सरगुजा: प्रदूषण से जंग और पर्यावरण की रक्षा के लिए अंबिकापुर नगर निगम ने साल 2019 में गार्बेज कैफे की शुरुआत की. इस कैफे का पहला उद्देश्य प्लास्टिक वेस्ट को हतोत्साहित करना था. इस योजना के जरिए उन लोगों को खाना मिलता है जो प्लास्टिक चुनकर इस कैफे में प्लास्टिक जमा करते हैं. अगर एक किलो प्लास्टिक वेस्ट जमा करते हैं तो उन्हें मुफ्त में भोजन मिलता है. आधे किलो प्लास्टिक वेस्ट के बदले में लोगों को मुफ्त में नाश्ता मिलता है. अब अंबिकापुर की नई नगर सरकार यानि की नगर निगम इस योजना को बंद करने की योजना बना रही है. नई सरकार में एमआईसी में यह निर्णय लिया है कि इस गार्बेज कैफे को बन्द किया जाएगा.
गार्बेज कैफे बंद करने का फैसला: अंबिकापुर नगर निगम में स्थित इस गार्बेज कैफे ने छत्तीसगढ़ को देश दुनिया में पहचान दिलाई. स्वच्छता के इस मॉडल और तरकीब को देश दुनिया में पहचान मिली. साल 2019 में जब इस कैफे का शुभारंभ किया गया तो देश के तमाम भाजपा नेताओं ने भी इसकी सराहना की थी. केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अम्बिकापुर को सम्मानित किया था. अब 5 साल से ज्यादा समय होने के बाद उनके ही दल के नेता इस योजना पर सवाल खड़े कर रहे हैं. एमआईसी सदस्य मनीष सिंह ने कहा कि यह योजना सिर्फ दिखावे की योजना है, इसलिए इसे बंद किया जाएगा. अभी गर्मी का समय है. उस कैफे में यात्रियों के लिए व्यवस्था करेंगे. इससे पता चलेगा कि बीजेपी की सरकार है, ये दिखावे के लिए काम नहीं करती है.
मैंने गार्बेज कैफे का दौरा किया है. जिस उद्देश्य से इस योजना को शुरू किया गया था, उस मकसद की पूर्ति नहीं हो पा रही है. यह योजना फेल है. इस कैफे का अनुबंध नहीं है. बिना अनुबंध को लेकर कार्य हो रहा है. उन्हें सजा दी जाएगी- मंजूषा भगत, मेयर, अंबिकापुर नगर निगम
"पिछली सरकार की कुछ योजना दिखावे के लिये थी. इसमें गार्बेज कैफे भी एक है. प्लास्टिक जमा करो हम खाना देंगे, योजना का मूल भाव सही था लेकिन सही ढंग से क्रियान्वित नही हो रहा था. गार्बेज कैफे जहां संचालित है. वो बस स्टैंड का एरिया है. इसके वजह से वहां यात्रियों को दिक्कत हो रही है, जरूरत पड़ी तो उसको और कहीं स्थानांतरित करेंगे, लेकिन अभी उसको बंद करेंगे.- मनीष सिंह, एमआईसी मेंबर

