गया: बिहार में केंद्र सरकार की बड़ी सौगात ग्रीन फील्ड वाराणसी-गया-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे का गया जिले में निर्माण कार्य जल्द शुरू हो जाएगा. आज 29 मई को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के अपने दौरे के दौरान दूसरे फेज का शिलान्यास करेंगे. भारतमाला परियोजना के तहत एक्सप्रेसवे 'एन एच 319 बी' का निर्माण होगा. ये बिहार से होकर गुजरने वाला पहला 6 लेन एक्सप्रेसवे होगा, जिसका निर्माण वाराणसी से बिहार के गया होते हुए झारखंड के रांची और पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता तक होना है.
एक्सप्रेसवे से मात खाएगा नक्सलियों का लालगढ़: इस सड़क का निर्माण जंगल पहाड़ों के साथ घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से होते हुए हो रहा है. गया जिला के नक्सल प्रभावित क्षेत्र डुमरिया प्रखंड में स्थित अनवर सलैया, बरहा, छकरबंधा, तारचूआ, ढकपहरी और इमामगंज प्रखंड के बसेता, जमुना, बंसी से होकर ये सड़क गुजरेगी. शिलान्यास के बाद जल्द ही इसका काम शुरू हो जाएगा.
जिले में 33.5 किमी होगी एक्सप्रेसवे: गया जिला में 2 प्रखंडों में एक्सप्रेसवे का निर्माण होगा, इस में इमामगंज और डुमरिया है. दोनों प्रखंड के कुल 29 मौजा शामिल है, 29 मौजे की लंबाई 33.5 किलोमीटर है. औरंगाबाद की सीमा पर स्थित अनवर सलैया से गया जिला में एक्सप्रेसवे कार्य शुरू होगा और ये झारखंड के चतरा जिला की सीमा पर स्थित गया के संग्रामपुर तक होगा. गया में काम राजस्थान की कंस्ट्रक्शन कंपनी के द्वारा किया जा रहा है, इसके प्रोजेक्ट मैनेजर प्रणय कुमार ने बताया कि प्रोजेक्ट कार्य के लिए कंपनी का सेटअप तैयार कर दिया गया है, छकरबंधा के जंगल में एक कार्य सेंटर बनाया गया है, जबकि बसेता में प्रोजेक्ट कार्यालय बना है.
वन विभाग की है 16.5 प्रतिशत भूमि: इस एक्सप्रेसवे के तहत गया में 33.5 किलोमीटर का निर्माण होना है. इसमें लगभग 16.5 किलोमिटर भूमि वन विभाग की है, जब की 16.5 किलोमिटर भूमि रैयतों और बिहार सरकार की है. प्रोजेक्ट मैनेजर प्रणय कुमार ने बताया कि भूमि अधिग्रहण का मामला तेजी से चल रहा है, अभी वर्क ऑडर सरकार की ओर से कंपनी को नहीं मिला है. इसमें वन विभाग की भूमि भी शामिल है जिसका नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं मिला है. नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट मिलने के बाद कार्य शुरू कर दिया जाएगा.
"जिन रैयतों के कागजात सही पाए गए थे उनकी भूमि अधिग्रहण का मुआवजा भी दिया जा चुका है. वहीं गैरमजरूआ भूमि को लेकर रैयतों से विवाद है, उसका निवारण जिला प्रशासन की ओर से हो रहा है. नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट मिलने के बाद कार्य शुरू कर दिया जाएगा."- प्रणय कुमार, प्रोजेक्ट मैनेजर

विभाग की अनुमति मिलने का है इंतेजार: जिला वन आधिकारी शशी कांत ने बताया कि वाराणसी रांची कोलकाता एक्सप्रेसवे में वन विभाग की भूमि को लेकर जिला मुख्यालय से विभाग को फाइल भेज दी गई है. इसकी प्रक्रिया पूरी कर अनुमति मिल जाएगी. केंद्र सरकार से वन विभाग को फाइल भेज दी गई है अभी वहां से प्रक्रिया पूरी कर अनुमति के लिए पत्र प्राप्त नहीं हुआ है.
