पलामू: झारखंड सरकार ने शिक्षक पात्रता परीक्षा के लिए क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं की सूची जारी कर दी है. पलामू के युवाओं को नौकरी के लिए स्थानीय भाषा के तौर पर कुडुख और नागपुरी में परीक्षा देनी होगी. पलामू और गढ़वा के इलाके के लिए नागपुरी और कुडुख भाषा का चयन किया गया है. झारखंड के सभी 24 जिलों के लिए भाषा का चयन किया गया है. पलामू के इलाके में बोली और लिखी जाने वाली भोजपुरी और मगही का चयन नहीं किया गया है.
पलामू और गढ़वा बिहार, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ से सटा हुआ है. उत्तर प्रदेश और बिहार से बड़ी सीमा सटी हुई है. इस इलाके में भोजपुरी और मगही भाषा का शुरू से ही प्रभाव रहा है. बड़ी संख्या में लोग इन भाषाओं को लिखते और पढ़ते हैं. स्थानीय भाषा को लेकर पलामू में पहले भी कई आंदोलन हो चुके हैं और भोजपुरी और मगही को शामिल करने की मांग उठती रही है.
शिक्षक पात्रता परीक्षा के लिए भाषाओं की सूची में भोजपुरी और मगही को जगह नहीं मिलने के बाद एक बार फिर आंदोलन शुरू हो गया है. युवा कांग्रेस के मणिकांत सिंह ने कहा कि यह फैसला सही नहीं है, लोकतंत्र में सुधार की हमेशा गुंजाइश रहती है, वे इस मामले में मुख्यमंत्री और पार्टी के प्रदेश प्रभारी के राजू को पत्र लिखेंगे. पलामू प्रमंडल में कुडुख बोलने वालों की संख्या बहुत कम है, इस भाषा को पढ़ाने वाले सिर्फ एक शिक्षक थे जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं. यह फैसला थोपा नहीं जा सकता.
छात्र नेता कमलेश पांडेय ने कहा कि पलामू और गढ़वा के साथ सौतेला व्यवहार और अत्याचार किया जा रहा है. सरकार द्वारा चयनित भाषाओं से यह साफ जाहिर होता है. युवाओं और छात्रों के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है, वे सरकार से मांग करते हैं कि भोजपुरी मगही के अलावा हिंदी को भी शामिल किया जाए.
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