ETV Bharat / state

क्या कन्हैया कुमार ने हाईजैक किया तेजस्वी यादव का एजेंडा? - KANHAIYA KUMAR

बिहार चुनाव में रोजगार और पलायन बड़ा मुद्दा बन चुका है. तेजस्वी और कन्हैया दोनों इस एजेंडे पर जनता को साधने में जुटे हैं.

तेजस्वी यादव और कन्हैया कुमार
तेजस्वी यादव और कन्हैया कुमार (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : April 10, 2025 at 10:42 PM IST

7 Min Read

पटना : इसी साल बिहार विधानसभा का चुनाव होना है. यही कारण है कि सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सबके एजेंडे में रोजगार आ गया है. पलायन और रोजगार को लेकर विपक्षी इंडिया गठबंधन के दो दलों राजद और कांग्रेस एक दूसरे से आगे जाने की तैयारी में हैं.

तेजस्वी यादव का वादा : 2020 विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने बिहार के लोगों से वादा किया था कि उनकी सरकार बनने पर पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को नौकरी का एलान होगा. लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में मात्र कुछ सीटों से तेजस्वी के हाथ सत्ता नहीं आ सकी. नीतीश कुमार के नेतृत्व में फिर से बिहार में फिर से NDA की सरकार बनी.

तेजस्वी का रोजगार मॉडल : 2022 में नीतीश कुमार एनडीए से अलग होकर महागठबंधन के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाने का फैसला लिया. नीतीश कुमार की अगुवाई में फिर से बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी जिसमें जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस, वामपंथी दलों एवं जीतनराम मांझी की पार्टी यानी 7 दलों की सरकार का गठन हुआ. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री और तेजस्वी प्रसाद यादव उपमुख्यमंत्री बने. बिहार में महागठबंधन का यह सरकार बिहार में 17 महीना तक रहा जिसमें रोजगार को लेकर अनेक कदम उठाए गए. शिक्षा विभाग स्वास्थ्य विभाग में लाखों बेरोजगारों की नियुक्ति हुई.

ETV Bharat
तेजस्वी यादव (ETV Bharat)

4 लाख नौकरी का दावा : अपने 17 महीने के कार्यकाल को तेजस्वी यादव ने बिहार में रोजगार के कार्यकाल के रूप में लोगों के बीच प्रचारित किया. तेजस्वी यादव बिहार के लोगों के बीच अपने 17 महीने के कार्यकाल में जिस तरीके से नौकरी एवं रोजगार दिया गया, उसको लेकर नीतीश कुमार एवं एनडीए की सरकार पर सवाल उठाते रहे. तेजस्वी यादव रोजगार के मामले पर बिहार की सरकार पर सवाल उठाते हुए कई सार्वजनिक मंचों से कहते आ रहे हैं कि उनके 17 महीने के कार्यकाल में जितना रोजगार दिया गया उतना नीतीश कुमार के शासन के 17 वर्षों में नहीं दिया गया.

कन्हैया का पलायन रोको नौकरी दो यात्रा : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपने युवा चेहरे कन्हैया को बिहार में लॉन्च किया. युवा और छात्र कांग्रेस के बैनर तले कन्हैया कुमार बिहार में "पलायन रोको नौकरी दो यात्रा" की शुरु की. पश्चिम चंपारण के भितिहरवा आश्रम से यह पदयात्रा शुरू किया गया. जो तिरहुत, मिथिलांचल, कोशी और सीमांचल होते हुए पटना पहुंची है. राजधानी में कन्हैया के पदयात्रा का समापन होगा. इस पदयात्रा के बहाने कन्हैया बिहार से हो रहे पलायन और रोजगार को लेकर बिहार सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की तैयारी शुरू कर दी.

कन्हैया कुमार की प्रेस कॉन्फ्रेंस
कन्हैया कुमार की प्रेस कॉन्फ्रेंस (ETV Bharat)

तेजस्वी के मुद्दे को ले उड़े कन्हैया? : बिहार में रोजगार एवं नौकरी को लेकर तेजस्वी यादव 2020 से मुद्दा बनाये हुए हैं. 17 महीने के कार्यकाल में बिहार सरकार के द्वारा दी गई नौकरी का क्रेडिट लालू प्रसाद हों या खुद तेजस्वी या राजद के अन्य नेता तेजस्वी को देती रही है. उसी को लेकर राजद 2025 विधानसभा की चुनाव की तैयारी कर रही है. अब इसी रोजगार और पलायन के मुद्दे पर कांग्रेस ने अपने युवा नेता कन्हैया को बिहार की राजनीति में सक्रिय कर दिया है. तेजस्वी के द्वारा बनाये गए मुद्दे को लेकर कन्हैया बिहार में पदयात्रा निकाले हैं.

