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महिला डॉक्टर की मौत के 14 साल बाद आया फैसला, बीमा कंपनी को HC ने दिया इतनी राशि देने का निर्देश - PATNA HIGH COURT

महिला डॉक्टर की मौत के 14 साल बाद फैसला आया है. बीमा कंपनी को कोर्ट ने नए सिरे से मुआवजे की राशि तय की है.

अदालत की प्रतीकात्मक तस्वीर
अदालत की प्रतीकात्मक तस्वीर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : April 11, 2025 at 7:18 PM IST

3 Min Read

पटना: पटना हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटना में मृतक डॉक्टर प्रीति सिंघानिया के परिवार वालों को एक बड़ी राहत दी है. जस्टिस रमेश चंद मालवीय ने डॉक्टर प्रीति सिंघानिया की सड़क दुर्घटना में हुई मृत्यु के बाद उनके पति और दो नाबालिग बेटियों को मुआवजा दिए जाने की निचली अदालत के फैसले को आंशिक रूप से संशोधित किया है.

मौत के 14 साल के बाद कोर्ट का फैसला : दरअसल, 19 मई, 2011 को बिहार के भागलपुर से बांका के अमरपुर जाते समय डॉक्टर प्रीति सिंघानिया की सड़क हादसे में डॉक्टर की जान चली गयी थी. इस कार में सवार डॉक्टर प्रीति सिंघानिया और उनके ड्राइवर की गंभीर रूप से घायल होने के बाद मृत्यु हो गई थी.

पति ने दर्ज की थी याचिका: मृतका सरकारी अस्पताल में गायनेकोलॉजिस्ट के पद पर कार्यरत थी. साथ ही निजी प्रैक्टिस से भी आय अर्जित कर रही थीं. उनके पति डॉ. अमर कुमार और दो बेटियों ने मोटर वाहन दावा न्यायाधिकरण में मुआवजा के लिए याचिका दायर की थी.

95 नहीं 93 लाख मिलेगा मुआवजा: पटना हाईकोर्ट ने यह माना कि मृतक की वार्षिक आय सरकारी वेतन और निजी प्रैक्टिस से 9,31,454 रुपए थी. उम्र 39 होने के कारण 15 का गुणांक लागू करते हुए कुल क्षतिपूर्ति 93,14,550 रुपए तय की गयी.

बीमा कंपनी की दलील और कोर्ट का निर्देश: बीमा कंपनी ICICI लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस द्वारा अपील में यह तर्क दिया गया कि मृतका के पति स्वयं डॉक्टर हैं और इसलिए वे आश्रित नहीं माने जा सकते. इस पर कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि कानूनी प्रतिनिधि के तौर पर पति भी मुआवजा पाने के हकदार हैं भले ही वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र हों.

दो महीने में दे मुआवजे की राशि:कोर्ट ने यह भी कहा कि निजी प्रैक्टिस से हुई आय को आयकर रिटर्न के आधार पर प्रमाणित किया गया है, जिसे नकारा नहीं जा सकता. वहीं, बीमा कंपनी द्वारा यह तर्क कि बस का चालक योग्य नहीं था को भी अदालत ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने बीमा कंपनी को निर्देश दिया कि वह संशोधित राशि का भुगतान दो महीने के भीतर पीड़ित परिवार को करे.

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पटना: पटना हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटना में मृतक डॉक्टर प्रीति सिंघानिया के परिवार वालों को एक बड़ी राहत दी है. जस्टिस रमेश चंद मालवीय ने डॉक्टर प्रीति सिंघानिया की सड़क दुर्घटना में हुई मृत्यु के बाद उनके पति और दो नाबालिग बेटियों को मुआवजा दिए जाने की निचली अदालत के फैसले को आंशिक रूप से संशोधित किया है.

मौत के 14 साल के बाद कोर्ट का फैसला : दरअसल, 19 मई, 2011 को बिहार के भागलपुर से बांका के अमरपुर जाते समय डॉक्टर प्रीति सिंघानिया की सड़क हादसे में डॉक्टर की जान चली गयी थी. इस कार में सवार डॉक्टर प्रीति सिंघानिया और उनके ड्राइवर की गंभीर रूप से घायल होने के बाद मृत्यु हो गई थी.

पति ने दर्ज की थी याचिका: मृतका सरकारी अस्पताल में गायनेकोलॉजिस्ट के पद पर कार्यरत थी. साथ ही निजी प्रैक्टिस से भी आय अर्जित कर रही थीं. उनके पति डॉ. अमर कुमार और दो बेटियों ने मोटर वाहन दावा न्यायाधिकरण में मुआवजा के लिए याचिका दायर की थी.

95 नहीं 93 लाख मिलेगा मुआवजा: पटना हाईकोर्ट ने यह माना कि मृतक की वार्षिक आय सरकारी वेतन और निजी प्रैक्टिस से 9,31,454 रुपए थी. उम्र 39 होने के कारण 15 का गुणांक लागू करते हुए कुल क्षतिपूर्ति 93,14,550 रुपए तय की गयी.

बीमा कंपनी की दलील और कोर्ट का निर्देश: बीमा कंपनी ICICI लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस द्वारा अपील में यह तर्क दिया गया कि मृतका के पति स्वयं डॉक्टर हैं और इसलिए वे आश्रित नहीं माने जा सकते. इस पर कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि कानूनी प्रतिनिधि के तौर पर पति भी मुआवजा पाने के हकदार हैं भले ही वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र हों.

दो महीने में दे मुआवजे की राशि:कोर्ट ने यह भी कहा कि निजी प्रैक्टिस से हुई आय को आयकर रिटर्न के आधार पर प्रमाणित किया गया है, जिसे नकारा नहीं जा सकता. वहीं, बीमा कंपनी द्वारा यह तर्क कि बस का चालक योग्य नहीं था को भी अदालत ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने बीमा कंपनी को निर्देश दिया कि वह संशोधित राशि का भुगतान दो महीने के भीतर पीड़ित परिवार को करे.

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