चंडीगढ़: राहुल गांधी चंडीगढ़ पहुंच चुके हैं. उनके साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के सी वेणुगोपाल मौजूद है. राहुल गांधी के कार्यक्रम से पहले चंडीगढ़ पुलिस और कांग्रेस कार्यकर्ता आपस में भिड़े. लंबी बहस के बाद मामला शांत हुआ. रणदीप सुरजेवाला भी बैठक के लिए पहुंचे. हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय में राहुल गांधी 17 सीनियर नेताओं के साथ चर्चा करेंगे. इस दौरे का मकसद कांग्रेस संगठन को 11 साल बाद नए सिरे से खड़ा करना और पार्टी में व्याप्त गुटबाजी को समाप्त करना है.
चंडीगढ़ में सीनियर नेताओं के साथ बैठक: राहुल गांधी को एयरपोर्ट पर रिसीव करने के लिए कांग्रेस के हरियाणा प्रभारी बीके हरि सिंह, प्रदेशाध्यक्ष उदयभान, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला मौजूद रहे. इसके बाद राहुल गांधी कांग्रेस कार्यालय में 17 वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक करेंगे. इस बैठक में वह गुटबाजी को खत्म करने और संगठन को एकजुट करने का स्पष्ट संदेश देंगे. सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी नेताओं को सख्त निर्देश दे सकते हैं कि पार्टी हित को व्यक्तिगत हितों से ऊपर रखा जाए.
पर्यवेक्षकों से लेंगे फीडबैक: राहुल गांधी की यह यात्रा केवल नेताओं तक सीमित नहीं रहेगी. वह हरियाणा के सभी जिलों में तैनात 22 पर्यवेक्षकों के साथ भी बैठक करेंगे. ये पर्यवेक्षक जिला स्तर पर संगठन की स्थिति का आकलन कर रहे हैं और जल्द ही जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे. राहुल गांधी इन पर्यवेक्षकों से फीडबैक लेकर संगठन को मजबूत करने की रणनीति पर चर्चा करेंगे.
जिलाध्यक्षों के लिए नए मापदंड: कांग्रेस ने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए सख्त मापदंड तय किए हैं. इसके तहत उम्मीदवार की उम्र 35 से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए और उसे कम से कम 5 साल तक संगठन में सक्रिय रूप से काम करने का अनुभव होना चाहिए. साथ ही, साफ छवि और गुटबाजी से दूरी रखने वाले कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी जाएगी. जहां एक से अधिक कार्यकर्ता दावेदारी करेंगे, वहां आपसी सहमति से पैनल बनाया जाएगा और वोटिंग के जरिए फैसला होगा.
गुटबाजी खत्म करना प्राथमिकता: हरियाणा में कांग्रेस की गुटबाजी कोई नई बात नहीं है. 2024 के विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा तब सामने आया था, जब प्रचार के दौरान नेताओं के बीच मंच पर ही तनातनी देखी गई थी. राहुल गांधी ने अंबाला के नारायणगढ़ में कुमारी सैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच सुलह कराने की कोशिश की थी, लेकिन यह कोशिश नाकाम रही. चुनाव में कांग्रेस को 39.09% वोट मिले, जो भाजपा के 39.94% से केवल 0.85% कम थे. फिर भी, सीटों के लिहाज से कांग्रेस 37 सीटों पर सिमट गई, जबकि भाजपा ने 48 सीटें जीतीं.
हार की समीक्षा और सबक: चुनावी हार के बाद दिल्ली में हुई समीक्षा बैठक में राहुल गांधी ने स्पष्ट कहा था कि हरियाणा में नेताओं के निजी हितों ने पार्टी के हितों को नुकसान पहुंचाया. 2019 के मुकाबले 2024 में कांग्रेस के पक्ष में 11.01% वोट स्विंग हुआ, जबकि भाजपा के पक्ष में 3.45% स्विंग रहा. फिर भी, आपसी खींचतान ने पार्टी की संभावनाओं को प्रभावित किया.
कार्यकर्ताओं को वापस लाने की कोशिश: राहुल गांधी का यह दौरा न केवल गुटबाजी खत्म करने, बल्कि उन कार्यकर्ताओं को वापस पार्टी में लाने की दिशा में भी एक कदम है, जो गुटबाजी के कारण पार्टी छोड़ चुके हैं. इस दौरे के बाद अगले एक महीने में हरियाणा कांग्रेस में जिलाध्यक्षों की नई नियुक्तियां होने की संभावना है, जो संगठन को नई ऊर्जा दे सकती है.