रायपुर: रायपुर नगर निगम ने संपत्ति कर जमा ना करने वालों को सख्त चेतावनी दी है. यदि संपत्ति कर नहीं चुकाया जाता है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी. संपत्ति कर वसूलने में नगर निगम पिछले साल की अपेक्षा काफी पीछे है, जिस वजह से नगर निगम को सख्ती करनी पड़ रही है.
टैक्स वसूली का टारगेट: यपुर नगर निगम ने साल 2024 में 285 करोड़ रुपये संपत्ति कर के रूप में वसूले थे. इस साल लगभग 300 करोड़ रुपए वसूली का लक्ष्य रखा गया, लेकिन वर्तमान में नगर निगम इस लक्ष्य से काफी पीछे है. 24 मार्च तक निगम लगभग 230 करोड़ रुपए ही वसूल सका है. मार्च खत्म होने में कुछ ही दिन ही शेष हैं, लेकिन टारगेट हासिल करना नगर निगम के लिए काफी मुश्किल है. हालांकि नगर निगम का कहना है कि 300 करोड़ के टारगेट को पूरा करने का पूरा प्रयास है.
रायपुर नगर निगम के अपर आयुक्त राजेंद्र गुप्ता ने बताया कि पिछले साल 285 करोड़ रुपए का टैक्स नगर निगम को वसूलना था. इस बार लगभग 300 से 350 करोड़ के बीच लक्ष्य रखा है. 24 मार्च तक 190 करोड़ रुपए रेवेन्यू वसूल किया जा चुका है. इसके अलावा राजीनामा सहित अन्य राशि ली जाती है, उसे मिलाकर लगभग 230 करोड़ रुपए वसूल किए जा चुके हैं.
पिछली बार के टारगेट से अभी हम काफी पीछे हैं, लेकिन उम्मीद है कि हम लगभग 300 करोड़ पार कर जाएंगे- राजेंद्र गुप्ता, अपर आयुक्त, रायपुर नगर निगम
बकायादारों को नोटिस: बड़े बकायदारों से टैक्स वसूली के मामले में अपर आयुक्त राजेंद्र गुप्ता ने कहा कि बड़े बकायादारों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है. मुनादी जा रही है, उनको नोटिस दिया गया है, कुछ लोगों की तालाबंदी की गई है, कुछ लोगों पर वारंट भी जारी किया गया है, कुर्की की भी कार्रवाई की जाएगी.
टारगेट पूरा करने की कोशिश: नगर निगम आयुक्त विश्वदीप का भी कहना है "हर साल टैक्स को लेकर हम टारगेट तय करते हैं. उसके अनुसार वसूली की जाती है. पिछले साल 285 करोड़ की रिकवरी हुई थी. अभी यह प्रक्रियारत है और हमारी पूरी कोशिश है कि जो टारगेट लेकर हम चल रहे हैं, उसे पूरा किया जा सके."
टैक्स वसूली कम होने पर पड़ता है असर: टैक्स वसूली यदि कम रही है तो उसका निगम पर किस तरह का प्रभाव पड़ेगा, इस सवाल के जवाब में नगर निगम आयुक्त विश्वदीप ने कहा कि निगम की खुद की बॉडी होती है और उसके बहुत सारे खर्च होते हैं. जिसकी पूर्ति वह अपनी आय से करता है. टैक्स के रूप में निगम की आय होती है और यदि टैक्स वसूली कम होगी तो इसका असर नगर निगम के कार्यों पर पड़ना स्वाभाविक है.