शिमला: एक छोटी सी आदत ज़िंदगी को निगल सकती है. तंबाकू सेवन का यह कड़वा सच आज न जाने कितने लोगों की हकीकत बन चुका है. चाहे वह धूम्रपान हो या गुटखा-पान मसाले जैसी चबाने वाली चीजें हो या तंबाकू का कोई कोई और उत्पाद ये कई घरों को उजाड़ चुका है. तंबाकू न सिर्फ शरीर को धीरे-धीरे खोखला कर रहा है, बल्कि मुंह के कैंसर जैसे घातक रोगों की मुख्य वजह भी बन रहा है.
विश्व तंबाकू निषेध दिवस (World No Tobacco Day) के मौके पर शिमला के IGMC के डेंटल कॉलेज में चल रहे टीसीसी (Tobacco Cessation Center) लोगों से तंबाकू की लत छुड़वा रहा है. इसकी शुरुआत 2019-20 में हुई थी. रोजाना यहां औसतन 4-5 मरीज तंबाकू की लत छुड़वाने के लिए आते हैं. साल भर में ये सेंटर औसतन 1500 मरीजों की काउंसलिंग करता है. डेंटल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आशु गुप्ता ने कहा कि 'चबाने वाले तंबाकू (जैसे पान मसाला, गुटखा) के कारण ओरल कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन इसके मुकाबले हिमाचल में धूम्रपान के कारण मरीजों में कैंसर की समस्या अधिक मिलती है. पान मसाला और अन्य प्रकार का तंबाकू मुंह के कैंसर का सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है. ये रोग चुपचाप शरीर को निगलता है और जब तक पता चलता है, तब तक देर हो चुकी होती है.'
तंबाकू की लत से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए डेंटल कॉलेज शिमला में तंबाकू ससेशन सेंटर सेंटर (TCC) की स्थापना की गई है. यहां तंबाकू से जूझ रहे मरीजों की काउंसलिंग होती है.
कैसे काम करता है ये तंबाकू छुड़वाने वाला केंद्र?
डॉ. गुप्ता के अनुसार, 'डेंटल कॉलेज में जब किसी मरीज का जांच के दौरान तंबाकू सेवन का पता चलता है, तो उन्हें Tobacco Cessation Center में रेफर किया जाता है. मरीज की तंबाकू से जुड़ी आदत का मूल्यांकन किया जाता है. उन्हें तंबाकू से होने वाले खतरे के बारे में जानकारी दी जाती है. साथ ही मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी काउंसलिंग की जाती है. इसके बाद भी मरीज तंबाकू नहीं छोड़ पाता तो उसे लत (craving) को कम करने वाली दवाएं दी जाती हैं. फॉलोअप के जरिए मरीजों को लगातार ट्रैक किया जाता है. इस सेंटर की शुरुआत 2019 में हुई थी. कोरोना काल में यहां तंबाकू की लत से जूझ रहे मरीजों की संख्या कम रही थी, लेकिन अब यहां रोजाना लोगों की काउंसलिंग होती है. हजारों लोग यहां तंबाकू की लत छुड़वा चुके हैं. हमारे पास पांच प्रतिशत मरीज ऐसे भी होते हैं, जो यहां पहले तंबाकू की लत छुड़वा चुके होते हैं, लेकिन कुछ समय बाद फिर से तंबाकू का सेवन शुरू कर देते हैं. ऐसे लोगों की दोबारा से काउंसलिंग की जाती है'.

डॉ. आशु गुप्ता का कहना है कि 'हमारा लक्ष्य सिर्फ लत छुड़वाना नहीं, बल्कि मरीज को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाना है, ताकि वह इस आदत से हमेशा के लिए मुक्त हो सके. तंबाकू को छोड़ने के लिए दोस्तों, परिवार, समाज का भी सहयोग होना चाहिए, जैसे:
- तंबाकू से दूरी बच्चों और किशोरों से शुरू होनी चाहिए.
- स्कूल-कॉलेज स्तर पर जागरूकता अभियान जरूरी है.
- घर के सदस्य एक-दूसरे को रोकने और समझाने का प्रयास करें.
- तंबाकू की लत सिर्फ एक आदत नहीं, यह एक बीमारी की तरह ही है, इसका इलाज संभव है.
तंबाकू का हर रूप शरीर के लिए जानलेवा है. आज नहीं तो कल ये घातक रूप ले ही लेता है. अगर आप या आपके करीबियों में कोई इसकी गिरफ्त में है, तो देर मत कीजिए मदद लीजिए या फिर अपनों की मदद कीजिए.

World No Tobacco Day क्यों है ज़रूरी?
हर साल 31 मई को मनाया जाने वाला यह दिवस लोगों को तंबाकू से होने वाले भारी नुकसानों के बारे में जागरूक करने और उन्हें छुड़वाने के संसाधन उपलब्ध कराने का वैश्विक प्रयास है. IGMC Dental College जैसे संस्थान इस मुहिम में एक प्रेरक भूमिका निभा रहे हैं.