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थर्ड-पार्टी बीमा प्रीमियम में भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव, ट्रांसपोर्ट सेक्टर में नाराजगी - THIRD PARTY MOTOR INSURANCE

थर्ड-पार्टी मोटर बीमा प्रीमियम में प्रस्तावित बढ़ोतरी भारतीय परिवहन से जुड़े लोगों में खास नाराजगी देखने को मिल रहीं है.

थर्ड-पार्टी मोटर बीमा प्रीमियम
थर्ड-पार्टी मोटर बीमा प्रीमियम (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : June 7, 2025 at 6:20 PM IST

4 Min Read

नई दिल्ली: थर्ड-पार्टी मोटर बीमा प्रीमियम में प्रस्तावित बढ़ोतरी भारतीय परिवहन से जुड़े लोगों में खास नाराजगी देखने को मिल रहीं है. ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसियेशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय वित्त वर्ष 2025–26 के लिए थर्ड-पार्टी (टीपी) मोटर बीमा प्रीमियम में 18% से 25% तक की भारी वृद्धि पर विचार कर रहा है. यह प्रस्ताव बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) की सिफारिश के आधार पर तैयार किया गया है.

उन्होंने आगे कहा कि भले ही यह प्रस्ताव बीमा कंपनियों की गणनाओं के अनुरूप उचित प्रतीत होता हो, परंतु यह भी, उतना ही आवश्यक है कि सरकार यह समझे कि यह वृद्धि देश भर में लाखों ट्रांसपोर्टरों, वाणिज्यिक वाहन मालिकों और छोटे ऑपरेटरों पर भारी आर्थिक बोझ डालेगी, जो पहले से ही ईंधन की बढ़ती कीमतों, टोल शुल्क, अनुपालन लागत और गिरते भाड़े के कारण भारी वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं.

स्थितियां

• IRDAI ने औसतन 18% वृद्धि का प्रस्ताव दिया है, जबकि कुछ वाहन श्रेणियों जैसे मालवाहक और वाणिज्यिक वाहनों के लिए यह बढ़ोतरी 20%–25% तक हो सकती है.
• मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत टीपी बीमा अनिवार्य है. पिछली दर संशोधन चार साल पहले किया गया था, जबकि इस दौरान क्लेम लागत में भारी वृद्धि हुई है.
• प्रस्तावित वृद्धि से छोटे मालवाहक वाहनों पर ₹500–₹700 और मध्यम से भारी वाहनों पर ₹1,000 से ₹2,500 या उससे अधिक का वार्षिक अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है.

उपयोगकर्ताओं पर प्रभाव
1. परिवहन लागत में तेज़ वृद्धि – जिससे देशभर में आवश्यक वस्तुओं के दाम पर महंगाई का दबाव बढ़ेगा।
2. कई ऑपरेटर बीमा नवीनीकरण नहीं कर पाएंगे – छोटे ट्रक मालिक और सीमित संसाधन वाले बेड़े बीमा का नवीनीकरण नहीं कर पाएंगे, जिससे बिना बीमा के वाहन सड़कों पर बढ़ेंगे और कानूनी उल्लंघन होगा.
3. ग्रामीण और छोटे शहरों के वाहन मालिक होंगे सबसे अधिक प्रभावित – जहां पहले ही बीमा कवरेज कम है, वहां यह वृद्धि और अधिक असहनीय हो जाएगी.
4. राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के उद्देश्यों के विपरीत – यह प्रस्ताव लॉजिस्टिक्स लागत को जीडीपी के एकल अंकों में लाने के उद्देश्य को कमजोर करता है.
5. भ्रष्टाचार और उत्पीड़न की संभावना में वृद्धि – जैसे ही बीमा कवरेज महंगा होकर छूटने लगेगा, मनमाने चालान और अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार की गुंजाइश बढ़ेगी.

एसोसियेशन की सिफारिशें

1. हितधारकों से तत्काल संवाद:
भारत सरकार और IRDAI से हमारा स्पष्ट आग्रह है कि AIMGTA (पंजीकृत) सहित सभी प्रमुख हितधारकों को आमंत्रित करें, ताकि कोई भी निर्णय लेने से पहले समुचित संवाद और विचार-विमर्श हो सके। जो प्रीमियम चुका रहे हैं, उनकी आवाज़ सुनी जानी चाहिए.

