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हाईकोर्ट के दो बड़े फैसले : दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी और कनिष्ठ अनुदेशक को दी राहत, जानिए पूरा मामला - RAJASTHAN HIGH COURT ORDER

हाईकोर्ट ने दैनिक वेतन भोगी को कटआफ डेट से पेंशन देने के निर्देश दिए. कनिष्ठ अनुदेशक की बोनस की याचिका पर सरकार से जवाब मांगा.

Rajasthan High Court Order
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : April 10, 2025 at 8:59 PM IST

3 Min Read

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने करीब 35 साल की सेवा में बाद दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के तौर पर पांच साल पहले रिटायर हुए कर्मचारी को 10 अप्रैल, 2006 की कट ऑफ डेट से नियमित मानते हुए उसे समस्त पेंशन परिलाभ देने के आदेश दिए हैं. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश डीके शर्मा की ओर से 20 साल पहले दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि अन्य कर्मचारियों की तरह याचिकाकर्ता को साल 2006 में ही नियमित कर दिया जाना चाहिए था.

याचिका में अधिवक्ता हितेश बागड़ी ने बताया कि याचिकाकर्ता चिकित्सा विभाग, कोटा में साल 1985 में एलडीसी पद पर दैनिक वेतनभोगी के तौर पर लगा था. तय प्रोजेक्ट पूरा होने पर उसे उसी साल हटा दिया गया. वहीं बाद में लेबर कोर्ट के आदेश पर उसे पुन: सेवा में लिया गया.

पढ़ें: राजस्थान हाईकोर्ट ने बाल आयोग अध्यक्ष पद के कार्यभार को लेकर सरकार से मांगा जवाब

याचिकाकर्ता ने विभाग में प्रार्थना पत्र पेश कर उसे नियमित करने की गुहार की, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया. याचिका के लंबित रहने के दौरान राज्य सरकार ने 27 फरवरी, 2009 को अधिसूचना जारी कर प्रावधान किया कि 10 अप्रैल, 2006 तक दस साल की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारियों नियमित किया जाएगा. इसके बावजूद भी उसे नियमित नहीं किया गया. जबकि वह सीएमएचओ की ओर से जारी सूची में भी शामिल था. वहीं साल 2020 में वह दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के तौर पर ही रिटायर हो गया. जिसका विरोध करते हुए विभाग के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता को प्रोजेक्ट विशेष के लिए लिया गया था और प्रोजेक्ट पूरा होने पर उसे हटाया गया. वहीं उसे कोर्ट की दखल के बाद वापस सेवा में लिया गया. सीएमएचओ ने भी गलत व्याख्या कर उसे सूची में शामिल किया था. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को कट ऑफ डेट से नियमित मानते हुए पेंशन परिलाभ देने को कहा है.

यह भी पढ़ें: अतिक्रमियों को हाईकोर्ट से राहत नहीं, हाईकोर्ट ने तथ्य छिपाने पर जताई नाराजगी

बोनस अंक का लाभ नहीं देने पर जवाब तलब: इसी प्रकार एक अन्य फैसले में राजस्थान हाईकोर्ट ने तकनीकी शिक्षा विभाग में कनिष्ठ अनुदेशक भर्ती-2024 में अनुभव के आधार पर बोनस अंक का लाभ नहीं देने पर राज्य सरकार, तकनीकी शिक्षा विभाग और कर्मचारी चयन बोर्ड से जवाब तलब किया है. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश किशोर कुमावत व अन्य की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता रघुनंदन शर्मा ने बताया कि कर्मचारी चयन बोर्ड ने 11 मार्च, 2024 को तकनीकी शिक्षा के 13 ट्रेड के लिए 1821 पदों पर भर्ती निकाली. भर्ती में अनुभव के आधार पर बोनस अंक देने का प्रावधान ही नहीं रखा गया है, जबकि याचिकाकर्ता लंबे समय से तकनीकी शिक्षा विभाग में गेस्ट फैकल्टी और संविदा पर काम कर रहे हैं. याचिका में कहा गया कि चिकित्सा और शिक्षा सहित अन्य विभागों की भर्तियों में अनुभव के आधार पर बोनस अंक देने का प्रावधान है. इसके बावजूद इस भर्ती में याचिकाकर्ताओं को बोनस का लाभ नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में याचिकाकर्ताओं को बोनस अंकों का लाभ दिया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने करीब 35 साल की सेवा में बाद दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के तौर पर पांच साल पहले रिटायर हुए कर्मचारी को 10 अप्रैल, 2006 की कट ऑफ डेट से नियमित मानते हुए उसे समस्त पेंशन परिलाभ देने के आदेश दिए हैं. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश डीके शर्मा की ओर से 20 साल पहले दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि अन्य कर्मचारियों की तरह याचिकाकर्ता को साल 2006 में ही नियमित कर दिया जाना चाहिए था.

