पटना: बुधवार को सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने ग्राम कचहरी के तीन मामलों के निपटारे पर ये कहते हुए रोक लगा दी है कि ये मामले अधिकार क्षेत्र से बाहर के हैं. अदालत ने मधुबनी के रामपट्टी स्थित ग्राम कचहरी के 8 मार्च 2022 और 16 मार्च 2024 के आदेश को रद्द कर दिया है. जस्टिस राजेश कुमार वर्मा ने कहा कि ग्राम कचहरी ने 'शीर्षक व स्वामित्व' के विवाद का निपटारा किया था, जोकि बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की धारा 111 के अंतर्गत निषिद्ध है.
ग्राम कचहरी के आदेश पर रोक: वरीय अधिवक्ता बिनोदानंद मिश्रा ने बताया कि प्रतिवादी श्रीमंत मिश्रा ने 20 सितंबर 2021 को ग्राम कचहरी में आवेदन कर दावा किया कि निरंजन मिश्रा ने 1971 के पारिवारिक बंटवारे के बावजूद उनकी 1.5 धुर जमीन पर मकान बनाया और 2.25 धुर भूमि का मौखिक आदान‑प्रदान किया. ग्राम कचहरी ने बिना सुनवाई के 8,500 रुपये मुआवजा वसूलने और जमीन पर प्रतिवादी का कब्जा बनाए रखने का आदेश जारी किया.
10,000 वित्तीय दावे तक का अधिकार: हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि धारा 110 ग्राम कचहरी को केवल दस हजार रुपये तक के वित्तीय दावे और विभाजन मामलों तक सीमित अधिकार देती है. 'स्वामित्व व शीर्षक' विवाद इसके क्षेत्राधिकार से बाहर हैं. न्यायालय ने दोनों आदेशों को अवैध और असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया गया है.
आदेश अवैध और असंवैधानिक: वकील ने कोर्ट को बताया कि कचहरी ने याचिकाकर्ता की दलीलन को सुने बिना ही आदेश जारी कर दिया. वहीं अदालत ने कहा कि जब कानून ने किसी प्राधिकरण को अधिकार नहीं दिया है तो वह फैसले कैसे ले सकता है. हाईकोर्ट ने ग्राम कचहरी के आदेश को अवैध और असंवैधानिक करार हुए निरस्त कर दिया.
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