सभी को साथ देने की अपील : पलायन और रोजगार के मुद्दे पर कांग्रेस और राजद इसे अपने मुद्दा बता रही है. लेकिन इस मुद्दे पर कन्हैया ने बिहार के सभी नेताओं से उनके पदयात्रा में शामिल होने की अपील की. तेजस्वी यादव के बिना नाम लिए कन्हैया ने कहा कि ''वो भी बिना बुलाए इस यात्रा में शामिल हुए. बिहार के सभी नेता इस पदयात्रा में शामिल होते हैं तो यह अच्छी बात होगी."

रोजगार है तेजस्वी का मुद्दा : राजद का मानना है कि रोजगार को लेकर बिहार में तेजस्वी ने सबसे पहले बोलना शुरू किया. राजद के प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि रोजगार हमलोगों का एजेंडा नहीं है बल्कि महागठबंधन की सोच है.तेजस्वी यादव के नेतृत्व में जिस तरह से रोजगार का रोडमैप बनाया गया उसको वर्तमान सरकार ने रोक दिया. यही काम राजद कर रही है. कन्हैया के पदयात्रा पर एजाज अहमद का कहना है कि ''रोजगार तेजस्वी यादव का एजेंडा है, कन्हैया हों या NDA के दल हों वो सभी तेजस्वी के एजेंडे पर ही चल रहे हैं.''

कांग्रेस का जवाब : रोजगार के मुद्दे पर कांग्रेस के प्रवक्ता ज्ञान रंजन का कहना है कि ''बिहार के जो मुद्दे हैं वो सभी उठाएंगे, चाहे वो तेजस्वी यादव हों या अन्य राजनीतिक दल के नेता.18 वर्ष में बिहार से पलायन हुआ यह सत्य है. जहां तक तेजस्वी के मुद्दे की बात है तो यह स्पष्ट है कि हम महागठबंधन में हैं. सभी राजनीतिक दल अपने पार्टी का विचार और विस्तार कर सकता है.बिहार में कांग्रेस मजबूत होगी तो बिहार मजबूत होगा. बिहार की तस्वीर बदलने के लिए कांग्रेस संघर्ष कर रही है."बिहार में अब कांग्रेस अब A टीम बनकर बैटिंग, बॉलिंग और फील्डिंग कर रही है."

ETV Bharat
राहुल गांधी कन्हैया कुमार (ETV Bharat)

रोजगार को मुद्दा बनाने का मायने : वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय का कहना है कि बिहार में पिछले 35 वर्षों से लालू प्रसाद और नीतीश कुमार का शासन रहा है. बिहार में सबसे ज्यादा पलायन इन्हीं 35 वर्षों में हुआ है. पिछले 20 वर्षों से नीतीश कुमार की सरकार है जिसे जदयू के लोग सुशासन की सरकार बताती है. 2020 के चुनाव में तेजस्वी यादव ने पहलीबार रोजगार को मुद्दा बनाया. जिसका उनको राजनीतिक फायदा भी मिला. सुनील पांडेय का मानना है कि 2022 में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद बिहार की सरकार ने रोजगार को प्राथमिकता में रखा. यही कारण है कि 17 महीने के अपने कार्यकाल की उपलब्धि को राजद तेजस्वी की उपलब्धि बता रहा है.

कन्हैया की रणनीति : सुनील पांडेय का कहना है कि कांग्रेस को लग रहा है कि रोजगार और पलायन के मुद्दे को लेकर वह बिहार की अपनी खोई राजनीतिक जमीन को वापस पा सकते हैं. यही कारण है कि कांग्रेस ने बिहार की राजनीति में कन्हैया को सक्रिय किया है. कांग्रेस को लग रहा कि तेजस्वी के मुकाबले कन्हैया एक अच्छा चेहरा बन सकता है. सुनील पांडेय का मानना है कि ''कन्हैया एक अच्छे वक्ता हैं, युवाओं के बीच उनकी अच्छी पकड़ है. यही कारण है कांग्रेस ने राजद के न चाहते हुए भी कन्हैया को तेजस्वी के उठाये मुद्दे को लेकर बिहार के युवाओं के बीच भेजा."

