धमतरी: ईटीवी भारत की खबर का असर एक बार फिर हुआ है. भटगांव में कुओं के गंदे पानी पर अब पीएचई विभाग ने बड़ा एक्शन लिया है. पीएचई विभाग की अफसर आशालता गुप्ता ने कहा है कि जिन 8 जगहों से पानी के सैंपल लिए गए थे उनकी जांच लैब के जरिए कराई गई. बायोलॉजिकल टेस्ट में पानी के सैंपल फेल साबित हुए हैं. कुओं के पानी में कई ऐसे तत्व मिले हैं जो हानिकारक होने के साथ साथ पीने के योग्य भी नहीं हैं.
पानी के सैंपल लैब टेस्ट में फेल: ईटीवी भारत की खबर पर संज्ञान लेते हुए पीएचई विभाग ने पानी की गुणवत्ता की जांच कराई. ईटीवी भारत ने पानी की गुणवत्ता पर जो सवाल खड़े किए थे वो सही साबित हुए. लैब टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद पीएचई विभाग ने कुओं के पानी के इस्तेमाल पर कई दिशा निर्देश जारी किए हैं. दरअसल कुंओं के पानी में सेप्टिक टैंक का गंदा और जहरीला पानी मिल रहा है जिससे पानी लगातार दूषित होता जा रहा है. कुओं और ज्यादातर सेप्टिक टैंक के वाटर एक लेवल पर हैं जिससे कुंओं का पानी प्रदूषित हो रहा है.
हमने गांव को समझाया है कि आप इस पानी का उपयोग नहीं करें. इसके अलावा गांव में टैंक के माध्यम से पेयजल सप्लाई किया जा रहा है. सभी लोगों को साफ और पीने योग्य पानी मिले इसकी व्यवस्था भी हमारी ओर से की जा रही है: आशा लता गुप्ता, ईई, पीएचई विभाग धमतरी
क्या कहा पीएचई विभाग ने: विभाग की अधिकारी ने बताया कि यह पानी मानव उपयोग के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है. जितने भी कुंए हैं वह किसी काम के नहीं है. क्योंकि कुएं पर शौच वाला पानी जाता है. इस पानी से बीमारी फैलने का खतरा रहता है. जब बोर किया जाता है तो 9 मीटर यानी 27 फीट तक केसिंग डाला जाता है. वह पानी शुद्ध माना जाता है. प्रभावित कुएं के पानी से कपड़े और बर्तन धोते हैं या पशुओं को पिलाते हैं तो भी यह बहुत बड़ी बीमारी को निमंत्रण देगा. डायरिया जैसी बीमारी हो सकती है.
कुंओं वाला गांव भटगांव: दरअसल धमतरी से लगे भटगांव में हर घर कुंआ है. करीब 1500 कुंओं वाले इस गांव के लोग हर काम कुएं के पानी से करते आ रहे हैं. लेकिन अब कई कुएं का पानी लैब टेस्ट में प्रदूषित पाया गया है.