चंडीगढ़ः केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में चंडीगढ़ में क्षेत्रीय विद्युत मंत्रियों का सम्मेलन (उत्तरी क्षेत्र) संपन्न हुआ. 6 घंटे तक चली बैठक में उत्तर भारत के 10 राज्यों और केंद्र शासित चंडीगढ़ के बिजली मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया. बैठक के बाद केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने बताया कि कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने पर भी चर्चा हुई है.
प्रीपेड मीटर लगाने वाले उपभोक्ताओं को बिजली बिल पर 5 फीसदी की छूट: 31 अगस्त 2026 तक सभी सरकारी कार्यालय सरकारी कॉलोनियों में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगा दिए जाएंगे. बाद में प्रीपेड स्मार्ट मीटर को घरेलू उपभोक्ताओं के लिए भी जरूरी किया जाएगा. चरणबद्ध तरीके से उद्योग जगत को भी प्रीपेड मीटर लगाया जाएगा. प्रीपेड मीटर लगाने वाले उपभोक्ताओं को बिजली बिल पर 5 फीसदी की छूट दी जाएगी.
राज्यों के सुझावों पर केंद्र सरकार विचार करेगी: केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पहले देश में राज्यों के बिजली मंत्रियों की राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस होती थी. अब केंद्र सरकार ने क्षेत्रीय स्तर पर बैठक आयोजित करने का फैसला किया है. अब तक सिक्किम, बेंगलुरु और चंडीगढ़ सहित कुल चार क्षेत्रीय बिजली कॉन्फ्रेंस आयोजित हो चुकी है. कॉन्फ्रेंस के दौरान राज्यों में बिजली के हालात, उत्पादन बढ़ोतरी, बिजली वितरण लाइन लॉसेस को कम करने पर चर्चा हुई है. इस दौरान कुछ राज्यों ने सुझाव भी दिए हैं जिन पर बिजली विभाग विचार करेगा.
आज भारत ऊर्जा के क्षेत्र में सरप्लस देश बन चुका है: केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि 2047 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को विकसित राज्य बनाने का संकल्प लिया है. इस मुहिम में बिजली विभाग "पावर फॉर ऑल" और "ऑल टाइम" की भूमिका अदा करेगा. आज भारत ऊर्जा के क्षेत्र में सरप्लस देश बन चुका है.
पीक ऑवर में बिजली की खपत बढ़ी: कॉन्फ्रेंस के दौरान पिक मोड में बिजली की उपलब्धता पर भी चर्चा हुई. पिछले साल देश में पीक आवर के दौरान 250 GW बिजली की जरूरत पड़ी थी. चालू साल में यह करीबन 270 गीगा वाट रहने का अनुमान है. केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने इसके लिए पूरी तैयारियां मुकम्मल की हुई है. इंटर स्टेट बिजली ट्रांसमिशन व्यवस्था को भी मजबूत किया जाएगा. इसमें प्राइवेट प्लेयर्स और राज्य सरकार की मर्जी के अनुसार पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप का भी इस्तेमाल किया जाएगा.
ऊर्जा के क्षेत्र में 45 लाख करोड़ का होगा निवेश: साल 2032 तक देश में ऊर्जा के क्षेत्र में 45 लाख करोड़ का निवेश होगा. केंद्र सरकार ने राज्यों की बिजली व्यवस्था में सुधार और मजबूतीकरण के लिए डेढ़ लाख करोड़ खर्च करने का फैसला किया है. यह राशि राज्यों को बिना ब्याज कर्ज के तौर पर 50 साल के लिए दी जाएगी.
ग्रीन एनर्जी से तैयार उत्पाद ही किए जायेंगे निर्यात: आज केंद्र का लाइन लॉस 16 फीसदी और राज्यों का लाइन लॉस 17 फीसदी है. केंद्र सरकार ने राज्यों को अपनी लाइन लॉस में कमी करने के निर्देश भी कांफ्रेंस के दौरान दिए हैं. बिजली चोरी रोकने पर राज्यों का मुख्य फोकस रहेगा. केंद्र सरकार देश में ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर बनाने की दिशा में भी तेजी से कम कर रही है. भविष्य में वही उत्पाद निर्यात किया जाएगा, जो ग्रीन एनर्जी से तैयार होगा. साल 2014 में देश के अंदर ग्रीन एनर्जी का उत्पादन 32 फीसदी था जो आज बढ़कर 49 फीसदी हो गया है. केंद्र सरकार की मंशा सभी राज्यों में ग्रीन कॉरिडोर बनाने की है.
समुद्री केबल से दुबई को बिजली किया जाएगा निर्यात: सब कुछ सही रहा तो केंद्र सरकार विदेशों में भी बिजली पड़ोसी देशों को निर्यात करेगी. भारत और दुबई के बीच में बिजली एक्सपोर्ट करने को लेकर एक MOU पर हस्ताक्षर हुए हैं. भारत, दुबई तक समुद्र में केबल बिछाकर लाइट पहुंचेगी. इस पर करीबन 30,000 करोड़ रुपए खर्च होंगे. यह योजना फिलहाल पाइपलाइन में है. फिलहाल भारत भूटान, म्यांमार और बांग्लादेश को बिजली निर्यात कर रहा है. नेपाल से बिजली का आयात भी होता है.
फ्री बिजली देना राज्य का मामला: कुछ राज्यों में फ्री बिजली देने के सवाल पर केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि फ्री बिजली देना राज्य का मामला है. लेकिन फ्री बिजली से राज्य की बिजली कंपनियों को नुकसान नहीं होना चाहिए. बिजली कंपनियों के नुकसान की भरपाई राज्य सरकारी अनुदान से करें.