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डीजे से जमकर हो रहा ध्वनि प्रदूषण, हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को लगाई फटकार - PATNA HIGH COURT

पटना हाईकोर्ट ने बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को लेकर बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. इस पर फौरन पहल करने का निर्देश दिया है.

patna high court
पटना हाईकोर्ट में ध्वनि प्रदूषण पर सुनवाई (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 12, 2025, 9:41 AM IST

पटना: बिहार में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को लेकर पटना उच्च न्यायालय ने गंभीरता दिखाते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई है. जस्टिस राजीव रॉय ने सुरेंद्र प्रसाद की याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि लोग लगातार कई तरह के प्रदूषण को झेल रहे हैं. वहीं, कोर्ट ने राज्य के नागरिक और राजधानी पटना में शोर/ध्वनि प्रदूषण पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है. इस मामले पर अगली सुनवाई 14 फरवरी 2025 को होगी.

ध्वनि प्रदूषण पर सुनवाई: इस मामले में कोर्ट को सहयोग करने के लिए वरीय अधिवक्ता अजय को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया. उन्होंने कोर्ट को बताया कि शहर में ऑर्केस्ट्रा/डीजे ट्रॉली और सांस्कृतिक कार्यक्रम करने वाले लोग पूरी तरह से भूल गए हैं कि वे किस तरह का ध्वनि/ध्वनि प्रदूषण पैदा कर रहे हैं.

लाउडस्पीकर का जगह डीजे का प्रयोग: वरीय अधिवक्ता अजय ने कोर्ट को बताया कि ध्वनि प्रदूषण को लेकर बनाये गए कानून में ध्वनि प्रदूषण पर प्रतिबंधों के प्रकार को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है. उनके अनुसार लाउडस्पीकर का उपयोग करने की अनुमति लेना अनिवार्य है. यहां तक कि लाउडस्पीकर को जब्त भी किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि आज लाउडस्पीकर का जगह डीजे ने ले लिया है.

अधिवक्ता अजय ने क्या बताया?: अब एक ट्रॉली में कई स्पीकर लगे होते हैं, जो शहर के विभिन्न अस्पतालों सहित सभी रास्तों हो कर गुजरते हैं. ध्वनि का स्तर निर्धारित स्तर से लगभग हजार गुना अधिक होता है. इससे न केवल हृदय रोग से पीड़ित लोग, वृद्ध लोग प्रभावित होते हैं. कुछ मामलों में तो गर्भवती महिलाओं का गर्भपात भी हो चुका है. इसे नियंत्रित करने के लिए बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन किया गया है और अनुमति लेना अनिवार्य है.

'डीजे से जमकर हो रहा ध्वनि प्रदूषण': अधिवक्ता अजय ने कहा कि इसका उपयोग रात में खुले स्थान पर नहीं किया जा सकता है और उपयोग कहां किया जाना है, इसका विवरण कानून में स्पष्ट है. यही नहीं ध्वनि का स्तर 10 डीबी (ए) हैं लेकिन किसी भी सूरत में 75 डीबी (ए) से अधिक नहीं हो सकता है. इसका उल्लंघन किए जाने पर दंड का प्रावधान किया गया है. बोर्ड राज्य को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए कुछ नहीं कर रहा है. इसके अलावे ध्वनि प्रदूषण से उत्पन्न होने वाले स्वास्थ्य संबंधी खतरे के अलावा स्कूल जाने वाले बच्चे, कॉलेज के युवा छात्र, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र प्रभावित होते हैं.

"डीजे से तमाम जगहों पर ध्वनि प्रदूषण हो रहा है. किसी भी कार्यक्रम के दौरान खुले स्थान पर ध्वनि का उच्च डेसिबल स्तर शहर के नागरिकों के जीवन को पूरी तरह से नरक बना देता है. अगली सुनवाई 14 फरवरी को होगी."- अजय, वरीय अधिवक्ता, पटना उच्च न्यायालय

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने क्या दलील दी?: वहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरीय अधिवक्ता शिवेंद्र किशोर ने कोर्ट को बताया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एक सलाहकारी निकाय है और उचित प्राधिकारी को सलाह दे सकता है. उन्होंने माना कि शहर के नागरिक होने के नाते उन्होंने भी ऐसी समस्या का सामना करना पड़ता है. शहर में ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड की ओर से उठाए गए सभी तथ्यों और कदमों को कोर्ट के समक्ष पेश करने के लिए एक समय देने का अनुरोध किया.

कोर्ट ने लगाई राज्य सरकार को फटकार: सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड न केवल कार्य करें, बल्कि नियमों के अनुरूप कार्य करते हुए दिखना चाहिए और परिणाम शहर के नागरिकों को दिखना चाहिए. कोर्ट ने सभी अधिवक्ताओ को अपना सुझाव देने के लिए स्वतंत्र हैं. वहीं, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरीय अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इस बारे में निदेशक और सचिव जल्द ही बैठक करें और सुधारात्मक उपाय करेंगे. जिला प्रशासन (डीएम) और वरीय पुलिस अधीक्षक को आवश्यक कदम उठाने के लिए निर्देश जारी किया जाएगा.

