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36 साल पहले मिली सजा रद्द, सरकार की अपील भी खारिज - RAJASTHAN HIGH COURT

हाईकोर्ट ने एसिड अटैक के मामले में 36 साल पहले मिली सजा को रद्द कर दिया है. सरकार की अपील खारिज. जानिए पूरा मामला...

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : April 29, 2025 at 8:27 PM IST

2 Min Read

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने एसिड अटैक के मामले में 36 साल पहले मिली सजा को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को निचली अदालत से मिली ढाई साल की सजा की अवधि को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार की ओर से पेश अपील को भी खारिज कर दिया है.

जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश सलीम और राज्य सरकार की ओर से दायर अपीलों पर संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए दिए. आलत ने कहा कि याचिकाकर्ता को मिली सजा को हाईकोर्ट अप्रैल, 1989 में ही स्थगित कर चुका है.

पढ़ें : महिला डॉक्टर के खिलाफ दर्ज एफआईआर में दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक - RAJASTHAN HIGH COURT

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मोहम्मद अनीस ने बताया कि 13 जुलाई, 1987 को खान मोहम्मद ने माणक चौक थाना पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि रात करीब एक बजे अज्ञात व्यक्ति ने उसके भाई फूल मोहम्मद पर एसिड फैंका, जिससे वह गंभीर रूप से झुलस गया. रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने याचिकाकर्ता के खिलाफ निचली अदालत में आरोप पत्र पेश किया. जिस पर अदालत ने 31 मार्च, 1989 को याचिकाकर्ता को हत्या के प्रयास के अपराध से बरी करते हुए आईपीसी की धारा 326 के तहत याचिकाकर्ता को दो साल छह माह की सजा सुनाई.

इस आदेश के खिलाफ उसी साल हाईकोर्ट में अपील दायर की गई. वहीं, राज्य सरकार की ओर से भी निचली अदालत में आदेश को चुनौती देते हुए दी गई सजा की अवधि को बढ़ाने की गुहार की गई. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता को दोषमुक्त करते हुए निचली अदालत का आदेश रद्द कर दिया और मामले में राज्य सरकार की ओर से पेश अपील भी खारिज कर दी.

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने एसिड अटैक के मामले में 36 साल पहले मिली सजा को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को निचली अदालत से मिली ढाई साल की सजा की अवधि को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार की ओर से पेश अपील को भी खारिज कर दिया है.

जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश सलीम और राज्य सरकार की ओर से दायर अपीलों पर संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए दिए. आलत ने कहा कि याचिकाकर्ता को मिली सजा को हाईकोर्ट अप्रैल, 1989 में ही स्थगित कर चुका है.

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याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मोहम्मद अनीस ने बताया कि 13 जुलाई, 1987 को खान मोहम्मद ने माणक चौक थाना पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि रात करीब एक बजे अज्ञात व्यक्ति ने उसके भाई फूल मोहम्मद पर एसिड फैंका, जिससे वह गंभीर रूप से झुलस गया. रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने याचिकाकर्ता के खिलाफ निचली अदालत में आरोप पत्र पेश किया. जिस पर अदालत ने 31 मार्च, 1989 को याचिकाकर्ता को हत्या के प्रयास के अपराध से बरी करते हुए आईपीसी की धारा 326 के तहत याचिकाकर्ता को दो साल छह माह की सजा सुनाई.

इस आदेश के खिलाफ उसी साल हाईकोर्ट में अपील दायर की गई. वहीं, राज्य सरकार की ओर से भी निचली अदालत में आदेश को चुनौती देते हुए दी गई सजा की अवधि को बढ़ाने की गुहार की गई. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता को दोषमुक्त करते हुए निचली अदालत का आदेश रद्द कर दिया और मामले में राज्य सरकार की ओर से पेश अपील भी खारिज कर दी.

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