रायपुर: छत्तीसगढ़ में साय सरकार ने लोगों की समस्याओं को जानने के लिए सुशासन तिहार योजना को शुरू किया है. इसके तहत शहर और गांव में लोगों से उनके परेशानियों के लिए आवेदन मांगे गए हैं. इसके पहले चरण में 8 अप्रैल से 11 अप्रैल तक लोगों ने आवेदन किए हैं. इसमें कुल 17 लाख 47 हजार 218 आवेदन सरकार को मिले हैं.
शहर और गांव में रखी गई समाधान पेटियां: सुशासन तिहार के लिए सरकार ने गांव-गांव शहर में समाधान पेटियां रखी थी. उसके अलावा शिविर लगाए गए थे और ऑनलाइन फॉर्म भी मांगे गए थे. इन्हीं के माध्यम से 17 लाख 47 हजार 218 आवेदन सरकार को मिले हैं. इस योजना के तहत समस्या के निपटारे के लिए अगला चरण शुरू होगा और एक महीने के भीतर इन समस्याओं का समाधान किया जाएगा. सुशासन तिहार की योजना में सरकार का दवा यही है.
- सरकार के सुशासन तिहार के लिए जो प्रक्रिया अपनाई गई थी उसके अनुसार कुल 17 लाख 47 हजार 218 आवेदन अब तक प्राप्त हुए हैं.
- मिले आंकड़ों के अनुसार ऑनलाइन आवेदन जो सुशासन तिहार में आए हैं, उनकी संख्या 2 लाख 13 हजार 691 है. जिसमें से 1 लाख 90 हजार 804 मांगें रखी गई है. वही 22887 शिकायतें प्राप्त हुई हैं.
- सरकार द्वारा लगाए गए शिविर में कुल 13 लाख 65 हजार 293 आवेदन मिले हैं. जिसमें से 13 लाख 38 हजार 675 मांग के लिए है जबकि 26706 शिकायतें मिली है.
- सरकार द्वारा रखी गई शिकायत पेटी में कुल 1 लाख 71 हजार 302 आवेदन मिले हैं. जिसमें 1 लाख 67 हजार 306 मांग के लिए हैं. जबकि 4011 आवेदन शिकायत के रूप में प्राप्त हुए हैं.
(नोट- आंकड़े सुशासन तिहार के वेबसाइट से दिनांक 13 अप्रैल रात 8:30 बजे तक के हैं)

सुशासन तिहार का दूसरा चरण: सुशासन तिहार के पहले चरण में जो प्रक्रिया सरकार द्वारा चलाई गई थी उसके तहत कुल 17 लाख 47 हजार 218 आवेदन मिले हैं. इसके दूसरे चरण में सभी प्राप्त आवेदनों को सॉफ्टवेयर में डालकर संबंधित विभाग को सौंप दिया जाएगा. मिले आवेदनों की विभागवार सूची तैयार करके विभागों को आवंटित किया जाएगा और उसके बाद एक महीने के भीतर उसका निराकरण सुनिश्चित किया जाएगा.
सुशासन तिहार का तीसरा चरण: सुशासन बिहार के तीसरे चरण में सभी जिले के 8 से 15 ग्राम पंचायत के माध्यम से समाधान शिविर का आयोजन किया जाएगा. इस शिविर में सभी जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर चर्चा की जाएगी. साथ ही हितग्राहियों को योजना का प्रपत्र भी दिया जाएगा. इस अभियान में सांसद विधायक जनप्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी. साथ ही मुख्यमंत्री विभागों के मंत्री, मुख्य सचिव, प्रभारी सचिव और वरिष्ठ अधिकारी शिविर में उपस्थित रहकर के संवाद करेंगे. उसके बाद योजनाओं का फीडबैक भी लेंगे. इसके साथ ही लोगों को जो दिक्कतें आ रही हैं उसके बारे में भी सुनवाई की जाएगी.