2. पारदर्शी आंकड़ों का खुलासा:
IRDAI को सार्वजनिक रूप से साझा करना चाहिए:
• वित्त वर्ष 2018 से अब तक वर्षवार बीमा प्रीमियम संग्रह,
• क्लेम भुगतान का वास्तविक डेटा,
• और बीमा कंपनियों की प्रशासनिक लागतें.

3. छोटे ऑपरेटरों के लिए लक्षित सब्सिडी:
एक विशेष राहत योजना या सब्सिडी लाई जाए, जिससे एकल ट्रक मालिकों और छोटे ऑपरेटरों को यह बोझ वहन करने में सहायता मिल सके, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में.

4. चरणबद्ध और सीमित वृद्धि:
यदि वृद्धि अटल हो, तो इसे 5–7% तक सीमित किया जाए और दो वर्षों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाए, न कि एक झटके में.

5. बीमा कंपनियों का दक्षता ऑडिट:
बीमा कंपनियों के आंतरिक खर्च प्रबंधन और क्लेम निपटान की दक्षता का स्वतंत्र एजेंसी से ऑडिट कराया जाए, ताकि बिना वजह जनता पर भार न डाला जाए।

6. क्षेत्रीय प्रभाव अध्ययन के आधार पर पुनर्विचार:
किसी भी नीतिगत निर्णय से पूर्व परिवहन, व्यापार और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र पर संभावित प्रभाव का गहन अध्ययन किया जाना आवश्यक है.

अंत ने राजेंद्र ने कहा कि यह विषय केवल बीमा का नहीं है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को गति देने वाले लाखों ड्राइवरों, हैल्परों, और छोटे ट्रांसपोर्ट उद्यमियों की आजीविका का है विशेष रूप से टीयर और टीयर शहरों में. हम केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री से निवेदन करते हैं कि इस प्रस्तावित वृद्धि को तत्काल स्थगित करें और एक उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन करें, जिसमें सभी संबंधित पक्षों को शामिल किया जाए. तब तक कोई भी निर्णय एकपक्षीय रूप से न लिया जाए.


ये भी पढ़ें:

  1. रेलवे में टीटीई की नौकरी लगवाने और शस्त्र लाइसेंस बनवाने का झांसा देकर ठगी करने वाला गिरफ्तार
  2. नैनीताल बैंक में 16 करोड़ का साइबर फ्रॉड, एक विदेशी नागरिक सहित चार गिरफ्तार

नई दिल्ली: थर्ड-पार्टी मोटर बीमा प्रीमियम में प्रस्तावित बढ़ोतरी भारतीय परिवहन से जुड़े लोगों में खास नाराजगी देखने को मिल रहीं है. ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसियेशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय वित्त वर्ष 2025–26 के लिए थर्ड-पार्टी (टीपी) मोटर बीमा प्रीमियम में 18% से 25% तक की भारी वृद्धि पर विचार कर रहा है. यह प्रस्ताव बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) की सिफारिश के आधार पर तैयार किया गया है.

उन्होंने आगे कहा कि भले ही यह प्रस्ताव बीमा कंपनियों की गणनाओं के अनुरूप उचित प्रतीत होता हो, परंतु यह भी, उतना ही आवश्यक है कि सरकार यह समझे कि यह वृद्धि देश भर में लाखों ट्रांसपोर्टरों, वाणिज्यिक वाहन मालिकों और छोटे ऑपरेटरों पर भारी आर्थिक बोझ डालेगी, जो पहले से ही ईंधन की बढ़ती कीमतों, टोल शुल्क, अनुपालन लागत और गिरते भाड़े के कारण भारी वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं.

स्थितियां

• IRDAI ने औसतन 18% वृद्धि का प्रस्ताव दिया है, जबकि कुछ वाहन श्रेणियों जैसे मालवाहक और वाणिज्यिक वाहनों के लिए यह बढ़ोतरी 20%–25% तक हो सकती है.
• मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत टीपी बीमा अनिवार्य है. पिछली दर संशोधन चार साल पहले किया गया था, जबकि इस दौरान क्लेम लागत में भारी वृद्धि हुई है.
• प्रस्तावित वृद्धि से छोटे मालवाहक वाहनों पर ₹500–₹700 और मध्यम से भारी वाहनों पर ₹1,000 से ₹2,500 या उससे अधिक का वार्षिक अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है.

