जयपुर: कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के लंगड़े घोड़े वाले बयान पर बवाल मच गया है. राजस्थान में दिव्यांग समाज ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है. जयपुर दिव्यांग शशांक ने ई-मेल के जरिए पुलिस कमिश्नर को शिकायत दी. वहीं, दिव्यांग अधिकार महासंघ ने भारत निर्वाचन आयोग को पत्र लिख कर इस तरह के शब्दों के उपयोग करने पर कार्रवाई की मांग की है. शिकायत में चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश और दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 के प्रावधानों का हवाला देते हुए पुलिस कमिश्नर से रिपोर्ट दर्ज करने का अनुरोध किया.
दिव्यांग समाज नाराज-दिव्यांग अधिकार महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हेमंत भाई गोयल ने कहा कि कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 3 जून को मध्यप्रदेश के भोपाल में कांग्रेस पार्टी के विधायकों और संगठन पदाधिकारियों के साथ बैठक की और संगठन सृजन अभियान की शुरुआत की. बैठक को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि दो तरह के घोड़े होते हैं. एक रेस और दूसरे बारात वाले. अब तक कांग्रेस बारात वाले घोड़े को रेस में डाल देती थी और रेस वाले को बारात में. अब तीसरी कैटेगरी भी जोड़ रही है, वो है 'लंगड़ा घोड़ा'. हमें तय करना है कौन रेस का है, कौन बारात का है और कौन लंगड़ा. रेस वाले को चुनाव लडाना है, बारात वाले को संगठन का काम देना है. लंगड़े को रिटायर करना है.
हेमंत भाई गोयल ने कहा कि विषय यह है कि लंगड़ा शब्द आमतौर पर चलन दिव्यांगता से ग्रसित व्यक्तियों के लिए होता रहा है. जब इसे नकारात्मकता, निष्क्रियता, अक्षमता, अयोग्यता के अर्थ/संदर्भ में प्रयोग किया जाता है तो यह दिव्यांगजनों का अपमान या तिरस्कार माना जाता है. भाषा का यह प्रयोग असंवेदनशील है और दिव्यांग समुदाय की भावनाएं आहत करने वाला है. किसी भी संदर्भ में लंगड़ा शब्द का इस्तेमाल दिव्यांगजनों के लिए आपत्तिजनक और अपमानजनक माना जाता है.
यह एक गैर संवेदनशील भाषा प्रयोग है, जिसे सार्वजनिक मंचों पर राजनीतिक आलोचना अथवा कार्यकर्ताओं की समीक्षा के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए. इस तरह की भाषा सामाजिक दृष्टिकोण को विकृत करता है. उन्होंने कहा कि दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 6(1) - समुचित सरकार दिव्यांग व्यक्ति को प्रताड़ना, क्रूरता, अमानवीय व्यवहार की श्रेणी में हैं. ऐसे में पुलिस और निर्वाचन आयोग की इस बयान पर तत्काल एक्शन लेते हुए नजीर पेश करनी चाहिए, ताकि भविष्य में जिम्मेदार पद पर बैठा हुआ जनप्रतिनिधि इस तरह के बायां नहीं दे.
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इन दिशा-निर्देशों की हुई अवहेलना : हेमंत भाई ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों को अपने संवाद में दिव्यांगजनों के साथ सम्मानजनक तरीके से पेश आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए, जिनका पालन जरूरी है.
- गूंगा, पागल, सिरफिरा, अंधा, काना, बहरा, लंगड़ा, लूला, अपाहिज आदि अपमानजनक भाषा के उपयोग से बचना चाहिए.
- राजनीतिक दलों और उनके प्रतिनिधियों को किसी भी सार्वजनिक बयान/भाषण के दौरान अपने लेखन/लेख/आउटरीच सामग्री या राजनीतिक अभियान में दिव्यांगजनों पर गलत/अपमानजनक/निरादर युक्त संदर्भों का उपयोग नहीं करना चाहिए.
- राजनीतिक दलों और उनके प्रतिनिधियों को किसी भी सार्वजनिक भाषण के दौरान अपने लेखन/लेखों अथवा राजनीतिक अभियान में मानवीय अक्षमता के संदर्भ में दिव्यांगजनों को निरूपित करने वाले शब्दों का उपयोग नहीं करना चाहिए.
- राजनीतिक दलों और उनके प्रतिनिधियों को दिव्यांग जनों से संबंधित ऐसी टिप्पणियों से सख्ती से बचना चाहिए जो आक्रामक हो सकती हैं या रूढ़िवादिता और पूर्वाग्रहों को कायम रख सकती हैं.
- ऐसी भाषा, शब्दावली, संदर्भ, उपहास, अपमानजनक संदर्भ के उपयोग या दिव्यांगजनों के अपमान पर दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 92 के प्रावधान लागू हो सकते हैं.