रायसेन: मध्य प्रदेश के रायसेन जिले की ऊंची पहाड़ी पर 10 वीं सदी में बनाया गया एक ऐसा रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम मौजूद है जो यहां आने वाले हजारों लोगों की प्यास आज भी बुझा रहा है. बादशाहों के जमाने में बेहतर तकनीक का उपयोग कर बनाया गया था. यह बहुउद्देशी रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम रायसेन दुर्ग पहाड़ी पर मौजूद है. इसकी तकनीक का आज भी लोग लोहा मानते हैं.
पहाड़ी पर बना वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
रायसेन जिले को विश्व भर में प्राचीन इमारतों और पुरातत्व स्थलों के लिए जाना जाता है. यहां पर देश-विदेश से पर्यटक रॉक पेंटिंग शैल चित्रों के साथ स्तूपों को देखने के लिए आते हैं. जिला मुख्यालय पर स्थित प्राचीन रायसेन दुर्ग जिसे गोंड राजा ने अपने सल्तनत काल के दौरान बनवाया था. जहां पर 10 से 11 वीं शताब्दी का रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम देखने को मिलता है. वाटर सिस्टम समतल जमीन पर न होकर बुलंद पहाड़ी पर मौजूद है.
छोटे-बड़े लगभग 84 जलाशयों का निर्माण
तत्कालीन राजा द्वारा अपनी प्रजा और किले में मौजूद सैनिकों की प्यास बुझाने के लिए पहाड़ी पर छोटे बड़े लगभग 84 जलाशयों का निर्माण कराया था. इसमें बारिश के पानी को जमा कर रखा जाता था. किले से गिरने वाले पानी को सुनियोजित तरीके से टैंकर में स्टोर किया जाता था. इसे कम बारिश होने और अकाल के समय प्यास बुझाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. आज भी रायसेन के किले को समृद्ध किलो की श्रेणी में गिना जाता है.
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रायसेन जिले के इतिहास की विशिष्ट जानकारी रखने वाले राजीव चौबे ने कहा, "रायसेन दुर्ग एक अजय दुर्ग रहा है. यहां पर कई विदेशी आक्रमणकर्ताओं द्वारा कई हमले किए गए. रायसेन का दुर्ग बुलंद पहाड़ी की ऊंचाई पर स्थित है. इसके चारों ओर विशाल पत्थरों की दीवार मौजूद है. किले पर पहुंचने के लिए तीन दरवाजे बनाए गए थे."