उपयोगकर्ताओं पर प्रभाव
1. परिवहन लागत में तेज़ वृद्धि – जिससे देशभर में आवश्यक वस्तुओं के दाम पर महंगाई का दबाव बढ़ेगा।
2. कई ऑपरेटर बीमा नवीनीकरण नहीं कर पाएंगे – छोटे ट्रक मालिक और सीमित संसाधन वाले बेड़े बीमा का नवीनीकरण नहीं कर पाएंगे, जिससे बिना बीमा के वाहन सड़कों पर बढ़ेंगे और कानूनी उल्लंघन होगा.
3. ग्रामीण और छोटे शहरों के वाहन मालिक होंगे सबसे अधिक प्रभावित – जहां पहले ही बीमा कवरेज कम है, वहां यह वृद्धि और अधिक असहनीय हो जाएगी.
4. राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के उद्देश्यों के विपरीत – यह प्रस्ताव लॉजिस्टिक्स लागत को जीडीपी के एकल अंकों में लाने के उद्देश्य को कमजोर करता है.
5. भ्रष्टाचार और उत्पीड़न की संभावना में वृद्धि – जैसे ही बीमा कवरेज महंगा होकर छूटने लगेगा, मनमाने चालान और अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार की गुंजाइश बढ़ेगी.

एसोसियेशन की सिफारिशें

1. हितधारकों से तत्काल संवाद:
भारत सरकार और IRDAI से हमारा स्पष्ट आग्रह है कि AIMGTA (पंजीकृत) सहित सभी प्रमुख हितधारकों को आमंत्रित करें, ताकि कोई भी निर्णय लेने से पहले समुचित संवाद और विचार-विमर्श हो सके। जो प्रीमियम चुका रहे हैं, उनकी आवाज़ सुनी जानी चाहिए.

2. पारदर्शी आंकड़ों का खुलासा:
IRDAI को सार्वजनिक रूप से साझा करना चाहिए:
• वित्त वर्ष 2018 से अब तक वर्षवार बीमा प्रीमियम संग्रह,
• क्लेम भुगतान का वास्तविक डेटा,
• और बीमा कंपनियों की प्रशासनिक लागतें.

3. छोटे ऑपरेटरों के लिए लक्षित सब्सिडी:
एक विशेष राहत योजना या सब्सिडी लाई जाए, जिससे एकल ट्रक मालिकों और छोटे ऑपरेटरों को यह बोझ वहन करने में सहायता मिल सके, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में.

4. चरणबद्ध और सीमित वृद्धि:
यदि वृद्धि अटल हो, तो इसे 5–7% तक सीमित किया जाए और दो वर्षों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाए, न कि एक झटके में.

5. बीमा कंपनियों का दक्षता ऑडिट:
बीमा कंपनियों के आंतरिक खर्च प्रबंधन और क्लेम निपटान की दक्षता का स्वतंत्र एजेंसी से ऑडिट कराया जाए, ताकि बिना वजह जनता पर भार न डाला जाए।

6. क्षेत्रीय प्रभाव अध्ययन के आधार पर पुनर्विचार:
किसी भी नीतिगत निर्णय से पूर्व परिवहन, व्यापार और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र पर संभावित प्रभाव का गहन अध्ययन किया जाना आवश्यक है.

अंत ने राजेंद्र ने कहा कि यह विषय केवल बीमा का नहीं है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को गति देने वाले लाखों ड्राइवरों, हैल्परों, और छोटे ट्रांसपोर्ट उद्यमियों की आजीविका का है विशेष रूप से टीयर और टीयर शहरों में. हम केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री से निवेदन करते हैं कि इस प्रस्तावित वृद्धि को तत्काल स्थगित करें और एक उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन करें, जिसमें सभी संबंधित पक्षों को शामिल किया जाए. तब तक कोई भी निर्णय एकपक्षीय रूप से न लिया जाए.


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  1. रेलवे में टीटीई की नौकरी लगवाने और शस्त्र लाइसेंस बनवाने का झांसा देकर ठगी करने वाला गिरफ्तार
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