ETV Bharat / state

भारत-चीन सीमा पर जाने के लिए रोजाना 35 लोगों को मिलेगा इनर लाइन परमिट, ऑनलाइन पोर्टल से जारी किए जाएंगे पास - CHAMOLI INNER LINE PASS

भारत-चीन पर जाने के लिे इस बार रोजाना 35 लोगों को इनर लाइन पास दिया जाएगा. जिसको लेकर डीएम ने अधिकारियों को निर्देशित किया.

DM Sandeep Tiwari held meeting
डीएम संदीप तिवारी ने अधीनस्थ के साथ की बैठक (Photo-ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : April 15, 2025 at 2:58 PM IST

2 Min Read

चमोली: सीमावर्ती क्षेत्रों में जाने के लिए इनर लाइन परमिट को लेकर जिलाधिकारी संदीप तिवारी की अध्यक्षता में हुई. बैठक में बताया गया कि दो तरह के पास जारी किए जाते हैं पहला लोकल ट्रांजिट पास जिसमें 2 दिन से ज्यादा की अनुमति होती है, यह वहां के चरवाहों को ध्यान में रखकर दिया जाता है. दूसरा इनर लाइन परमिट जिसमें यात्रियों को 2 दिन का दिया जाता है. इनर लाइन परमिट से यात्रियों को नीति पास, माणा पास और रिमखिम पास से 16 टूरिस्ट लोकेशन पर जाने की अनुमति दी जाएगी.

ऑनलाइन पोर्टल चारधाम यात्रा के समय ही स्टार्ट होगा, जिसकी फीस 200 रुपये प्रति व्यक्ति रखी गयी है और एक दिन में 35 लोगों को ही इनर लाइन परमिट जारी किया जाएगा. इस पास के लिए जरूरी दस्तावेज पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट, पहचान पत्र, एफिडेविट और मेडिकल जांच रिपोर्ट देने होंगे. 60 वर्ष से ऊपर के यात्री को मेडिकल रिपोर्ट के साथ इनर लाइन परमिट का पास दिया जाएगा. जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि पास में कुछ शर्तें भी लिखी जाए जैसे खराब मौसम होने पर या सुरक्षा की दृष्टि से किसी यात्री को परमिट मिलने के बाद भी उसका परमिट रद्द किया जा सके.

इस साइट पर जाकर करा सकेंगे रजिस्ट्रेशन- https://pass.chamoli.org/

क्या है इनर लाइन परमिट: यह एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज है जिसे संबंधित राज्य सरकार द्वारा जारी किया जाता है. यह भारतीय नागरिकों को देश के अंदर किसी संरक्षित क्षेत्र में निश्चित अवधि के लिए यात्रा की अनुमति देता है. इसे बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के आधार पर लागू किया गया था. बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873, बंगाल के पूर्वी सीमांत पर शांति और शासन के लिए बनाया गया था. यह विनियमन, आदिवासी लोगों की पहचान और संस्कृति की रक्षा करने में मदद करता है.

इसे इनर लाइन रेगुलेशन भी कहा जाता है. यह अधिनियम पूर्वोत्तर के पहाड़ी आदिवासियों से ब्रिटिश हितों की रक्षा करने के लिये बनाया गया था क्योंकि वे ब्रिटिश नागरिकों के संरक्षित क्षेत्रों में प्रायः घुसपैठ किया करते थे. इसके तहत दो समुदायों के बीच क्षेत्रों के विभाजन के लिए इनर लाइन (Inner Line) नामक एक काल्पनिक रेखा का निर्माण किया गया, ताकि दोनों पक्षों के लोग बिना परमिट के एक-दूसरे के क्षेत्रों में प्रवेश न कर सके.

पढ़ें-जिला आबकारी अधिकारी ऑफिस से मिले गायब, डीएम ने किया सर्विस ब्रेक, वेतन भी कटेगा

चमोली: सीमावर्ती क्षेत्रों में जाने के लिए इनर लाइन परमिट को लेकर जिलाधिकारी संदीप तिवारी की अध्यक्षता में हुई. बैठक में बताया गया कि दो तरह के पास जारी किए जाते हैं पहला लोकल ट्रांजिट पास जिसमें 2 दिन से ज्यादा की अनुमति होती है, यह वहां के चरवाहों को ध्यान में रखकर दिया जाता है. दूसरा इनर लाइन परमिट जिसमें यात्रियों को 2 दिन का दिया जाता है. इनर लाइन परमिट से यात्रियों को नीति पास, माणा पास और रिमखिम पास से 16 टूरिस्ट लोकेशन पर जाने की अनुमति दी जाएगी.

ऑनलाइन पोर्टल चारधाम यात्रा के समय ही स्टार्ट होगा, जिसकी फीस 200 रुपये प्रति व्यक्ति रखी गयी है और एक दिन में 35 लोगों को ही इनर लाइन परमिट जारी किया जाएगा. इस पास के लिए जरूरी दस्तावेज पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट, पहचान पत्र, एफिडेविट और मेडिकल जांच रिपोर्ट देने होंगे. 60 वर्ष से ऊपर के यात्री को मेडिकल रिपोर्ट के साथ इनर लाइन परमिट का पास दिया जाएगा. जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि पास में कुछ शर्तें भी लिखी जाए जैसे खराब मौसम होने पर या सुरक्षा की दृष्टि से किसी यात्री को परमिट मिलने के बाद भी उसका परमिट रद्द किया जा सके.

इस साइट पर जाकर करा सकेंगे रजिस्ट्रेशन- https://pass.chamoli.org/

क्या है इनर लाइन परमिट: यह एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज है जिसे संबंधित राज्य सरकार द्वारा जारी किया जाता है. यह भारतीय नागरिकों को देश के अंदर किसी संरक्षित क्षेत्र में निश्चित अवधि के लिए यात्रा की अनुमति देता है. इसे बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के आधार पर लागू किया गया था. बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873, बंगाल के पूर्वी सीमांत पर शांति और शासन के लिए बनाया गया था. यह विनियमन, आदिवासी लोगों की पहचान और संस्कृति की रक्षा करने में मदद करता है.

इसे इनर लाइन रेगुलेशन भी कहा जाता है. यह अधिनियम पूर्वोत्तर के पहाड़ी आदिवासियों से ब्रिटिश हितों की रक्षा करने के लिये बनाया गया था क्योंकि वे ब्रिटिश नागरिकों के संरक्षित क्षेत्रों में प्रायः घुसपैठ किया करते थे. इसके तहत दो समुदायों के बीच क्षेत्रों के विभाजन के लिए इनर लाइन (Inner Line) नामक एक काल्पनिक रेखा का निर्माण किया गया, ताकि दोनों पक्षों के लोग बिना परमिट के एक-दूसरे के क्षेत्रों में प्रवेश न कर सके.

पढ़ें-जिला आबकारी अधिकारी ऑफिस से मिले गायब, डीएम ने किया सर्विस ब्रेक, वेतन भी कटेगा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.