पटना: बिहार को ऊर्जा क्षेत्र में बड़ी सौगात मिलने जा रही है. देश का दूसरा सबसे बड़ा सुपर थर्मल पावर यूनिट औरंगाबाद में स्थापित होगा, जिसका शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. 29,900 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनने वाली इस परियोजना में 800 मेगावाट की तीन यूनिट शामिल होंगी, जो कुल 2,400 मेगावाट बिजली उत्पादन करेंगी. बिहार सरकार ने इस परियोजना के लिए एनटीपीसी के साथ 1,500 मेगावाट बिजली आपूर्ति का समझौता किया है. ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव ने बताया कि बिहार में बिजली की कमी जल्द ही इतिहास होगी और ये परियोजना हर सेक्टर के लिए लाभकारी होगी.
ऊर्जा मंत्री ने की वन नेशन, वन टैरिफ की मांग: ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव ने कहा कि हमलोगों की मांग वन नेशन, वन टैरिफ की रही है, आने वाले समय में उस पर भी बात होगी. बिजेंद्र यादव ने कहा कि जब वन नेशन, वन टैक्स हो गया, तो वन नेशन, वन टैरिफ भी होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब बिहार को बिजली सस्ती मिलेगी तो बिहार के लोगों को भी सरकार सस्ते में बिजली उपलब्ध कराएगी.
'किसानों को 92% का अनुदान मिल रहा': बिजेंद्र यादव ने कहा इस साल 13,484 करोड़ रुपए का बजट पास कराया गया है. किसानों को 92 फीसदी अनुदान देकर मात्र 55 पैसे यूनिट पर बिजली दी जा रही है. 2274 कृषि फीडर बन चुके हैं. अब तक 581000 किसानों को मुफट कनेक्शन दिया गया है. उन्होंने आगे कहा कि बरौनी, कांटी, बाढ़ और नवीनगर से बिजली का उत्पादन हो रहा है. बिजली सेवाओं केआधुनिकीकरण पर सरकार 7305 करोड़ रुपए खर्च कर रही है. पटना में ही 296 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं जिससे बिजली की स्थिति और बेहतर होगी.
'लखीसराय के कजरा में बन रहा है सोलर प्लांट': ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव के अनुसार, दिसंबर 2024 तक 10433 सरकारी भवनों पर 94.34 मेगावाट सोलर बिजली उत्पादित हो रही थी. वहीं 5683 निजी भवनों से 21 मेगावाट सोलर बिजली उत्पादित की जा रही थी. लखीसराय के कजरा में प्रदेश का सबसे बड़ा सोलर प्लांट इसी साल बनकर तैयार हो जाएगा. इससे 185 मेगावाट मिल सकेगी.
सरकार बिजली पर सबको दे रही है अनुदान: बिहार में ग्रामीण इलाकों के लोगों को 7.42 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली की आपूर्ति की जा रही है, जिसमें अनुदान 4.97 रुपए प्रति यूनिट का दिया जा रहा है. उपभोक्ताओं को मात्र 2.45 रुपए प्रति यूनिट के दर से ही भुगतान करना पड़ रहा है. वहीं शहरी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 7.42 रुपए प्रति यूनिट की बिजली दर निर्धारित है. उसमें भी सरकार की तरफ से 3.30 रुपए प्रति यूनिट अनुदान दिया जा रहा है. यानि शहरी उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट मात्र 4.12 रुपए प्रति यूनिट का ही भुगतान करना पड़ रहा है. वहीं सरकार किसानों को 6.019 रुपए प्रति यूनिट अनुदान दे रही है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र के व्यावसायिक उपभोक्ताओं को भी 4.44 रुपए प्रति यूनिट अनुदान दे रही है और इसके कारण सरकार को हर साल 15343 करोड़ रुपए खर्च करना पड़ रहा है.
2005 से 2025 तक में बिजली में बड़ा बदलाव: बिहार में 2005 में केवल 17 लाख उपभोक्ता थे. 2025 में उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ कर दो करोड़ 12 लाख हो गई. सब स्टेशन 2005 में 368 थे, जो बढ़कर 1263 हो गए. वहीं ग्रिड 45 थे, उनकी संख्या बढ़कर 170 हो गई है. 2005 में बिजली का नुकसान 59.2% होता था, जो अब घटकर 15.5 फ़ीसदी रह गया है. बिजली की खपत की बात करें तो, पहले प्रति व्यक्ति खपत 70 यूनिट था, जो बढ़कर 363 यूनिट हो गया है. वहीं कुल खपत की बात करें तो 2005 में ये 700 मेगावाट था, जो अब बढ़कर 8005 मेगावाट तक पहुंच गया है.
62 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर इंस्टॉल: बिहार में 62 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लग चुके हैं. अभी हाल ही में 1 अप्रैल से सरकार ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर वाले उपभोक्ताओं के लिए 25 पैसे प्रति यूनिट बिजली सस्ती की है. ग्रामीण इलाकों के उपभोक्ताओं को भी 1 अप्रैल से 54 पैसे प्रति यूनिट सस्ती बिजली दी जा रही है. सरकार का दावा है कि कंपनी से 5.43 रुपए प्रति यूनिट सरकार बिजली खरीद रही है, लेकिन उसे लोगों तक पहुंचाने में 9.30 रुपए प्रति यूनिट खर्च बैठ रहा है. हालांकि सब्सिडी देने के बाद प्रदेश के उपभोक्ताओं को राहत मिल रही है.
बिजली आपूर्ति की क्षमता 2 वर्ष में होगी दुगनी: बिहार में बिजली आपूर्ति की क्षमता 2 वर्षों में दोगुनी हो जाएगी. नए ग्रेड बनाने और बिजली संरक्षण प्रणाली को दुरुस्त करने के कारण 2005 के मुकाबले 11 गुना अधिक बिजली आपूर्ति की व्यवस्था हुई है. आने वाले 2 सालों में ये बढ़कर 16632 मेगावाट की क्षमता का हो जाएगा.
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