लखनऊ: महात्मा ज्योतिबा फुले और माता सावित्री बाई फुले की जीवनी पर आधारित फिल्म पर सेंसर बोर्ड की ओर से रोक लगाने के बाद से यूपी में सियासी पारा चढ़ गया है. सोमवार को आम आदमी पार्टी ने प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय पर फुले फिल्म के रिलीज पर लगाई गई रोक के विरोध में केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया. राजधानी लखनऊ के जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा पर आप कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध मार्च का आयोजन किया. इस दौरान पुलिस और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच जमकर धक्का मुक्की और नोक झोंक हुई. जिसके बाद पुलिस ने आप कार्यकर्ताओं को टांगकर ले गई. आप कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया है.
बता दें कि आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत जीपीओ पर इकट्ठा होना शुरू हुए उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करना शुरू कर दिया. उनका आरोप था कि केंद्र सरकार जानबूझकर इस फिल्म पर रोक लगा रही है. ये रोक लगाना केंद्र सरकार के दलित विरोधी मानसिकता को उजागर करती है.
पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता महेंद्र सिंह ने बताया कि ये प्रदर्शन लखनऊ सहित प्रदेश के सभी 75 जिलों के जिला मुख्यालयों पर आयोजित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पहले फिल्म 11 अप्रैल को रिलीज होने वाली थी पर केंद्र सरकार ने अपने सेंसर बोर्ड के जरिए इस रोक लगा दी है. जिसको पार्टी ने अन्यायपूर्ण और दलित विरोधी मानसिकता का उदाहरण बताया है.
आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने हाथों में माता सावित्रीबाई फुले अमर रहे जैसे नारे लिखे तख्तियां लेकर हजरतगंज पर प्रदर्शन करने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारे लगाने लगे. आप कार्यकर्ताओं की भीड़ को देखने के बाद पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया. जिस दौरान पुलिस और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच में झड़प शुरू हो गई. जिसके बाद पुलिस एक-एक कार्यकर्ता को जबरदस्ती उठाकर गाड़ियों में भरकर गार्डन भेज दिया.
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