देहरादून (नवीन उनियाल): उत्तराखंड में विभिन्न पदों को लेकर पीसीएस (प्रांतीय सिविल सेवा) और सचिवालय सेवा के अधिकारी आमने-सामने आ गए हैं. खास बात यह है कि दोनों ही संवर्ग 10 से ज्यादा पदों पर खुद का दावा कर रहे हैं और इसके पीछे मजबूत तर्क भी दे रहे हैं. बड़ी बात यह भी है कि पीसीएस और सचिवालय सेवा के अधिकारियों के बीच चल रही ये रस्साकशी मुख्यमंत्री दरबार तक भी पहुंच गई है. विस्तार से जानिए क्या है ये पूरा मामला.
मुख्यमंत्री दरबार में इन दिनों सचिवालय सेवा और पीसीएस अधिकारियों के पत्र चर्चा का बिंदु बने हुए हैं. मामला विभिन्न आयोग, प्राधिकरण और बोर्ड में मौजूद पदों पर अधिपत्य का है. दरअसल, 10 से भी ज्यादा ऐसे पद हैं, जिन पर सचिवालय सेवा के अधिकारी अपने संवर्ग का दावा कर रहे हैं. इसके लिए बाकायदा उत्तराखंड सचिवालय सेवा संघ ने एक पत्र मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी लिख दिया है.
सचिवालय सेवा के अधिकारियों का दावा: सचिवालय सेवा से जुड़े कर्मियों का मानना है कि सचिवालय से बाहर के ऐसे पदों पर भी उनके संवर्ग के अधिकारियों की पूर्णकालिक तैनाती होनी चाहिए, जो सचिवालय के पद नाम से जुड़ी हैं. इसके पीछे सचिवालय सेवा का तर्क है कि उनके संवर्ग में संयुक्त सचिव पद से ऊपर सचिवालय में निश्चित पद हैं. ऐसे में सचिवालय से बाहर भी संवर्ग के अधिकारियों के अनुभव को देखते हुए पूर्णकालिक तैनाती मिलनी चाहिए.
अभी भी आप देखेंगे तो अधीनस्थ चयन आयोग, जिसका गठन 2013-14 में ही हुआ है, वहां पर भी जो सचिव का पद है, वो सचिवालय कैंडर के अधिकारी ही देख रहे हैं. इसीलिए वहां पर काफी कुछ अच्छा हुआ है. ये सब इसीलिए हुआ है क्योंकि वहां पर सचिवालय कैंडर के लोग जा पाए हैं. अगर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पर विचार किया तो वो इस लड़ाई के जीतने में कामयाब होंगे.
रणजीत सिंह रावत, संयुक्त सचिव, उत्तराखंड सचिवालय संघ
मामले पर PCS संवर्ग ने जताई घोर आपत्ति: दरअसल, जिन पदों पर सचिवालय सेवा संवर्ग ने अपना दावा किया है, ऐसे ही विभिन्न पदों पर PCS अधिकारी भी अपना दावा कर रहे हैं. खास बात यह है कि सचिवालय सेवा संवर्ग ने जिन पदों को अपने संवर्ग के ढांचे में समाहित करने की बात कही है, वो PCS अधिकारी प्रशासनिक पद होने के चलते PCS या IAS अधिकारियों का मानते हैं. इसीलिए PCS संघ ने सचिवालय सेवा के इस दावे पर घोर आपत्ति दर्ज कराई.
पीसीएस अधिकारियों का मानना है कि सचिवालय सेवा केवल सचिवालय के भीतर कार्यभार के लिए ही चयनित होती है. ऐसे में सचिवालय सेवा का दावा बिल्कुल ठीक नहीं है और न ही सचिवालय सेवा के अधिकारियों को प्रशासनिक अनुभव होता है और न वह प्रशासनिक सेवा के लिए चयनित हुए हैं. ऐसे में PCS संवर्ग ने सचिवालय से बाहर सचिवालय सेवा के अधिकारियों की तैनाती को नियम विरुद्ध नियुक्ति बता दिया है.
इतना ही नहीं पीसीएस अधिकारियों ने कहा कि सचिवालय सेवा के अधिकारियों को प्रशासनिक कार्यों का कोई प्रशिक्षण भी प्राप्त नहीं होता है. इस तरह सचिवालय सेवा का दावा किसी भी रूप में ठीक नहीं है.
इस मामले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखा जा चुका है और उन्हें उम्मीद है कि सचिवालय से बाहर विभिन्न प्रशासनिक पदों को PCS के लिए ही रखा जाएगा.
-अभिषेक त्रिपाठी, उपाध्यक्ष, PCS संघ-
इस मामले पर PCS संघ के उपाध्यक्ष अभिषेक त्रिपाठी कहते हैं कि PCS संघ का कहना है कि इस समय ऐसे कई पीसीएस अधिकारी हैं, जो 8700 ग्रेड पे पर होने के बावजूद 7600 या 6600 ग्रेड पे के पदों पर काम कर रहे हैं. जाहिर है कि PCS संवर्ग के पद कम होने से इसका असर PCS अफसरों पर पड़ेगा.
इन पदों को लेकर दोनों संवर्ग कर रहे दावा:
- प्रबंध निदेशक उत्तराखंड कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन.
- सचिव उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग
- सचिव चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड
- प्रबंध निदेशक उत्तराखंड बहुउद्देशीय वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड
- निदेशक ट्राइबल वेलफेयर डिपार्मेंट
- सीईओ बदरी केदार मंदिर समिति
- एडिशनल कमिश्नर फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन
- जॉइंट डायरेक्टर ATI नैनीताल
- एएमडी नेशनल हेल्थ मिशन
- अपर महानिरीक्षक कारागार
शासन को लेना है अंतिम निर्णय: विभिन्न पदों पर दावा करने वाले दोनों ही संवर्गों के पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच चुके हैं. अब इस मामले में शासन और सरकार को अंतिम निर्णय लेना है. सचिवालय सेवा के अधिकारियों के सामने दिक्कत इस बात की है कि यह सेवा सचिवालय तक ही सीमित दिखाई दी है. कुछ जगह पर छोड़ दिया जाए तो बाकी अधिकारी सचिवालय में ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं. उधर पीसीएस अधिकारी राज्य भर में प्रशासनिक सेवाओं पर तैनात हैं.
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