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जेएलएन में जटिल ऑपरेशन सफल: मरीज के पेट की ब्लॉक नस को कंधे की आर्टिलरी नस से जोड़कर की ग्राफ्टिंग - BLOCKED ABDOMINAL VEIN OPERATION

अजमेर के जेएलएन अस्पताल में एक मरीज के पेट की ब्लॉक नस का सफल ऑपरेशन किया गया.

Doctors with patient
मरीज के साथ डॉक्टर्स (ETV Bharat Ajmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : April 9, 2025 at 2:52 PM IST

3 Min Read

अजमेर: पेट की नस में ब्लॉकेज होने पर जटिल ऑपरेशन कर मरीज का जीवन बचाने में अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल के सर्जन डॉ प्रवीण गुप्ता और उनकी टीम को बड़ी सफलता मिली है. प्रदेश में यह पहला जटिल ऑपरेशन अजमेर में हुआ है. दावा है कि राजधानी के सबसे बड़े एसएमएस हॉस्पिटल में भी इस प्रकार का जटिल ऑपरेशन पहले कभी नहीं हुआ.

कैसे हुया ये जटिल ऑपरेशन, जानिए डॉक्टर से (ETV Bharat Ajmer)

जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ अनिल सामरिया ने बताया कि 55 वर्षीय नसीराबाद शिवराज निवासी मरीज को पेट में दर्द की शिकायत थी. इससे पहले व्यक्ति काफी बीड़ी पिया करता था. 20 वर्षों से उसे पेट में तकलीफ थी. जब मरीज के पैर सुन्न पड़ने लगे और उसे चलने-फिरने में तकलीफ होने लगी, तब उसने मार्च महीने में जेएलएन अस्पताल में सर्जन डॉ प्रशांत कोठारी को दिखाया. मरीज की सीटी रिपोर्ट में सामने आया कि पेट की नस में ब्लॉकेज है. डॉ प्रवीण कोठारी ने बताया कि सीटी जांच में सामने आया कि मरीज के पेट की नस पूरी तरह से ब्लॉक थी. इसका बाय पास ऑपरेशन ही विकल्प था. पेट से बाईपास का रास्ता उपलब्ध नहीं था. ऐसे में कंधे की आर्टिलेरी का मार्ग था, जहां से पेट तक ग्राफ्टिंग की गई. ग्राफ्टिंग 80 हजार रुपए में आती है.

पढ़ें: सवाई मानसिंह अस्पताल में पहली बार थायरॉइड ग्रंथि का चीरा रहित सफल ऑपरेशन - INCISIONLESS THYROID SURGERY

ऐसे में महायोजना के तहत मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ अनिल सामरिया और अस्पताल अधीक्षक डॉ अरविंद खरे ने महायोजना के तहत ग्राफ्टिंग को उपलब्ध करवाया. इसके बाद मरीज का बाईपास ऑपरेशन किया गया. मरीज के कंधे की आर्टिलरी से लेकर पेट तक ग्राफ्टिंग की गई. उन्होंने बताया कि कंधे की आर्टिलरी में ग्राफ्टिंग करना काफी जोखिम भरा होता है. इससे मरीज के हाथों में लकवा भी हो सकता है. मरीज को हाथ उठाने और घुमाने में दिक्कत हो सकती थी. डॉ सामरिया ने बताया कि मरीज के पैरों में भी अब रक्त संचार आराम से हो रहा है जिस कारण उसे अब चलने-फिरने में भी दिक्कत नहीं हो रही है.

पढ़ें: SMS अस्पताल के चिकित्सकों ने दी मरीज को नई जिंदगी, पैंक्रियास से सबसे बड़ी गांठ निकालने का दावा - PANCREAS SURGERY

9 घंटे चला ऑपरेशन: डॉ कोठारी ने बताया कि मरीज का 9 घंटे तक ऑपरेशन चला. उन्होंने बताया कि अत्यधिक मात्रा में बीड़ी पीने से नसों के ब्लॉक होने का जोखिम रहता है. मरीज 20 वर्षों से अधिक बीड़ी पी रहा था. उन्होंने यह भी बताया कि ऑपरेशन में मरीज के पेट को नहीं खोला गया. यह अपने आप में सबसे बड़ा ऑपरेशन था. डॉ कोठारी ने बताया कि ढाई घंटे तो केवल कंधे की आर्टिलरी में ग्राफ्टिंग लगाने में समय लगा.

पढ़ें: एमजीएच में 3D थोरैकोस्कोपिक से आहार नली कैंसर की सफल सर्जरी, हाइब्रिड तकनीक का हुआ उपयोग - 3D THORACOSCOPIC

अजमेर ही नहीं राजस्थान में यह पहला ऑपरेशन: उन्होंने दावा किया कि इस तरह का ऑपरेशन बड़े-बड़े अस्पतालों में भी नहीं होता है. जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भी अभी तक इस तरह का ऑपरेशन नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि अजमेर में ही नहीं बल्कि राजस्थान में भी उसे तरह का ऑपरेशन पहला है.