पूर्व मेयर ने बोला हमला: अंबिकापुर नगर निगम के इस फैसले के बीच पूर्व मेयर डॉक्टर अजय तिर्की दुखी हैं. वह भड़के हुए दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने अंबिकापुर की नई सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि" जिस चीज के करण शहर को पहचान मिली उसको बन्द करने का फैसला बीजेपी करती ही है. इन्होंने बीएसएनएल बेच दिया, रेलवे बेच दिया, कुछ दिन में पता नहीं ये और क्या बेच देंगे. देश भी बचेगा या नहीं ये भाजपा के रहते पक्का नहीं है. इन्होंने बनाने के लिये कभी स्ट्रगल नहीं किया, चाहे देश की आजादी हो, चाहे देश को बनाने की बात हो. कांग्रेस की सोच बनाने की है और भाजपा की सोच है कि जो बना हुआ है, उसको कैसे तोड़ें और उसे कैसे बेचें.
अगर किसी योजना में काम नहीं हो रहा है तो उसे बंद कर दीजिए. जिस चीज से पूरी दुनिया में शहर की पहचान हुई. उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू जी ने, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अवॉर्ड दिया. उसे सिर्फ इसलिए बन्द करना क्योंकि उसे कांग्रेस ने चालू किया था, अगर ऐसा है तो सारे अवॉर्ड जो नगर निगम में रखे हैं. 10 साल तक कांग्रेस को ही मिले हैं, वो सब वापस कर दीजिए. केंद्र सरकार को पत्र लिखिए और इसे वापस कर दीजिए-डॉक्टर अजय तिर्की, पूर्व महापौर, अंबिकापुर
इन्होंने कहा था डबल इंजन की सरकार, ट्रिपल इंजन की सरकार, मैं हमेशा कहता हूं की ये इंजन सिर्फ कोयला ढोने के लिए लग रहा है. यह इंजन देश निर्माण नहीं करेगा, कोयला ही ढोएगा और कालिख ही करेगा-डॉक्टर अजय तिर्की, पूर्व महापौर, अंबिकापुर
इस खबर के बीच लोगों में निराशा: प्लास्टिक देकर खाना खाने वाले इस सूचना से निराश हैं, बस स्टैंड में कपड़े की दुकान चलाने वाले धीरेंद्र चौधरी कहते हैं कि, हमारी दुकान में रोज प्लास्टिक वेस्ट निकलता है, उससे दुकान के स्टाफ लोग यहां आकर फ्री में खाना खा लेते थे, इसे बंद नही करना चाहिये क्योंकि ऐसी व्यवस्था दूसरे जगह कहीं नहीं है. कबाड़ बीनने वाले गरीब लोगों के लिये भी ये सहायक होता है. वो पैसा नहीं होने पर प्लास्टिक देकर खाना खा लेते हैं.
ये बहुत अच्छी योजना है. मेरा ब्रेड का काम है. प्लास्टिक बहुत निकलता है तो हम लोग उस प्लास्टिक से वहां मुफ्त में खाना खाते हैं. इसे बंद करना सही नहीं होगा- शैलेन्द्र सोनी, ब्रेड विक्रेता

अंबिकापुर में साफ सफाई की स्थिति: अभी वर्तमान में अम्बिकापुर शहर जीरो वेस्ट प्रोड्यूस करता है. यहां कचरे का हर चरण में उपयोग किया जा रहा है. अलग-अलग महिला समूहों को मिलाकर एक सिटी लेवल फेडरेशन बनाया गया है. इस फेडरेशन में 480 महिलाएं काम करती हैं. इनमें से 450 दीदी घरों से कचरा कलेक्शन का काम करती हैं. बाकी की 30 दीदियों का काम डिपो में होता है. इन दीदियों के पास 150 हाथ और ई रिक्शा है. जिसके जरिए ये घर-घर जाकर कचरा कलेक्ट करती हैं. घरों से कचरे को 4 अलग भाग में लिया जाता है. सूखा, गीला, सेनेटरी और खतरनाक कचरा.

कचरे की छंटाई के बाद होती है बिक्री: कचरे की छंटाई के बाद उसकी बिक्री होती है. कचरा शहर के 20 एसएलआरएम सेंटरों में लाया जाता है. यहां इन्हें छांट कर अलग किया जाता है. छंटा हुआ कचरा सेनेटरी पार्क स्थित सेग्रेगेशन सेंटर में भेजा जाता है. यहां पर कचरों की विभिन्न स्तरों में प्रोसेसिंग की जाती है. यहां 156 प्रकार के अलग-अलग कचरे डिसाइड किए जाते हैं. ज्यादातर कचरा सीधे ही बेच दिया जाता है, लेकिन प्लास्टिक, सीएंडडी वेस्ट, मेडिकल वेस्ट को प्रोसेस किया जाता है. प्लास्टिक का दाना बनाकर उसे रीजयूज किया जा रहा है. सीएंडडी वेस्ट की प्रोसेस यूनिट लगाई गई है, जिसमे इसका भी उपयोग किया जा रहा है. मेडिकल वेस्ट और बाकी प्रोसेसिंग से बचने वाला वेस्ट इंसीनरेटर में जला दिया जाता है.