देहरादून: उत्तराखंड में पुष्कर धामी सरकार ने हरिद्वार देहरादून, नैनीताल और रुद्रपुर के कुछ इलाकों के नाम बदलने की घोषणा की है. इसके बाद विशेष तौर पर देहरादून के मियांवाला का नाम बदले जाने को लेकर सियासत शुरू हो गई है.
भाजपा सरकार ने जिन स्थानों के नाम बदले हैं, उनमें से अधिकतर के नाम मुस्लिम शब्दावली से जुड़े हुए हैं. कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने मियांवाला का नाम बदले जाने की कड़ी आलोचना की है. पार्टी के प्रदेश महामंत्री और राज्य आंदोलनकारी राजेंद्र शाह का कहना है कि दरअसल सरकार को इतिहास की जानकारी नहीं है. नाम बदलने से पहले सरकार को इतिहास की जानकारी ले लेनी चाहिए थी.
उन्होंने कहा कि स्थान के नाम बदलने वाले जो भी लोग इसमें शामिल थे, उन्हें पहले इतिहास की जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने विशेष तौर पर मियांवाला शब्दावली को बदलने पर अपनी आपत्ति जताई है. राजेंद्र शाह का कहना है कि आजादी से पूर्व दो परिवार टिहरी से विस्थापित होकर देहरादून आए थे, जिसमें एक रांगड़ परिवार और एक मियांवाला परिवार शामिल था. उस समय टिहरी रियासत में मियां परिवार ठाकुर हुआ करते थे.मियां जाति के इसी प्रकार के ठाकुर हिमाचल प्रदेश, और जम्मू कश्मीर में भी रहे. लेकिन जब मियां परिवार टिहरी से देहरादून आया, उस समय देहरादून मे बसावट बहुत कम हुआ करती थी.
जब लगातार लोग आते रहे तो इस जगह को मियांवाला के नाम से संबोधित किया जाने लगा. राजेंद्र शाह का कहना है कि शायद सरकार को यह लगा होगा कि यह नाम मुस्लिम शब्दावली से जुड़ा है. इसलिए इस नाम को परिवर्तित कर दिया गया. उनका कहना है कि सरकार ने दरअसल जानकारी के अभाव में मियांवाला का नाम बदल दिया है. इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी का कहना है कि नाम बदलने से प्रदेश का कुछ भला नहीं होने वाला है. उन्होंने सवाल उठाया कि प्रदेश की धामी सरकार उत्तर प्रदेश की राजनीति को उत्तराखंड में लाकर क्यों इस तरह की राजनीति को आगे बढ़ा रही है, यह समझ से परे है.
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