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पटना: बिहार में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को लेकर पटना उच्च न्यायालय ने गंभीरता दिखाते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई है. जस्टिस राजीव रॉय ने सुरेंद्र प्रसाद की याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि लोग लगातार कई तरह के प्रदूषण को झेल रहे हैं. वहीं, कोर्ट ने राज्य के नागरिक और राजधानी पटना में शोर/ध्वनि प्रदूषण पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है. इस मामले पर अगली सुनवाई 14 फरवरी 2025 को होगी.

ध्वनि प्रदूषण पर सुनवाई: इस मामले में कोर्ट को सहयोग करने के लिए वरीय अधिवक्ता अजय को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया. उन्होंने कोर्ट को बताया कि शहर में ऑर्केस्ट्रा/डीजे ट्रॉली और सांस्कृतिक कार्यक्रम करने वाले लोग पूरी तरह से भूल गए हैं कि वे किस तरह का ध्वनि/ध्वनि प्रदूषण पैदा कर रहे हैं.

लाउडस्पीकर का जगह डीजे का प्रयोग: वरीय अधिवक्ता अजय ने कोर्ट को बताया कि ध्वनि प्रदूषण को लेकर बनाये गए कानून में ध्वनि प्रदूषण पर प्रतिबंधों के प्रकार को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है. उनके अनुसार लाउडस्पीकर का उपयोग करने की अनुमति लेना अनिवार्य है. यहां तक कि लाउडस्पीकर को जब्त भी किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि आज लाउडस्पीकर का जगह डीजे ने ले लिया है.

अधिवक्ता अजय ने क्या बताया?: अब एक ट्रॉली में कई स्पीकर लगे होते हैं, जो शहर के विभिन्न अस्पतालों सहित सभी रास्तों हो कर गुजरते हैं. ध्वनि का स्तर निर्धारित स्तर से लगभग हजार गुना अधिक होता है. इससे न केवल हृदय रोग से पीड़ित लोग, वृद्ध लोग प्रभावित होते हैं. कुछ मामलों में तो गर्भवती महिलाओं का गर्भपात भी हो चुका है. इसे नियंत्रित करने के लिए बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन किया गया है और अनुमति लेना अनिवार्य है.

'डीजे से जमकर हो रहा ध्वनि प्रदूषण': अधिवक्ता अजय ने कहा कि इसका उपयोग रात में खुले स्थान पर नहीं किया जा सकता है और उपयोग कहां किया जाना है, इसका विवरण कानून में स्पष्ट है. यही नहीं ध्वनि का स्तर 10 डीबी (ए) हैं लेकिन किसी भी सूरत में 75 डीबी (ए) से अधिक नहीं हो सकता है. इसका उल्लंघन किए जाने पर दंड का प्रावधान किया गया है. बोर्ड राज्य को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए कुछ नहीं कर रहा है. इसके अलावे ध्वनि प्रदूषण से उत्पन्न होने वाले स्वास्थ्य संबंधी खतरे के अलावा स्कूल जाने वाले बच्चे, कॉलेज के युवा छात्र, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र प्रभावित होते हैं.

"डीजे से तमाम जगहों पर ध्वनि प्रदूषण हो रहा है. किसी भी कार्यक्रम के दौरान खुले स्थान पर ध्वनि का उच्च डेसिबल स्तर शहर के नागरिकों के जीवन को पूरी तरह से नरक बना देता है. अगली सुनवाई 14 फरवरी को होगी."- अजय, वरीय अधिवक्ता, पटना उच्च न्यायालय

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने क्या दलील दी?: वहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरीय अधिवक्ता शिवेंद्र किशोर ने कोर्ट को बताया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एक सलाहकारी निकाय है और उचित प्राधिकारी को सलाह दे सकता है. उन्होंने माना कि शहर के नागरिक होने के नाते उन्होंने भी ऐसी समस्या का सामना करना पड़ता है. शहर में ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड की ओर से उठाए गए सभी तथ्यों और कदमों को कोर्ट के समक्ष पेश करने के लिए एक समय देने का अनुरोध किया.

कोर्ट ने लगाई राज्य सरकार को फटकार: सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड न केवल कार्य करें, बल्कि नियमों के अनुरूप कार्य करते हुए दिखना चाहिए और परिणाम शहर के नागरिकों को दिखना चाहिए. कोर्ट ने सभी अधिवक्ताओ को अपना सुझाव देने के लिए स्वतंत्र हैं. वहीं, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरीय अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इस बारे में निदेशक और सचिव जल्द ही बैठक करें और सुधारात्मक उपाय करेंगे. जिला प्रशासन (डीएम) और वरीय पुलिस अधीक्षक को आवश्यक कदम उठाने के लिए निर्देश जारी किया जाएगा.

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