"अनुमति मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी. इस परियोजना में वन विभाग की 100 हेक्टेयर भूमि का मामला है, पास होने के बाद ही जंगली क्षेत्र में पेड़ों की गिनती और दूसरी प्रक्रिया होगी."-शशी कांत, जिला वन आधिकारी
36 मीटर चौड़ी है सड़क: वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेसवे की चौड़ाई 36 मीटर होगी, कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया कि वन विभाग की जिस स्थान पर जमीन है. वहां 60 मीटर का अधिग्रहण होगा, जबकि जहां निजी भूमि है वहां पर 70 मीटर अधिग्रहण होगा. सड़क का निर्माण 36 मीटर की चौड़ाई के साथ होगा. एक्सप्रेसवे बरहुली गांव में वाराणसी रिंग रोड से शुरू होगी. बरहौली गांव उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के पास स्थित है. उत्तर प्रदेश राज्य की सीमा पार करने के बाद ये बिहार में प्रवेश करेगा.
बिहार में इन शहरों से गुरेगा एक्सप्रेसवे: बिहार में एक्सप्रेसवे कई शहरों से गुजरेगा, इन में कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद और गया जिला शामिल है. बिहार के बाद एक्सप्रेसवे झारखंड राज्य में प्रवेश करेगा. एक्सप्रेसवे की कुल दूरी लगभग 690 किमी है. अभी 690 किमी के सफर में लगभग 12 से 14 घंटे का समय लगता है लेकिन एक्सप्रेसवे के निर्माण से 6 से 7 घंटे तक का ही सफर होगा. बिहार में 5994 करोड़ की परियोजना है. गया में 1200 करोड़ से अधिक राशि प्रस्तावित है, एक्सप्रेसवे की पूरी परियोजना लगभग 35000 करोड़ रुपये की है.
नक्सलियों के गढ़ से हो कर गुजरेगा एक्सप्रेसवे: 10 साल पहले तक छकरबंधा क्षेत्र में आम लोगों का भी जाना आसान नहीं था. जंगल पहाड़ों से घिरे पूरे क्षेत्र में नक्सलियों का दबदबा होने के कारण लोग यहां जाने से डरते थे. हालांकि वर्तमान में विकास के कार्यों और पुलिस अर्धसैनिक बलों की कार्रवाई और सरकार की नीतियों के कारण बड़ा बदलाव आ चुका है. अब छकरबंधा से एक्सप्रेसवे गुजरेगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने बिहार दौरे के दौरान आज इस परियोजना का शिलान्यास करेंगे.

लालगढ़ की बदलेगी छवि: स्थानीय युवक नदीम आजाद कलाम कहते हैं कि पहले इस क्षेत्र को नक्सलियों का गढ़ कहा जाता था, जहां कई नक्सली घटनाएं हो चुकी हैं. खासकर इस क्षेत्र में पुलिस और नक्सलियों के बीच कई मुठभेड़ हो हुई है. दर्जनों पुलिस जवान शहीद हुए थे, आम लोग भी नक्सल्यों के आतंक के शिकार हो चुके हैं लेकिन अब एक्सप्रेसवे के नाम से छकरबंधा जाना जाएगा.
"विकास की नई गाथा लिखी जाएगी, यह बड़ा डेवलपमेंट है और एक्सप्रेसवे बनकर इस क्षेत्र के लिए इतिहास रचेगा. अब विकास हो रहा है, इस क्षेत्र की सूरत बदल रही है, आने वाले समय में और बड़ी परियोजना होने की संभावना है. इस एक्सप्रेसवे से लोगों के आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा."-नदीम आजाद कलाम, स्थानीय
छकरबंधा में इंटरचेंज प्वाइंट: डुमरिया प्रखंड के लोगों में एक्सप्रेसवे के निर्माण से खुशी है. साथ ही इस परियोजना से क्षेत्र के लोगों की उम्मीदें भी जुड़ी हैं, उन्हें बस मायूसी इतनी है कि छकरबंधा क्षेत्र में ही इंटरचेंज पॉइंट का निर्माण होना चाहिए था. इससे बचा हुआ विकास भी तेज गति से होता. यहां के जो लोग सालों तक नक्सलियों के कारण आर्थिक रूप से कमजोर हुए हैं. उन्हें स्वरोजगार मिलता और वह आर्थिक रूप से विकास करते. नदीम आजाद कलम कहते हैं कि क्षेत्र की पहचान लालगढ़ से खत्म होकर अब एक्सप्रेसवे गढ़ के तौर पर तो होगी लेकिन इंटरेस्ट चेंज प्वाइंट होता तो इससे आर्थिक रूप से जंगली और पहाड़ी क्षेत्र के लोग मजबूत होते.
