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हाईकोर्ट ने हीट वेव को लेकर लिया प्रसंज्ञान, कहा- प्रदेशवासियों के साथ नहीं किया जा सकता पशुवत व्यवहार - SUO MOTO ON HEAT WAVE

हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, भारतीय मौसम विभाग, भारतीय आपदा प्रबंधन और राज्य के सीएस, एसीएस गृह सहित अन्य से जवाब मांगा है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : April 17, 2025 at 8:31 PM IST

3 Min Read

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में हीट वेव व जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय, भारतीय मौसम विभाग, भारतीय आपदा प्रबंधन और राज्य के सीएस, एसीएस गृह व एसीएस वित्त सहित अन्य से जवाब देने के लिए कहा है. अदालत ने सीएस को निर्देश दिए हैं कि वे हीट एक्शन प्लान व स्वास्थ्य प्रणालियों की तैयारी को मजबूत करने के लिए बनाई गई विभिन्न योजनाओं की प्रभावी क्रियान्विति के लिए सभी विभागों को साथ लेकर एक समन्वय समिति बनाए. जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश मामले में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए दिए.

अदालत ने कहा कि समान मामले में गत वर्ष मई माह में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया गया और सरकार को निर्देश जारी किए, लेकिन करीब 10 माह बीतने के बाद भी राज्य सरकार की ओर से कोई एक्शन प्लान नहीं बनाया गया. यहां तक कि सड़कों पर पानी की छिड़काव करने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की गई और ना ही सड़कों पर छाया स्थल विकसित किए गए. इसके अलावा लू से बचाव के लिए ओआरएस पैकेट, आम का पन्ना आदि का वितरण भी नहीं किया गया. सरकार की ओर से अभी तक हीट एक्शन प्लान तक नहीं बनाया गया. अदालत ने कहा कि प्रदेशवासियों के साथ पशुवत व्यवहार नहीं किया जा सकता और अदालत आंख बंद कर नहीं रह सकती है.

पढ़ें : राजस्थान हाईकोर्ट ने राजीव गांधी विदेश शिक्षा छात्रवृति योजना का संपूर्ण ब्यौरा पेश करने के दिए आदेश - RAJASTHAN HIGH COURT

अदालत ने कहा कि राजस्थान का तापमान दिन-प्रतिदिन गर्म होता जा रहा है. आगामी ग्रीष्म काल जन स्वास्थ्य, लू और हीट स्ट्रोक के मामले एक बड़ी चुनौती है. ऐसे में राज्य सरकार को हीट वेव और हीट स्ट्रोक से मुक्त रखने के लिए सभी स्तरों पर उचित कदम उठाए जाने की जरूरत है. अदालत ने केन्द्र सरकार के एएसजी आरडी रस्तोगी, राज्य के एएजी और अन्य वकीलों को कहा है कि वे इस मामले में अदालत को सहयोग करें.

अदालत ने केंद्र व राज्य सरकार से कहा है कि क्यों ना राज्य के प्रत्येक जिले में रोड के दोनों ओर वृक्षारोपण तथा जनहित में हरित सार्वजनिक स्थान बनाए जाएं. वहीं, क्यों ना हीट एवं कोल्ड वेव से होने वाली मौतों की रोकथाम विधेयक, 2015 को अधिनियम के रूप में क्रियान्वित करने व उसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए. अदालत ने यह भी पूछा है कि क्यों ना हीट वेव के कारण जान गंवाने वालों के आश्रितों को उचित मुआवजा राशि का भुगतान किया जाए. अदालत ने केंद्र व राज्य सरकार सहित सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि वे आगामी सुनवाई 24 अप्रैल को अंतरिम निर्देशों की पालना के लिए उठाए कदमों की रिपोर्ट अदालत में पेश करें.

अदालत ने पूर्व में दिए गए निर्देशों को दोहराते हुए कहा कि हीट वेव रोगियों के उपचार के लिए सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर सभी संभव सुविधाएं प्रदान की जाए. वहीं, खुले में काम करने वाले सभी श्रमिकों के लिए परामर्श जारी करें, ताकि उन्हें अत्यधिक गर्मी के दौरान दोपहर 12 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच आराम करने की अनुमति दी जा सके.

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में हीट वेव व जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय, भारतीय मौसम विभाग, भारतीय आपदा प्रबंधन और राज्य के सीएस, एसीएस गृह व एसीएस वित्त सहित अन्य से जवाब देने के लिए कहा है. अदालत ने सीएस को निर्देश दिए हैं कि वे हीट एक्शन प्लान व स्वास्थ्य प्रणालियों की तैयारी को मजबूत करने के लिए बनाई गई विभिन्न योजनाओं की प्रभावी क्रियान्विति के लिए सभी विभागों को साथ लेकर एक समन्वय समिति बनाए. जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश मामले में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए दिए.

अदालत ने कहा कि समान मामले में गत वर्ष मई माह में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया गया और सरकार को निर्देश जारी किए, लेकिन करीब 10 माह बीतने के बाद भी राज्य सरकार की ओर से कोई एक्शन प्लान नहीं बनाया गया. यहां तक कि सड़कों पर पानी की छिड़काव करने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की गई और ना ही सड़कों पर छाया स्थल विकसित किए गए. इसके अलावा लू से बचाव के लिए ओआरएस पैकेट, आम का पन्ना आदि का वितरण भी नहीं किया गया. सरकार की ओर से अभी तक हीट एक्शन प्लान तक नहीं बनाया गया. अदालत ने कहा कि प्रदेशवासियों के साथ पशुवत व्यवहार नहीं किया जा सकता और अदालत आंख बंद कर नहीं रह सकती है.

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अदालत ने कहा कि राजस्थान का तापमान दिन-प्रतिदिन गर्म होता जा रहा है. आगामी ग्रीष्म काल जन स्वास्थ्य, लू और हीट स्ट्रोक के मामले एक बड़ी चुनौती है. ऐसे में राज्य सरकार को हीट वेव और हीट स्ट्रोक से मुक्त रखने के लिए सभी स्तरों पर उचित कदम उठाए जाने की जरूरत है. अदालत ने केन्द्र सरकार के एएसजी आरडी रस्तोगी, राज्य के एएजी और अन्य वकीलों को कहा है कि वे इस मामले में अदालत को सहयोग करें.

अदालत ने केंद्र व राज्य सरकार से कहा है कि क्यों ना राज्य के प्रत्येक जिले में रोड के दोनों ओर वृक्षारोपण तथा जनहित में हरित सार्वजनिक स्थान बनाए जाएं. वहीं, क्यों ना हीट एवं कोल्ड वेव से होने वाली मौतों की रोकथाम विधेयक, 2015 को अधिनियम के रूप में क्रियान्वित करने व उसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए. अदालत ने यह भी पूछा है कि क्यों ना हीट वेव के कारण जान गंवाने वालों के आश्रितों को उचित मुआवजा राशि का भुगतान किया जाए. अदालत ने केंद्र व राज्य सरकार सहित सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि वे आगामी सुनवाई 24 अप्रैल को अंतरिम निर्देशों की पालना के लिए उठाए कदमों की रिपोर्ट अदालत में पेश करें.

अदालत ने पूर्व में दिए गए निर्देशों को दोहराते हुए कहा कि हीट वेव रोगियों के उपचार के लिए सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर सभी संभव सुविधाएं प्रदान की जाए. वहीं, खुले में काम करने वाले सभी श्रमिकों के लिए परामर्श जारी करें, ताकि उन्हें अत्यधिक गर्मी के दौरान दोपहर 12 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच आराम करने की अनुमति दी जा सके.

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