ETV Bharat / state

इमरजेंसी में घायल बच्चों का इलाज करेंगे पीडियाट्रिक ट्रामा एक्सपर्ट, डॉक्टर बोले- इलाज के साथ समय महत्वपूर्ण - LUCKNOW NEWS

ट्रामा में आने वाले घायल बच्चों का इलाज अब पीडियाट्रिक ट्रामा एक्सपर्ट करेंगे. एक साल में लगभग 200 डॉक्टरों को ट्रेनिंग दी गई है.

KGMU ट्रामा सेंटर.
KGMU ट्रामा सेंटर. (Photo Credit; ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : April 12, 2025 at 10:36 PM IST

2 Min Read

लखनऊ : सड़क दुर्घटना हो या कोई अन्य हादसा, घायल बच्चों को पीडियाट्रिक ट्रामा एक्सपर्ट इमरजेंसी में इलाज देंगे. ट्रामा सर्जन के बाद माइक्रो सुपर स्पेशियलिटी यूनिट (विशेषज्ञ) स्थापित करने का बीड़ा किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के डॉक्टरों ने उठाया है. इसके लिए ट्रामा एक्सपर्ट की टीम न केवल राजधानी लखनऊ में, बल्कि देश के विभिन्न प्रांतों में जाकर प्रशिक्षण दे रही है. रोजाना केजीएमयू में 500 से अधिक इमरजेंसी केस आते हैं, जिसमें बच्चों की संख्या 130 या इससे अधिक होती है.

एक साल में 200 डॉक्टरों ने ली ट्रेनिंग : एक साल में देशभर में लगभग 200 डॉक्टर ट्रेनिंग लेकर पीडियाट्रिक ट्रामा विशेषज्ञ बन चुके हैं. देश का पहला ट्रामा सर्जरी विभाग वर्ष 2015 में केजीएमयू में खुला था. विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप तिवारी का कहना है कि इमरजेंसी में इलाज के साथ समय बहुत महत्वपूर्ण होता है. ट्रामा के मरीजों का इलाज जल्दी होना चाहिए. नहीं तो जान का खतरा बढ़ने के साथ ही दिव्यांगता की संभावना बढ़ जाती है.

भोपाल एम्स के निदेशक और पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक विशेषज्ञ डॉ. अजय सिंह का कहना है कि ट्रामा में छोटे बच्चे अपनी परेशानी नहीं बता पाते और उनके अंग विकासशील होते हैं. शारीरिक विकास प्रभावित न हो, यह ध्यान में रखकर इलाज दिया जाता है.

घायल बच्चों का इलाज ज्यादा संवेदनशील : एडवांस लाइफ सपोर्ट का प्रशिक्षण देने वाले एवं केजीएमयू के ट्रामा सर्जरी विभाग के डॉ. समीर मिश्र का कहना है कि इमरजेंसी में ट्रामा के बच्चों की संख्या औसतन लगभग 12-14 प्रतिशत होती है. बच्चों का इलाज ज्यादा संवेदनशील होता है. इसके लिए इंटरनेट के माध्यम से दुनियाभर के सर्जन्स से राय ली जाती है. 80 प्रतिशत डॉक्टरों ने घायल बच्चों के इलाज में असहजता जताई.

विभाग के डॉ. यादवेन्द्र धीर व डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की पीडियाट्रिशियन डॉ. नेहा ठाकुर (राय) के साथ इस विषय पर शोध किया गया. इलाज के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं. प्रशिक्षण देकर पीडियाट्रिक ट्रामा विशेषज्ञ तैयार किए जा रहे हैं.

केजीएमयू ट्रामा विशेषज्ञ डॉ. समीर मिश्रा ने बताया कि 2023 में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के समक्ष इस विशेषज्ञता को प्रस्तुत किया और केजीएमयू को प्रशिक्षण केंद्र शुरू करने की को अनुमति मिली. प्रशिक्षण प्राप्तकर्ता संस्थान द्वारा सर्टिफिकेट प्रदान किया जाता है.

यह भी पढ़ें: लखनऊ के नगरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की इमरजेंसी एनेस्थीसिया डॉक्टर के भरोसे; सिर्फ बने हैं रेफरल अस्पताल

लखनऊ : सड़क दुर्घटना हो या कोई अन्य हादसा, घायल बच्चों को पीडियाट्रिक ट्रामा एक्सपर्ट इमरजेंसी में इलाज देंगे. ट्रामा सर्जन के बाद माइक्रो सुपर स्पेशियलिटी यूनिट (विशेषज्ञ) स्थापित करने का बीड़ा किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के डॉक्टरों ने उठाया है. इसके लिए ट्रामा एक्सपर्ट की टीम न केवल राजधानी लखनऊ में, बल्कि देश के विभिन्न प्रांतों में जाकर प्रशिक्षण दे रही है. रोजाना केजीएमयू में 500 से अधिक इमरजेंसी केस आते हैं, जिसमें बच्चों की संख्या 130 या इससे अधिक होती है.

एक साल में 200 डॉक्टरों ने ली ट्रेनिंग : एक साल में देशभर में लगभग 200 डॉक्टर ट्रेनिंग लेकर पीडियाट्रिक ट्रामा विशेषज्ञ बन चुके हैं. देश का पहला ट्रामा सर्जरी विभाग वर्ष 2015 में केजीएमयू में खुला था. विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप तिवारी का कहना है कि इमरजेंसी में इलाज के साथ समय बहुत महत्वपूर्ण होता है. ट्रामा के मरीजों का इलाज जल्दी होना चाहिए. नहीं तो जान का खतरा बढ़ने के साथ ही दिव्यांगता की संभावना बढ़ जाती है.

भोपाल एम्स के निदेशक और पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक विशेषज्ञ डॉ. अजय सिंह का कहना है कि ट्रामा में छोटे बच्चे अपनी परेशानी नहीं बता पाते और उनके अंग विकासशील होते हैं. शारीरिक विकास प्रभावित न हो, यह ध्यान में रखकर इलाज दिया जाता है.

घायल बच्चों का इलाज ज्यादा संवेदनशील : एडवांस लाइफ सपोर्ट का प्रशिक्षण देने वाले एवं केजीएमयू के ट्रामा सर्जरी विभाग के डॉ. समीर मिश्र का कहना है कि इमरजेंसी में ट्रामा के बच्चों की संख्या औसतन लगभग 12-14 प्रतिशत होती है. बच्चों का इलाज ज्यादा संवेदनशील होता है. इसके लिए इंटरनेट के माध्यम से दुनियाभर के सर्जन्स से राय ली जाती है. 80 प्रतिशत डॉक्टरों ने घायल बच्चों के इलाज में असहजता जताई.

विभाग के डॉ. यादवेन्द्र धीर व डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की पीडियाट्रिशियन डॉ. नेहा ठाकुर (राय) के साथ इस विषय पर शोध किया गया. इलाज के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं. प्रशिक्षण देकर पीडियाट्रिक ट्रामा विशेषज्ञ तैयार किए जा रहे हैं.

केजीएमयू ट्रामा विशेषज्ञ डॉ. समीर मिश्रा ने बताया कि 2023 में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के समक्ष इस विशेषज्ञता को प्रस्तुत किया और केजीएमयू को प्रशिक्षण केंद्र शुरू करने की को अनुमति मिली. प्रशिक्षण प्राप्तकर्ता संस्थान द्वारा सर्टिफिकेट प्रदान किया जाता है.

यह भी पढ़ें: लखनऊ के नगरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की इमरजेंसी एनेस्थीसिया डॉक्टर के भरोसे; सिर्फ बने हैं रेफरल अस्पताल

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.