अजमेर: पेट की नस में ब्लॉकेज होने पर जटिल ऑपरेशन कर मरीज का जीवन बचाने में अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल के सर्जन डॉ प्रवीण गुप्ता और उनकी टीम को बड़ी सफलता मिली है. प्रदेश में यह पहला जटिल ऑपरेशन अजमेर में हुआ है. दावा है कि राजधानी के सबसे बड़े एसएमएस हॉस्पिटल में भी इस प्रकार का जटिल ऑपरेशन पहले कभी नहीं हुआ.

कैसे हुया ये जटिल ऑपरेशन, जानिए डॉक्टर से (ETV Bharat Ajmer)

जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ अनिल सामरिया ने बताया कि 55 वर्षीय नसीराबाद शिवराज निवासी मरीज को पेट में दर्द की शिकायत थी. इससे पहले व्यक्ति काफी बीड़ी पिया करता था. 20 वर्षों से उसे पेट में तकलीफ थी. जब मरीज के पैर सुन्न पड़ने लगे और उसे चलने-फिरने में तकलीफ होने लगी, तब उसने मार्च महीने में जेएलएन अस्पताल में सर्जन डॉ प्रशांत कोठारी को दिखाया. मरीज की सीटी रिपोर्ट में सामने आया कि पेट की नस में ब्लॉकेज है. डॉ प्रवीण कोठारी ने बताया कि सीटी जांच में सामने आया कि मरीज के पेट की नस पूरी तरह से ब्लॉक थी. इसका बाय पास ऑपरेशन ही विकल्प था. पेट से बाईपास का रास्ता उपलब्ध नहीं था. ऐसे में कंधे की आर्टिलेरी का मार्ग था, जहां से पेट तक ग्राफ्टिंग की गई. ग्राफ्टिंग 80 हजार रुपए में आती है.

पढ़ें: सवाई मानसिंह अस्पताल में पहली बार थायरॉइड ग्रंथि का चीरा रहित सफल ऑपरेशन - INCISIONLESS THYROID SURGERY

ऐसे में महायोजना के तहत मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ अनिल सामरिया और अस्पताल अधीक्षक डॉ अरविंद खरे ने महायोजना के तहत ग्राफ्टिंग को उपलब्ध करवाया. इसके बाद मरीज का बाईपास ऑपरेशन किया गया. मरीज के कंधे की आर्टिलरी से लेकर पेट तक ग्राफ्टिंग की गई. उन्होंने बताया कि कंधे की आर्टिलरी में ग्राफ्टिंग करना काफी जोखिम भरा होता है. इससे मरीज के हाथों में लकवा भी हो सकता है. मरीज को हाथ उठाने और घुमाने में दिक्कत हो सकती थी. डॉ सामरिया ने बताया कि मरीज के पैरों में भी अब रक्त संचार आराम से हो रहा है जिस कारण उसे अब चलने-फिरने में भी दिक्कत नहीं हो रही है.

पढ़ें: SMS अस्पताल के चिकित्सकों ने दी मरीज को नई जिंदगी, पैंक्रियास से सबसे बड़ी गांठ निकालने का दावा - PANCREAS SURGERY

9 घंटे चला ऑपरेशन: डॉ कोठारी ने बताया कि मरीज का 9 घंटे तक ऑपरेशन चला. उन्होंने बताया कि अत्यधिक मात्रा में बीड़ी पीने से नसों के ब्लॉक होने का जोखिम रहता है. मरीज 20 वर्षों से अधिक बीड़ी पी रहा था. उन्होंने यह भी बताया कि ऑपरेशन में मरीज के पेट को नहीं खोला गया. यह अपने आप में सबसे बड़ा ऑपरेशन था. डॉ कोठारी ने बताया कि ढाई घंटे तो केवल कंधे की आर्टिलरी में ग्राफ्टिंग लगाने में समय लगा.

पढ़ें: एमजीएच में 3D थोरैकोस्कोपिक से आहार नली कैंसर की सफल सर्जरी, हाइब्रिड तकनीक का हुआ उपयोग - 3D THORACOSCOPIC

अजमेर ही नहीं राजस्थान में यह पहला ऑपरेशन: उन्होंने दावा किया कि इस तरह का ऑपरेशन बड़े-बड़े अस्पतालों में भी नहीं होता है. जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भी अभी तक इस तरह का ऑपरेशन नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि अजमेर में ही नहीं बल्कि राजस्थान में भी उसे तरह का ऑपरेशन पहला है.

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