ETV Bharat / state

उत्तराखंड में निकाय चुनाव पर संकट! विपक्ष का आरोप 'हार से डर रही सरकार', मंत्री बोले- संवैधानिक बाध्यता - Civic Election in Uttarakhand

Civic Election in Uttarakhand उत्तराखंड में 2 जून को निकायों प्रशासकों का कार्यकाल खत्म हो रहा है. ऐसे में एक तरफ सरकार ने कोर्ट में एफिडेविट दिया है तो दूसरी तरफ प्रदेश में आचार संहिता की बाध्यता बताकर बचती नजर आ रही है. तमाम तकनीकी दाव पेंचों के बीच विपक्ष का आरोप है कि बीजेपी सरकार अपनी हार को देख केवल चुनाव टालना चाहती है. उधर, शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने मामले में संवैधानिक बाध्यता होने की बात कही है.

author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 19, 2024, 8:08 AM IST

Updated : May 19, 2024, 9:40 AM IST

Civic Election in Uttarakhand
उत्तराखंड में निकाय चुनाव (फोटो- ईटीवी भारत ग्राफिक्स)
उत्तराखंड में निकाय चुनाव पर संकट! (वीडियो- ईटीवी भारत)

देहरादून: उत्तराखंड के 102 निकायों का कार्यकाल 2 दिसंबर 2023 को खत्म हो चुका है. ऐसे में सरकार ने निकायों पर अगले 6 महीने तक के लिए प्रशासक बैठा दिए हैं. ऐसे में चुनाव में देरी को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है. विपक्ष का कहना है कि बीजेपी को हार सता रही है, जिस वजह से चुनाव टालना चाहती है. वहीं, संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने निकाय चुनाव में देरी को संवैधानिक मजबूरी करार दिया है.

बता दें कि उत्तराखंड में निकाय चुनाव को समय से करवाने के लिए नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका भी डाली गई थी. जिस पर हाईकोर्ट ने भी सख्त रुख अपनाते हुए प्रशासकों के कार्यकाल खत्म होने यानी 2 जून से पहले सरकार को उत्तराखंड में निकाय चुनाव कराने को लेकर सख्त आदेश दिए. जिस पर सरकार ने भी गंभीरता दिखाते हुए कोर्ट में हलफनामा दिया गया कि वो 2 जून से पहले निकाय चुनाव करवा देगी, लेकिन अब ऐसी स्थिति बनती नजर नहीं आ रही है.

हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सरकार ने दिया हलफनामा, लेकिन नहीं की तैयारी: नैनीताल हाईकोर्ट की सख्ती के निकाय चुनाव को समय से करवाने को लेकर के 9 जनवरी 2024 को सरकार ने एक एफिडेविट दिया. जिसके जरिए आश्वासन दिया कि प्रशासकों के 6 महीने के कार्यकाल पूरा होने से पहले निकाय चुनाव संपन्न करवा दिए जाएंगे, लेकिन इसके बावजूद भी सरकार निकाय चुनाव करवाने को लेकर के कुछ खास गंभीर नजर नहीं आई.

पूरे देश में 15 मार्च 2024 को लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लग गई. यह आचार संहिता 6 जून 2024 तक लागू रहेगी. इसके बीच यानी 2 जून 2024 को उत्तराखंड में निकायों में नियुक्त किए गए प्रशासकों का कार्यकाल पूरा हो रहा है. अब सरकार आचार संहिता का बहाना बना रही है.

हालांकि, विपक्ष का कहना है कि 9 जनवरी 2024 को सरकार की ओर से हाईकोर्ट में समय से निकाय चुनाव कराने को लेकर के एफिडेविट देने के बाद भी सरकार ने आचार संहिता लगने की तारीख 15 मार्च 2024 तक किसी तरह की कोई तैयारी नहीं की गई.

अधिवक्ता और कांग्रेस के नेता अभिनव थापर का कहना है कि निकाय चुनाव कराने से पहले सरकार को आरक्षण को लेकर के होमवर्क करना चाहिए था. इसके साथ ही मतदाता सूची को अपडेट करना था, लेकिन इस तरह का कोई भी अभ्यास इस दौरान नहीं किया गया.