एक्सप्रेसवे से विकसित होगा क्षेत्र: छकरबंधा पंचायत के मुखिया मो. इम्तियाज कहते हैं एक्सप्रेसवे के निर्माण से क्षेत्र का विकास होगा और लोगों को सुविधा भी मिलेगी. यहां से लगभग 10 किलोमीटर जाकर वो बसेता से एक्सप्रेसवे पर सफर कर सकते हैं, क्योंकि इंटर चेंज प्वाइंट वहीं होगा. रांची कोलकाता जाने के लिए पहले उन्हें गया से जाना होता था जिसकी दूरी लगभग 90 किलोमीटर है लेकिन अब दस किलोमीटर जाकर डायरेक्ट सफर कर सकते हैं.
जहां नहीं था रास्ता वहां एक्सप्रेसवे: मुखिया मो. इम्तियाज कहते हैं कि जहां पहले आने जाने के लिए बैलगाड़ी का सहारा लेना पड़ता था, पहले एक सड़क नहीं थी. आज यहां एक्सप्रेसवे गुजर रही है, यह बदलाव लगभग 10 सालों में आया है. छकरबंधा बदल चुका है, यहां सुरक्षा से लेकर सभी दृष्टिकोण से व्यवस्था हो चुकी है, जो कमी है वह स्वास्थ्य के क्षेत्र में है. वो आशा करते हैं कि वह भी जल्द पूरी हो जाएगी.

"छकरबंधा जो लाल आतंक का गढ़ कहलाता था वहां बाजार बन गया है, यहां सीआरपीएफ, एसटीएफ के कैंपस समेत नक्सली थाना, हाई स्कूल, बैंक, दुकानें, खाने पीने के होटल, स्थानीय डॉक्टरों के मेडिकल समेत लगभग रोज की जरूरतों की सभी चीजें हैं. बिजली, सड़क और पानी की व्यवस्था हो चुकी है. बस स्थानीय लोगों की एक ही मांग है कि यहां स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छा काम हो और कुछ गांव को जोड़ने वाली सड़के आज भी नहीं बनी है, वहां सड़क बन जाए तो लोगों को कनेक्टिविटी में और भी आसानी हो जाएगी."-मो. इम्तियाज, मुखिया
ट्रैफिक में होगी कमी: इमामगंज विधायिका दीपा मांझी कहती हैं की एक्सप्रेसवे का सबसे अधिक असर ट्रैफिक पर होगा. एक्सप्रेसवे के बनने से आसपास के इलाकों से ट्रैफिक को रीडायरेक्ट करने में भी मदद मिलेगी. इससे शहरों के बीच यात्रा का समय कम होगा. इससे उन शहरों के बीच कनेक्टिविटी में भी सुधार होगा, जिससे होकर ये गुजरेगा.
"एक्सप्रेसवे के निर्माण से बेहतर कनेक्टिविटी से माल ढुलाई में तेजी आएगी. इस एक्सप्रेसवे से उद्योगों का विकास होगा औद्योगिक विकास से रोजगार का सृजन होगा. क्षेत्र के आर्थिक विकास में सुधार होगा, कनेक्टिविटी में सुधार और उद्योगों के विकास से भी इसमें और मदद मिलेगी."- दीपा मांझी, विधायिका, इमामगंज
बांसी में बनेगा रेस्ट एरिया: वाराणसी रांची कोलकाता एक्सप्रेसवे के अंतर्गत गया जिले के इमामगंज प्रखंड में स्थित बसेता में एक इंटर चेंज बिंदु का निर्माण होगा. जहां से लोग एक्सप्रेसवे से उतरेंगे या फिर वहां से चढ़कर रांची कोलकाता या बनारस की ओर जाएंगे. गया जिले में स्थित बंसी के पास रेस्ट एरिया का भी निर्माण होगा रेस्ट एरिया में सभी तरह की सुविधा होगी. इसमें होटल मेडिकल, टायर ,पंचर दुकान, मैकेनिक दुकान समेत स्थानीय पुलिस चौकी और दूसरे संबंधित विभागों के कंट्रोल रूम भी होंगे.
बिहार में होगी इतनी लंबाई: बिहार में वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेसवे की लंबाई कैमूर में 51.4 किलोमीटर, रोहतास में 35.5 किलोमीटर औरंगाबाद में 39.3 किलोमीटर और गया में 35.5 किलोमीटर होगी. इसका निर्माण बिहार में कुल 7 पैकेज में किया जाना है, इनमें लगभग 5994 करोड़ की अनुमानित लागत से पांच पैकेजों में संवेदक का चयन कर कार्य आवंटित किया जा चुका है.
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