जोधपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने एक बार फिर से आसाराम को उपचार के लिए अंतरिम राहत देते हुए अंतरिम जमानत को 1 जुलाई 2025 तक बढ़ा दिया है. जस्टिस दिनेश मेहता व जस्टिस विनीत कुमार माथुर की डबल बेंच में आसाराम की ओर से अंतरिम जमानत को आगे बढ़ाने के लिए आवेदन पेश किया गया था.
आसाराम की ओर से अधिवक्ता निशांत बोडा व यशपाल सिंह राजपुरोहित ने पैरवी करते हुए आसाराम के उपचार के लिए अंतरिम जमानत बढ़ाने की वकालात की. उन्होने कहा कि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने 7 जनवरी 2025 को 31 मार्च तक अंतरिम जमानत दी थी. अंतरिम जमानत की अवधि पूरी होने के बाद आसाराम की ओर से सेंट्रल जेल में सरेंडर कर दिया गया. इसके साथ ही गुजरात हाईकोर्ट ने आसाराम की अवस्था एवं उपचार को देखते हुए तीन माह के लिए अंतरिम जमानत को आगे बढ़ा दिया.
वहीं, आसाराम के अंतरिम जमानत आवेदन का विरोध करते हुए पीड़िता के अधिवक्ता पीसी सोलंकी ने एक आवेदन पेश करते हुए बताया कि आसाराम की ओर से शर्तों का उल्लघंन किया गया है, जिस पर आसाराम के अधिवक्ता बोडा ने काउंटर पेश करते हुए कहा कि अंतरिम जमानत अवधि में आसाराम की ओर से कहीं पर भी सत्संग नहीं किया गया. सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक चौधरी ने हलफनामा पेश करते हुए बताया कि आसाराम के साथ जो कांस्टेबल थे, उनके बयान में भी सत्संग की बात नहीं आई हैत. केवल आसाराम कुछ लोगों से मिला था, ऐसे तथ्य जरूर हैं, लेकिन सत्संग जैसी बात नहीं है.
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इस पर हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अंतरिम जमानत को बढ़ाने के आवेदन को स्वीकार करते हुए आसाराम को राहत दी है. हाईकोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के आदेश एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखते हुए एक बार फिर से आसाराम को राहत देते हुए 1 जुलाई तक अंतरिम जमानत को आगे बढ़ा दिया है. हालांकि, हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि उपचार के लिए राहत दी जा रही है. ऐसे में उपचार को प्राथमिकता दी जाए.
हाईकोर्ट ने कहा कि 7 जनवरी 2025 को जो शर्तें सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई हैं, उन शर्तों की पालना की जानी चाहिए. इसके साथ सजा के खिलाफ पेश अपील को लेकर भी आसाराम के अधिवक्ता बोडा ने एक आवेदन पेश करते हुए जल्द सुनवाई मुकर्रर करवाने एवं बहस करने की इच्छा जताई है. ऐसे में उम्मीद है कि आसाराम की ओर से पेश अपील पर जल्द सुनवाई हो सकेगी.