याचिका में अधिवक्ता हितेश बागड़ी ने बताया कि याचिकाकर्ता चिकित्सा विभाग, कोटा में साल 1985 में एलडीसी पद पर दैनिक वेतनभोगी के तौर पर लगा था. तय प्रोजेक्ट पूरा होने पर उसे उसी साल हटा दिया गया. वहीं बाद में लेबर कोर्ट के आदेश पर उसे पुन: सेवा में लिया गया.

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याचिकाकर्ता ने विभाग में प्रार्थना पत्र पेश कर उसे नियमित करने की गुहार की, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया. याचिका के लंबित रहने के दौरान राज्य सरकार ने 27 फरवरी, 2009 को अधिसूचना जारी कर प्रावधान किया कि 10 अप्रैल, 2006 तक दस साल की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारियों नियमित किया जाएगा. इसके बावजूद भी उसे नियमित नहीं किया गया. जबकि वह सीएमएचओ की ओर से जारी सूची में भी शामिल था. वहीं साल 2020 में वह दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के तौर पर ही रिटायर हो गया. जिसका विरोध करते हुए विभाग के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता को प्रोजेक्ट विशेष के लिए लिया गया था और प्रोजेक्ट पूरा होने पर उसे हटाया गया. वहीं उसे कोर्ट की दखल के बाद वापस सेवा में लिया गया. सीएमएचओ ने भी गलत व्याख्या कर उसे सूची में शामिल किया था. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को कट ऑफ डेट से नियमित मानते हुए पेंशन परिलाभ देने को कहा है.

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बोनस अंक का लाभ नहीं देने पर जवाब तलब: इसी प्रकार एक अन्य फैसले में राजस्थान हाईकोर्ट ने तकनीकी शिक्षा विभाग में कनिष्ठ अनुदेशक भर्ती-2024 में अनुभव के आधार पर बोनस अंक का लाभ नहीं देने पर राज्य सरकार, तकनीकी शिक्षा विभाग और कर्मचारी चयन बोर्ड से जवाब तलब किया है. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश किशोर कुमावत व अन्य की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता रघुनंदन शर्मा ने बताया कि कर्मचारी चयन बोर्ड ने 11 मार्च, 2024 को तकनीकी शिक्षा के 13 ट्रेड के लिए 1821 पदों पर भर्ती निकाली. भर्ती में अनुभव के आधार पर बोनस अंक देने का प्रावधान ही नहीं रखा गया है, जबकि याचिकाकर्ता लंबे समय से तकनीकी शिक्षा विभाग में गेस्ट फैकल्टी और संविदा पर काम कर रहे हैं. याचिका में कहा गया कि चिकित्सा और शिक्षा सहित अन्य विभागों की भर्तियों में अनुभव के आधार पर बोनस अंक देने का प्रावधान है. इसके बावजूद इस भर्ती में याचिकाकर्ताओं को बोनस का लाभ नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में याचिकाकर्ताओं को बोनस अंकों का लाभ दिया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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