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प्रयागराज संगम के जल से बन रही स्वादिष्ट सेवई; विदेश तक डिमांड, 6 महीने से जुटे हैं कारीगर - SEVAI IN SANGAM JAL

प्रयागराज में संगम के जल से बनी सेवईयों की डिमांड भारत ही नहीं विदेश तक है.

प्रयागराज में संगम के जल से बनती हैं सेवइयां.
प्रयागराज में संगम के जल से बनती हैं सेवइयां. (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : March 11, 2025 at 9:32 AM IST

Updated : March 11, 2025 at 9:44 AM IST

3 Min Read

प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का जल दूसरे धर्मों में भी मिठास घोल रहा है. रमजान के पवित्र महीने में यहां की सेवईयों की चर्चा न हो तो, त्योहार का स्वाद फीका पड़ जाएगा. संगम के जल से बनी प्रयागराज की सेवईयों की डिमांड सिर्फ देश में ही नहीं विदेशों तक है. यहां के नकाश कोना सेवई मंडी थोक सेवईयों के लिए मशहूर है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि यह जगह ही सेवई मंडी के नाम से प्रसिद्ध है. शहर के चौक, घंटाघर, कटरा, नूरुल्ला रोड आदि जगहों पर भी सेवईयां मिल रही हैं. इसमें सेवई दूध, तशमई, किमामी, शीर खुरमा, शरबती सेवई, सूखी सेवई, नवाबी सेवई, सूत फेनी सेवई शामिल है.

संगम के जल से बन रही सेवई: इस बार प्रयागराज महाकुंभ ने ऐसी छाप छोड़ी है, कि सेवईयां भी मां त्रिवेणी के जल से बनाई जा रही है. गंगा, यमुना और सरस्वती के मिलन वाली जगह से बीच जलधारा से पवित्र जल लाकर मैदा गूथा जा रहा है. इसी से सेवई बनाई जा रही है. संगम के जल से बनी सेवई की बाजार में खूब डिमांड है. संगम जल से बनी सेवई न सिर्फ प्रयागराज बल्कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार आदि जगहों पर भी जा रही है. संगम जल की सेवई 100 व 500 ग्राम के पैकेट में देश-विदेश सप्लाई की जा रही है.

प्रयागराज के सेवइयों की डिमांड विदेशों तक है. (Video Credit: ETV Bharat)

कई महीने पहले से शुरू हो जाता है सेवइयों का उत्पादन: मान्यता है कि ईद के दिन सेवई का सेवन इसलिए किया जाता है, ताकि आपसी तालमेल और रिश्तों में मिठास भरी जा सके. ईद पर सबसे ज्यादा किमामी सेवई मशहूर है, जो सभी घरों मे बनती है. सेवई बनाने वाले कारीगर बताते हैं कि बनाने का काम 4 से 5 महीना पहले से शुरू हो जाता है. संगम का जल पवित्र होता है और इस जल में मिठास होती है. यही वजह है कि संगम के जल से बनी सेवइयों की डिमांड रहती है. संगम जल से बनी सेवई आम पानी से बने सेवई के मुकाबले ज्यादा टिकाऊ होती है.

सीधे फैक्टरी से होती है खरीदारी: बाजार की बजाय लोग सीधे फैक्ट्री से ही सेवई खरीदना पसंद करते हैं. शुद्ध संगम जल से बनी सेवई खरीदने पहुंचे अबरार बताते हैं कि संगम के पानी में मिठास होती है. इससे जो भी बनता है, बहुत पसंद किया जाता है. मैं खुद यह खरीदने के लिए ही फैक्टरी आया हूं. हमारे रिश्तेदारों ने भी सेवई मंगाई है, इसलिए मैं सीधे फैक्ट्री से सेवई लेने आया हूं. एक और दो किलो का पैकेट बनवाकर प्रयागराज से बाहर रह रहे रिश्तेदारों को भेजेंगे, क्योंकि संगम का जल मीठा होता है और इस जल से जब मैदा गूथा जाता है, तो स्वाद निखर जाता है.