अब संवैधानिक बाध्यता के चलते बढ़ाया जाएगा प्रशासकों का समय: बरहाल, उत्तराखंड में निकायों के 2 दिसंबर 2023 को खत्म हुए कार्यकाल के बाद तैनात किए गए प्रशासकों के 6 महीने का समय भी अब 2 जून 2024 को खत्म होने को आ रहा है. जबकि, प्रदेश में अभी आचार संहिता लागू है.

शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने गिनाई मजबूरियां: जिस तरह का अंदेशा था कि सरकार आचार संहिता की आड़ में एक बार फिर से निकाय चुनाव टाल देगी, कुछ ऐसा ही देखने को भी मिला. शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल से जब निकाय चुनाव को लेकर के सवाल किया गया तो उनका कहा था कि हमारी संवैधानिक बाध्यता है.

उत्तराखंड में आचार संहिता लागू है, ऐसे में चुनाव नहीं हो पाए और आचार संहिता 6 जून 2024 तक लागू रहेगा. जबकि, प्रशासकों का समय 2 जून 2024 को खत्म हो रहा है. ऐसे में सरकार मजबूर है कि प्रशासकों का समय बढ़ा दिया जाए. शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने से पूरी तरह से संवैधानिक मजबूरी करार दिया है.

कब होंगे उत्तराखंड में निकाय चुनाव? आखिर उत्तराखंड में निकाय चुनाव कब होंगे? यह सवाल बना हुआ है. सरकार की मानें तो 6 जून को आचार संहिता हटने के बाद किसी भी समय निकाय चुनाव करवाने को लेकर पूरी तरह से तैयार है. इसी तरह से उत्तराखंड में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी की बात करें तो निकाय चुनाव को लेकर भी संगठन स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है.

उधर, विपक्ष को कुछ और ही डर सता रहा है. विपक्ष का साफतौर से कहना है कि सरकार निकाय चुनाव को अब लोकसभा चुनाव के बाद ही करवाएगी. क्योंकि, सरकार और बीजेपी दोनों ही प्रदेश में अपनी धूमिल छवि से बचने के लिए इसे विधानसभा उपचुनाव के बाद करवाने के मूड में है.

कांग्रेसी बोली- सरकार अब चारधाम, मानसून आदि का बनाएगी बहाना: कांग्रेस नेता और अधिवक्ता अभिनव थापर ने का कहना है कि सरकार अभी प्रशासकों का समय बढ़ा रही है. इसके बाद सरकार प्रदेश में चारधाम यात्रा और फिर मानसून सीजन का बहाना बनाएगी. इस चुनाव को अक्टूबर या नवंबर में बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा उपचुनाव के बाद करवाएगी.

ये भी पढ़ें-

उत्तराखंड में निकाय चुनाव पर संकट! (वीडियो- ईटीवी भारत)

देहरादून: उत्तराखंड के 102 निकायों का कार्यकाल 2 दिसंबर 2023 को खत्म हो चुका है. ऐसे में सरकार ने निकायों पर अगले 6 महीने तक के लिए प्रशासक बैठा दिए हैं. ऐसे में चुनाव में देरी को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है. विपक्ष का कहना है कि बीजेपी को हार सता रही है, जिस वजह से चुनाव टालना चाहती है. वहीं, संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने निकाय चुनाव में देरी को संवैधानिक मजबूरी करार दिया है.

बता दें कि उत्तराखंड में निकाय चुनाव को समय से करवाने के लिए नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका भी डाली गई थी. जिस पर हाईकोर्ट ने भी सख्त रुख अपनाते हुए प्रशासकों के कार्यकाल खत्म होने यानी 2 जून से पहले सरकार को उत्तराखंड में निकाय चुनाव कराने को लेकर सख्त आदेश दिए. जिस पर सरकार ने भी गंभीरता दिखाते हुए कोर्ट में हलफनामा दिया गया कि वो 2 जून से पहले निकाय चुनाव करवा देगी, लेकिन अब ऐसी स्थिति बनती नजर नहीं आ रही है.

हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सरकार ने दिया हलफनामा, लेकिन नहीं की तैयारी: नैनीताल हाईकोर्ट की सख्ती के निकाय चुनाव को समय से करवाने को लेकर के 9 जनवरी 2024 को सरकार ने एक एफिडेविट दिया. जिसके जरिए आश्वासन दिया कि प्रशासकों के 6 महीने के कार्यकाल पूरा होने से पहले निकाय चुनाव संपन्न करवा दिए जाएंगे, लेकिन इसके बावजूद भी सरकार निकाय चुनाव करवाने को लेकर के कुछ खास गंभीर नजर नहीं आई.

पूरे देश में 15 मार्च 2024 को लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लग गई. यह आचार संहिता 6 जून 2024 तक लागू रहेगी. इसके बीच यानी 2 जून 2024 को उत्तराखंड में निकायों में नियुक्त किए गए प्रशासकों का कार्यकाल पूरा हो रहा है. अब सरकार आचार संहिता का बहाना बना रही है.

हालांकि, विपक्ष का कहना है कि 9 जनवरी 2024 को सरकार की ओर से हाईकोर्ट में समय से निकाय चुनाव कराने को लेकर के एफिडेविट देने के बाद भी सरकार ने आचार संहिता लगने की तारीख 15 मार्च 2024 तक किसी तरह की कोई तैयारी नहीं की गई.

अधिवक्ता और कांग्रेस के नेता अभिनव थापर का कहना है कि निकाय चुनाव कराने से पहले सरकार को आरक्षण को लेकर के होमवर्क करना चाहिए था. इसके साथ ही मतदाता सूची को अपडेट करना था, लेकिन इस तरह का कोई भी अभ्यास इस दौरान नहीं किया गया.

अब संवैधानिक बाध्यता के चलते बढ़ाया जाएगा प्रशासकों का समय: बरहाल, उत्तराखंड में निकायों के 2 दिसंबर 2023 को खत्म हुए कार्यकाल के बाद तैनात किए गए प्रशासकों के 6 महीने का समय भी अब 2 जून 2024 को खत्म होने को आ रहा है. जबकि, प्रदेश में अभी आचार संहिता लागू है.

शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने गिनाई मजबूरियां: जिस तरह का अंदेशा था कि सरकार आचार संहिता की आड़ में एक बार फिर से निकाय चुनाव टाल देगी, कुछ ऐसा ही देखने को भी मिला. शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल से जब निकाय चुनाव को लेकर के सवाल किया गया तो उनका कहा था कि हमारी संवैधानिक बाध्यता है.

उत्तराखंड में आचार संहिता लागू है, ऐसे में चुनाव नहीं हो पाए और आचार संहिता 6 जून 2024 तक लागू रहेगा. जबकि, प्रशासकों का समय 2 जून 2024 को खत्म हो रहा है. ऐसे में सरकार मजबूर है कि प्रशासकों का समय बढ़ा दिया जाए. शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने से पूरी तरह से संवैधानिक मजबूरी करार दिया है.

कब होंगे उत्तराखंड में निकाय चुनाव? आखिर उत्तराखंड में निकाय चुनाव कब होंगे? यह सवाल बना हुआ है. सरकार की मानें तो 6 जून को आचार संहिता हटने के बाद किसी भी समय निकाय चुनाव करवाने को लेकर पूरी तरह से तैयार है. इसी तरह से उत्तराखंड में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी की बात करें तो निकाय चुनाव को लेकर भी संगठन स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है.

उधर, विपक्ष को कुछ और ही डर सता रहा है. विपक्ष का साफतौर से कहना है कि सरकार निकाय चुनाव को अब लोकसभा चुनाव के बाद ही करवाएगी. क्योंकि, सरकार और बीजेपी दोनों ही प्रदेश में अपनी धूमिल छवि से बचने के लिए इसे विधानसभा उपचुनाव के बाद करवाने के मूड में है.

कांग्रेसी बोली- सरकार अब चारधाम, मानसून आदि का बनाएगी बहाना: कांग्रेस नेता और अधिवक्ता अभिनव थापर ने का कहना है कि सरकार अभी प्रशासकों का समय बढ़ा रही है. इसके बाद सरकार प्रदेश में चारधाम यात्रा और फिर मानसून सीजन का बहाना बनाएगी. इस चुनाव को अक्टूबर या नवंबर में बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा उपचुनाव के बाद करवाएगी.

ये भी पढ़ें-

Last Updated : May 19, 2024, 9:40 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.