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पुराने कुएं के भरोसे 100 से अधिक आदिवासियों की जिंदगी, बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं बघमरी टोला के लोग - LATEHAR WATER CRISIS

लातेहार के बघमरी टोला में पीने के पानी की बड़ी समस्या है. लोगों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ता है.

problem of drinking water
कुएं से पानी ले जाती महिला (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : June 7, 2025 at 6:55 PM IST

4 Min Read

लातेहार: सरकार के द्वारा घर-घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने की योजना भले ही कागजों में पूरी हो गयी हो, पर अभी भी कई ऐसे गांव और टोले हैं, जहां के लोग आज भी शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं. लातेहार के परसही पंचायत के बघमरी टोला की स्थिति कुछ ऐसी ही है. यहां रहने वाले लगभग 100 लोग आज भी एक पुराने कुएं पर आश्रित हैं. कुआं जब सूख जाता है तो यहां के ग्रामीण पोखर पर निर्भर हो जाते हैं.

दरअसल, लातेहार जिला मुख्यालय से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित परसही का बघमरी टोला अवस्थित है. यहां उरांव जनजातियों की एक अलग बस्ती है. जहां आज तक शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं हो पाई है. ग्रामीण गांव में स्थित एक पुराने कुएं पर निर्भर रहते हैं. हालांकि जब गर्मी अत्यधिक पड़ने लगती है तो यह कुआं भी सूख जाता है. इसके बाद ग्रामीणों के समक्ष पानी की व्यवस्था करने की जद्दोजहद आरंभ हो जाती है.

बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं बघमरी टोला के लोग (ईटीवी भारत)

गांव से थोड़ी दूर पर एक तालाब है, जहां चुआड़ी बनाकर ग्रामीणों को पानी लाना पड़ता है. यहां के ग्रामीण बताते हैं कि अगस्त से लेकर फरवरी मार्च तक तो किसी प्रकार कुएं से ही पानी मिल जाता है. परंतु मई और जून में पानी की घोर कमी हो जाती है. वहीं बरसात के दिनों में पानी बरसने के बाद ना तो कुएं का पानी पीने लायक रहता है और ना ही तालाब का पानी ही साफ बचता है. इस स्थिति में ग्रामीणों को लगभग 1 किलोमीटर दूर जाकर पीने का पानी लाना पड़ता है.

कई बार लगाई गुहार, परंतु नहीं हुआ समस्या का समाधान

स्थानीय ग्रामीण ननकू उरांव और आरती कुमारी ने बताया कि पानी की समस्या के समाधान के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक गुहार लगाई गई. परंतु आज तक इस गांव में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं हो पाई. ग्रामीणों ने कहा कि कई बार मुखिया से भी अनुरोध किया गया कि गांव में काम से कम एक सोलर जल मीनार लगा दिया जाए परंतु उनकी बातों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया.

ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के दिनों में पीने का पानी लाने के लिए ग्रामीणों को गांव से काफी दूर जाना पड़ता है. वहीं गर्मी के दिनों में जब कुआं सूख जाता है तो तालाब के पानी पर पूरे ग्रामीण निर्भर हो जाते हैं. हालांकि इस वर्ष समय-समय पर बारिश होने के कारण कुआं में अभी भी पानी बचा हुआ है, जिससे ग्रामीणों को कुछ सहूलियत हो रही है.

पुराने चापानल की कराई गई मरम्मत

इधर इस संबंध में लातेहार जिला परिषद अध्यक्ष पूनम देवी ने बताया कि परसही उनका गृह पंचायत है. उन्होंने कहा कि बघमरी टोला में पानी की समस्या की जानकारी होने के बाद उन्होंने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता को मामले में कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया है. उन्होंने कहा कि तत्काल में एक पुराने चापानल की मरम्मत कराई गई है. ताकि ग्रामीणों को आवश्यकता अनुसार पानी मिल सके. उन्होंने कहा कि जल्द ही यहां पेयजल की व्यवस्था कराने का प्रयास किया जा रहा है.

वहीं इस संबंध में विभागीय अभियंता ने कहा कि मामला संज्ञान में है. जल्द ही यहां सोलर आधारित जलमीनार लगाकर ग्रामीणों की समस्या का समाधान किया जाएगा.

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दरअसल, लातेहार जिला मुख्यालय से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित परसही का बघमरी टोला अवस्थित है. यहां उरांव जनजातियों की एक अलग बस्ती है. जहां आज तक शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं हो पाई है. ग्रामीण गांव में स्थित एक पुराने कुएं पर निर्भर रहते हैं. हालांकि जब गर्मी अत्यधिक पड़ने लगती है तो यह कुआं भी सूख जाता है. इसके बाद ग्रामीणों के समक्ष पानी की व्यवस्था करने की जद्दोजहद आरंभ हो जाती है.

बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं बघमरी टोला के लोग (ईटीवी भारत)

गांव से थोड़ी दूर पर एक तालाब है, जहां चुआड़ी बनाकर ग्रामीणों को पानी लाना पड़ता है. यहां के ग्रामीण बताते हैं कि अगस्त से लेकर फरवरी मार्च तक तो किसी प्रकार कुएं से ही पानी मिल जाता है. परंतु मई और जून में पानी की घोर कमी हो जाती है. वहीं बरसात के दिनों में पानी बरसने के बाद ना तो कुएं का पानी पीने लायक रहता है और ना ही तालाब का पानी ही साफ बचता है. इस स्थिति में ग्रामीणों को लगभग 1 किलोमीटर दूर जाकर पीने का पानी लाना पड़ता है.

कई बार लगाई गुहार, परंतु नहीं हुआ समस्या का समाधान

स्थानीय ग्रामीण ननकू उरांव और आरती कुमारी ने बताया कि पानी की समस्या के समाधान के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक गुहार लगाई गई. परंतु आज तक इस गांव में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं हो पाई. ग्रामीणों ने कहा कि कई बार मुखिया से भी अनुरोध किया गया कि गांव में काम से कम एक सोलर जल मीनार लगा दिया जाए परंतु उनकी बातों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया.

ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के दिनों में पीने का पानी लाने के लिए ग्रामीणों को गांव से काफी दूर जाना पड़ता है. वहीं गर्मी के दिनों में जब कुआं सूख जाता है तो तालाब के पानी पर पूरे ग्रामीण निर्भर हो जाते हैं. हालांकि इस वर्ष समय-समय पर बारिश होने के कारण कुआं में अभी भी पानी बचा हुआ है, जिससे ग्रामीणों को कुछ सहूलियत हो रही है.

पुराने चापानल की कराई गई मरम्मत

इधर इस संबंध में लातेहार जिला परिषद अध्यक्ष पूनम देवी ने बताया कि परसही उनका गृह पंचायत है. उन्होंने कहा कि बघमरी टोला में पानी की समस्या की जानकारी होने के बाद उन्होंने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता को मामले में कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया है. उन्होंने कहा कि तत्काल में एक पुराने चापानल की मरम्मत कराई गई है. ताकि ग्रामीणों को आवश्यकता अनुसार पानी मिल सके. उन्होंने कहा कि जल्द ही यहां पेयजल की व्यवस्था कराने का प्रयास किया जा रहा है.

वहीं इस संबंध में विभागीय अभियंता ने कहा कि मामला संज्ञान में है. जल्द ही यहां सोलर आधारित जलमीनार लगाकर ग्रामीणों की समस्या का समाधान किया जाएगा.

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