शिमला: भारत में रेलवे सिर्फ एक परिवहन का साधन नहीं है, बल्कि यह देश की जीवनरेखा है. देशभर में करोड़ों लोग प्रतिदिन रेल का उपयोग करते हैं और रेलवे स्टेशन इन यात्राओं के केंद्र बिंदु होते हैं, लेकिन अधिकतर रेलवे स्टेशन अब भी पुराने ढर्रे पर बने हैं, जिनमें आधुनिक सुविधाओं का अभाव है. इसी जरूरत को समझते हुए भारत सरकार ने अमृत भारत स्टेशन योजना की शुरुआत की है.
रेलवे स्टेशन लंबे समय से भारतीय कस्बों और शहरों की धड़कन रहे हैं. ये रेलवे स्टेशन कहानियों, यादों से भरे हुए हैं. कई रेलवे स्टेशनों ने तो 1947 के पहले का भारत और न्यू इंडिया दोनों को देखा अब इनकी तस्वीर बदलने के लिए भारत सरकार ने अमृत भारत स्टेशन योजना शुरू की है. अमृत भारत स्टेशन योजना का उद्देश्य पूरे भारतीय रेलवे नेटवर्क में रेलवे स्टेशनों को बेहतर और आधुनिक बनाना है. इस योजना की शुरुआत 2021 में हुई थी. इसका उद्देश्य वर्तमान में भारतीय रेलवे प्रणाली में कुल 1275 स्टेशनों को उन्नत और आधुनिक बनाना है.
यात्रियों को मिलेंगी आधुनिक सुविधाएं
22 मई को पीएम मोदी ने 103 रेलवे स्टेशन का अमृत भारत योजना के तहत उद्घाटन किया था. इसमें हिमाचल स्थित कांगड़ा जिले का बैजनाथ पपरोला रेलवे स्टेशन भी शामिल था. अमृत भारत स्टेशन योजना का लक्ष्य स्टेशनों को अधिक स्वच्छ, अधिक आरामदायक और उपयोग में आसान बनाना है. इसमें एंट्री और एग्जिट गेट, वेटिंगरूम, शौचालय, प्लेटफॉर्म और छत को बेहतर बनाना शामिल है. इसके अलावा लिफ्ट, एस्केलेटर और निशुल्क वाई-फाई जैसी सुविधाएं देना है. यात्रियों की मदद के लिए बेहतर साइन बोर्ड और सूचना प्रणाली विकसित करना है. कुछ स्टेशनों में वर्किंग लाउंज और बिजनेस मीटिंग के लिए स्पेशल एरिया भी बनेंगे.अमृत स्टेशन योजना के तहत रेलवे स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म, सुंदर लैंडस्कैप, रूफ प्लाजा, कियोस्क, फूड कोर्ट, बच्चों के खेलने का स्थान आदि बनाए जाएंगे. इसके अलावा स्टेशनों तक आसानी से पहुंचने के लिए सड़कों को चौड़ा करना, बिना काम के स्ट्रक्चर को हटाना, पैदल यात्री मार्ग बनाना और पार्किंग सुविधाओं को बढ़ाया जा रहा है.

आधुनिक और बेहतर बनेंगे रेलवे स्टेशन
पीआईबी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक अमृत भारत मिशन योजना का उद्देश्य रेलवे स्टेशन के भवनों को आधुनिक और बेहतर बनाना है. इस योजना के तहत स्टेशन को इस तरह विकसित किया जाएगा जिससे वो शहर से अच्छे से कनेक्ट हों और बसों, मेट्रो जैसे अन्य परिवहन साधनों से भी अच्छी तरह जुड़े हों. दिव्यांगजन (विकलांगों) के लिए स्टेशन को सुविधाजनक और अनुकूल बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. इसके अलावा, पर्यावरण के अनुकूल समाधान, कम शोर वाले ट्रैक भी इस योजना के तहत शामिल सुधारों का अहम हिस्सा हैं. इस योजना के तहत दिव्यांगजनों के लिए रैंप, सुलभ पार्किंग, कम ऊंचाई वाले टिकट काउंटर/सहायता बूथ, शौचालय, पीने के पानी के बूथ, रैंप/लिफ्ट के साथ सब-वे/फुट ओवर ब्रिज, ब्रेल साइन बोर्ड सहित दृष्टिबाधित लोगों के लिए स्पर्शनीय मार्ग (टैक्टिकल पाथ-वे) तैयार किए जाएंगे.
स्थानीय संस्कृति, विरासत की झलक
अमृत भारत स्टेशन योजना की एक खासितय ये है कि रि-डिवेलप स्टेशन भवनों का डिज़ाइन स्थानीय संस्कृति, विरासत और वास्तुकला से प्रेरित होगा. उदाहरण के लिए अहमदाबाद स्टेशन मोढेरा सूर्य मंदिर से प्रेरित है, जबकि द्वारका स्टेशन द्वारकाधीश मंदिर से प्रेरित है. गुरुग्राम स्टेशन आईटी थीम पर आधारित होगा, जबकि ओडिशा के बालेश्वर स्टेशन को भगवान जगन्नाथ मंदिर की थीम पर डिज़ाइन किया जाएगा. तमिलनाडु के कुंभकोणम स्टेशन पर चोल वास्तुकला का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देगा.
वन स्टेशन वन प्रोडक्ट से जुड़ेंगे स्टेशन
इन अमृत स्टेशनों को वन स्टेशन वन प्रोडक्ट योजना के तहत जोड़ा जाएगा और उनके लिए बिक्री आउटलेट उपलब्ध करवाए जाएंगे, जैसे पटना जंक्शन पर मधुबनी पेटिंग एवं उससे जुड़े उत्पाद, गुवाहाटी स्टेशन पर असमी गमछा को चिन्हित किया गया है. वन स्टेशन वन प्रोडक्ट का मकसद स्वदेशी उत्पादों को बिक्री आउटलेट प्रदान करके भारत के स्वदेशी और विशिष्ट उत्पादों और शिल्प को प्रोत्साहित करना है.
यूपी में सबसे अधिक 149 रेलवे स्टेशन योजना में शामिल
अमृत भारत स्टेशन योजना की शुरुआत 2021 में हुई थी, जब गांधीनगर इस योजना के तहत आधुनिकीकरण से गुजरने वाला पहला रेलवे स्टेशन बना, जो सभी आधुनिक सुविधाओं और एक फाइव स्टार होटल से लैस था. अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत पुनर्विकास के लिए चुने जा रहे स्टेशनों में, उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 149 रेलवे स्टेशन हैं, इसके बाद महाराष्ट्र में 126, पश्चिम बंगाल में 94, गुजरात में 87, बिहार में 86, राजस्थान में 82 और मध्य प्रदेश में 80 स्टेशन हैं.