक्ति का नाम-पता व संपूर्ण ब्यौरा और आपराधिक कुंडली खुल जाएगी. यदि वह कहीं वांटेड है तो भी पता लग सकेगा. इस ऐप को नावां पुलिस भी काम में ले रही है.

डीडवाना कुचामन जिले के नावां थाना क्षेत्र में भी अधिकारियों से लेकर सिपाहियों के मोबाइल में यह ऐप्लिकेशन सुविधा शुरू की गई है. यह ऐप्लिकेशन सिर्फ पुलिस के लिए ही है. इससे अब दिन या रात्रिगश्त के दौरान कोई संदिग्ध व्यक्ति मिलता है तो उसकी फोटो खींचकर एप्लिकेशन पर डालकर पता लगाया जा सकेगा कि उसका आपराधिक रिकॉर्ड है या वांटेड है. : जोगेन्द्र सिंह, थाना प्रभारी, नावां

शव की पहचान में भी मददगारः कोई भी अपराधी, लापता व्यक्ति या किसी मृतक की मौके पर पहचान का पता लगाने के उद्देश्य से राजकॉप ऑफिशियल ऐप और सीसीटीएनएस (अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम) में फोटो मैचिंग मॉड्यूल ऐप्लिकेशन विकसित की गई है. इसमें आपराधिक गतिविधि से जुड़े किसी भी व्यक्ति की फोटो अपलोड करते ही पहचान हो जाएगी. इसके लिए फोटो मैचिंग मॉड्यूल को सीसीटीएनएस के आपराधिक रिकॉर्ड मॉड्यूल से इंटीग्रेट किया गया. यदि किसी व्यक्ति का आपराधिक रिकॉर्ड है तो उसका न सिर्फ आपराधिक रिकॉर्ड बल्कि व्यक्तिगत जानकारी पुलिसकर्मी को तुरंत ही उपलब्ध हो जाएगी.

इसे भी पढे़ं. साइबर अपराध रोकने के लिए पुलिस तैयार करेगी 'साइबर सिटीजन', डिजिटल लाइजनिंग ग्रुप बनाकर पॉजिटिव ट्रेंड चलाने का भी सुझाव

एआई आधारित यह तकनीक : यह एप्लिकेशन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित तकनीक वाली है. इसके विश्लेषण के लिए एनालिटिक्स डैशबोर्ड पर फोटो मैचिंग डैशबोर्ड तैयार किया गया है. इसका एक्सेस आइपीएस-आरपीएस अधिकारियों के साथ ही थाना स्तर पर दिया गया है. डैशबोर्ड से किस पुलिस अधिकारी व जवान ने कितनी बार फोटो मैचिंग तकनीक उपयोग में ली है, वह भी पता लगाया जा सकेगा.

जांच अधिकारी गिरफ्तार व्यक्ति का अपने मोबाइल से फोटो खींचकर संपूर्ण जानकारी सीसीटीएनएस के मार्फत अपलोड कर रहे हैं. इसी से फोटो मैचिंग ऐप्लिकेशन में फोटो अपलोड करते ही आपराधिक रिकॉर्ड मिल जाता है. कहीं गश्त के दौरान कोई संदिग्ध व्यक्ति मिलता है तो उसका फोटो डालकर एक क्लिक करते ही उसका संपूर्ण रेकॉर्ड आ जाएगा. इससे अपराधियों की पहचान करने में भी आसानी होगी. : जोगेन्द्र राठौड़, थानाधिकारी, नावां

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