ये भी पढ़ें-

पटना : इसी साल बिहार विधानसभा का चुनाव होना है. यही कारण है कि सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सबके एजेंडे में रोजगार आ गया है. पलायन और रोजगार को लेकर विपक्षी इंडिया गठबंधन के दो दलों राजद और कांग्रेस एक दूसरे से आगे जाने की तैयारी में हैं.

तेजस्वी यादव का वादा : 2020 विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने बिहार के लोगों से वादा किया था कि उनकी सरकार बनने पर पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को नौकरी का एलान होगा. लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में मात्र कुछ सीटों से तेजस्वी के हाथ सत्ता नहीं आ सकी. नीतीश कुमार के नेतृत्व में फिर से बिहार में फिर से NDA की सरकार बनी.

तेजस्वी का रोजगार मॉडल : 2022 में नीतीश कुमार एनडीए से अलग होकर महागठबंधन के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाने का फैसला लिया. नीतीश कुमार की अगुवाई में फिर से बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी जिसमें जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस, वामपंथी दलों एवं जीतनराम मांझी की पार्टी यानी 7 दलों की सरकार का गठन हुआ. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री और तेजस्वी प्रसाद यादव उपमुख्यमंत्री बने. बिहार में महागठबंधन का यह सरकार बिहार में 17 महीना तक रहा जिसमें रोजगार को लेकर अनेक कदम उठाए गए. शिक्षा विभाग स्वास्थ्य विभाग में लाखों बेरोजगारों की नियुक्ति हुई.

ETV Bharat
तेजस्वी यादव (ETV Bharat)

4 लाख नौकरी का दावा : अपने 17 महीने के कार्यकाल को तेजस्वी यादव ने बिहार में रोजगार के कार्यकाल के रूप में लोगों के बीच प्रचारित किया. तेजस्वी यादव बिहार के लोगों के बीच अपने 17 महीने के कार्यकाल में जिस तरीके से नौकरी एवं रोजगार दिया गया, उसको लेकर नीतीश कुमार एवं एनडीए की सरकार पर सवाल उठाते रहे. तेजस्वी यादव रोजगार के मामले पर बिहार की सरकार पर सवाल उठाते हुए कई सार्वजनिक मंचों से कहते आ रहे हैं कि उनके 17 महीने के कार्यकाल में जितना रोजगार दिया गया उतना नीतीश कुमार के शासन के 17 वर्षों में नहीं दिया गया.

कन्हैया का पलायन रोको नौकरी दो यात्रा : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपने युवा चेहरे कन्हैया को बिहार में लॉन्च किया. युवा और छात्र कांग्रेस के बैनर तले कन्हैया कुमार बिहार में "पलायन रोको नौकरी दो यात्रा" की शुरु की. पश्चिम चंपारण के भितिहरवा आश्रम से यह पदयात्रा शुरू किया गया. जो तिरहुत, मिथिलांचल, कोशी और सीमांचल होते हुए पटना पहुंची है. राजधानी में कन्हैया के पदयात्रा का समापन होगा. इस पदयात्रा के बहाने कन्हैया बिहार से हो रहे पलायन और रोजगार को लेकर बिहार सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की तैयारी शुरू कर दी.

कन्हैया कुमार की प्रेस कॉन्फ्रेंस
कन्हैया कुमार की प्रेस कॉन्फ्रेंस (ETV Bharat)

तेजस्वी के मुद्दे को ले उड़े कन्हैया? : बिहार में रोजगार एवं नौकरी को लेकर तेजस्वी यादव 2020 से मुद्दा बनाये हुए हैं. 17 महीने के कार्यकाल में बिहार सरकार के द्वारा दी गई नौकरी का क्रेडिट लालू प्रसाद हों या खुद तेजस्वी या राजद के अन्य नेता तेजस्वी को देती रही है. उसी को लेकर राजद 2025 विधानसभा की चुनाव की तैयारी कर रही है. अब इसी रोजगार और पलायन के मुद्दे पर कांग्रेस ने अपने युवा नेता कन्हैया को बिहार की राजनीति में सक्रिय कर दिया है. तेजस्वी के द्वारा बनाये गए मुद्दे को लेकर कन्हैया बिहार में पदयात्रा निकाले हैं.