यह भी पढ़ें: मथुरा-बरसाना, बनारस होली LIVE; गोकुल में आज खेली जाएगी छड़ीमार होली, मणिकर्णिका घाट पर दोपहर में उड़ेगी चिता की भस्म - HOLI 2025

प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का जल दूसरे धर्मों में भी मिठास घोल रहा है. रमजान के पवित्र महीने में यहां की सेवईयों की चर्चा न हो तो, त्योहार का स्वाद फीका पड़ जाएगा. संगम के जल से बनी प्रयागराज की सेवईयों की डिमांड सिर्फ देश में ही नहीं विदेशों तक है. यहां के नकाश कोना सेवई मंडी थोक सेवईयों के लिए मशहूर है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि यह जगह ही सेवई मंडी के नाम से प्रसिद्ध है. शहर के चौक, घंटाघर, कटरा, नूरुल्ला रोड आदि जगहों पर भी सेवईयां मिल रही हैं. इसमें सेवई दूध, तशमई, किमामी, शीर खुरमा, शरबती सेवई, सूखी सेवई, नवाबी सेवई, सूत फेनी सेवई शामिल है.

संगम के जल से बन रही सेवई: इस बार प्रयागराज महाकुंभ ने ऐसी छाप छोड़ी है, कि सेवईयां भी मां त्रिवेणी के जल से बनाई जा रही है. गंगा, यमुना और सरस्वती के मिलन वाली जगह से बीच जलधारा से पवित्र जल लाकर मैदा गूथा जा रहा है. इसी से सेवई बनाई जा रही है. संगम के जल से बनी सेवई की बाजार में खूब डिमांड है. संगम जल से बनी सेवई न सिर्फ प्रयागराज बल्कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार आदि जगहों पर भी जा रही है. संगम जल की सेवई 100 व 500 ग्राम के पैकेट में देश-विदेश सप्लाई की जा रही है.

प्रयागराज के सेवइयों की डिमांड विदेशों तक है. (Video Credit: ETV Bharat)

कई महीने पहले से शुरू हो जाता है सेवइयों का उत्पादन: मान्यता है कि ईद के दिन सेवई का सेवन इसलिए किया जाता है, ताकि आपसी तालमेल और रिश्तों में मिठास भरी जा सके. ईद पर सबसे ज्यादा किमामी सेवई मशहूर है, जो सभी घरों मे बनती है. सेवई बनाने वाले कारीगर बताते हैं कि बनाने का काम 4 से 5 महीना पहले से शुरू हो जाता है. संगम का जल पवित्र होता है और इस जल में मिठास होती है. यही वजह है कि संगम के जल से बनी सेवइयों की डिमांड रहती है. संगम जल से बनी सेवई आम पानी से बने सेवई के मुकाबले ज्यादा टिकाऊ होती है.

सीधे फैक्टरी से होती है खरीदारी: बाजार की बजाय लोग सीधे फैक्ट्री से ही सेवई खरीदना पसंद करते हैं. शुद्ध संगम जल से बनी सेवई खरीदने पहुंचे अबरार बताते हैं कि संगम के पानी में मिठास होती है. इससे जो भी बनता है, बहुत पसंद किया जाता है. मैं खुद यह खरीदने के लिए ही फैक्टरी आया हूं. हमारे रिश्तेदारों ने भी सेवई मंगाई है, इसलिए मैं सीधे फैक्ट्री से सेवई लेने आया हूं. एक और दो किलो का पैकेट बनवाकर प्रयागराज से बाहर रह रहे रिश्तेदारों को भेजेंगे, क्योंकि संगम का जल मीठा होता है और इस जल से जब मैदा गूथा जाता है, तो स्वाद निखर जाता है.

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Last Updated : March 11, 2025 at 9:44 AM IST
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