सभी को साथ देने की अपील : पलायन और रोजगार के मुद्दे पर कांग्रेस और राजद इसे अपने मुद्दा बता रही है. लेकिन इस मुद्दे पर कन्हैया ने बिहार के सभी नेताओं से उनके पदयात्रा में शामिल होने की अपील की. तेजस्वी यादव के बिना नाम लिए कन्हैया ने कहा कि ''वो भी बिना बुलाए इस यात्रा में शामिल हुए. बिहार के सभी नेता इस पदयात्रा में शामिल होते हैं तो यह अच्छी बात होगी."

रोजगार है तेजस्वी का मुद्दा : राजद का मानना है कि रोजगार को लेकर बिहार में तेजस्वी ने सबसे पहले बोलना शुरू किया. राजद के प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि रोजगार हमलोगों का एजेंडा नहीं है बल्कि महागठबंधन की सोच है.तेजस्वी यादव के नेतृत्व में जिस तरह से रोजगार का रोडमैप बनाया गया उसको वर्तमान सरकार ने रोक दिया. यही काम राजद कर रही है. कन्हैया के पदयात्रा पर एजाज अहमद का कहना है कि ''रोजगार तेजस्वी यादव का एजेंडा है, कन्हैया हों या NDA के दल हों वो सभी तेजस्वी के एजेंडे पर ही चल रहे हैं.''

कांग्रेस का जवाब : रोजगार के मुद्दे पर कांग्रेस के प्रवक्ता ज्ञान रंजन का कहना है कि ''बिहार के जो मुद्दे हैं वो सभी उठाएंगे, चाहे वो तेजस्वी यादव हों या अन्य राजनीतिक दल के नेता.18 वर्ष में बिहार से पलायन हुआ यह सत्य है. जहां तक तेजस्वी के मुद्दे की बात है तो यह स्पष्ट है कि हम महागठबंधन में हैं. सभी राजनीतिक दल अपने पार्टी का विचार और विस्तार कर सकता है.बिहार में कांग्रेस मजबूत होगी तो बिहार मजबूत होगा. बिहार की तस्वीर बदलने के लिए कांग्रेस संघर्ष कर रही है."बिहार में अब कांग्रेस अब A टीम बनकर बैटिंग, बॉलिंग और फील्डिंग कर रही है."

ETV Bharat
राहुल गांधी कन्हैया कुमार (ETV Bharat)

रोजगार को मुद्दा बनाने का मायने : वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय का कहना है कि बिहार में पिछले 35 वर्षों से लालू प्रसाद और नीतीश कुमार का शासन रहा है. बिहार में सबसे ज्यादा पलायन इन्हीं 35 वर्षों में हुआ है. पिछले 20 वर्षों से नीतीश कुमार की सरकार है जिसे जदयू के लोग सुशासन की सरकार बताती है. 2020 के चुनाव में तेजस्वी यादव ने पहलीबार रोजगार को मुद्दा बनाया. जिसका उनको राजनीतिक फायदा भी मिला. सुनील पांडेय का मानना है कि 2022 में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद बिहार की सरकार ने रोजगार को प्राथमिकता में रखा. यही कारण है कि 17 महीने के अपने कार्यकाल की उपलब्धि को राजद तेजस्वी की उपलब्धि बता रहा है.

कन्हैया की रणनीति : सुनील पांडेय का कहना है कि कांग्रेस को लग रहा है कि रोजगार और पलायन के मुद्दे को लेकर वह बिहार की अपनी खोई राजनीतिक जमीन को वापस पा सकते हैं. यही कारण है कि कांग्रेस ने बिहार की राजनीति में कन्हैया को सक्रिय किया है. कांग्रेस को लग रहा कि तेजस्वी के मुकाबले कन्हैया एक अच्छा चेहरा बन सकता है. सुनील पांडेय का मानना है कि ''कन्हैया एक अच्छे वक्ता हैं, युवाओं के बीच उनकी अच्छी पकड़ है. यही कारण है कांग्रेस ने राजद के न चाहते हुए भी कन्हैया को तेजस्वी के उठाये मुद्दे को लेकर बिहार के युवाओं के बीच भेजा."

ये भी पढ़ें-

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.