अजमेर: पेट की नस में ब्लॉकेज होने पर जटिल ऑपरेशन कर मरीज का जीवन बचाने में अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल के सर्जन डॉ प्रवीण गुप्ता और उनकी टीम को बड़ी सफलता मिली है. प्रदेश में यह पहला जटिल ऑपरेशन अजमेर में हुआ है. दावा है कि राजधानी के सबसे बड़े एसएमएस हॉस्पिटल में भी इस प्रकार का जटिल ऑपरेशन पहले कभी नहीं हुआ.
जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ अनिल सामरिया ने बताया कि 55 वर्षीय नसीराबाद शिवराज निवासी मरीज को पेट में दर्द की शिकायत थी. इससे पहले व्यक्ति काफी बीड़ी पिया करता था. 20 वर्षों से उसे पेट में तकलीफ थी. जब मरीज के पैर सुन्न पड़ने लगे और उसे चलने-फिरने में तकलीफ होने लगी, तब उसने मार्च महीने में जेएलएन अस्पताल में सर्जन डॉ प्रशांत कोठारी को दिखाया. मरीज की सीटी रिपोर्ट में सामने आया कि पेट की नस में ब्लॉकेज है. डॉ प्रवीण कोठारी ने बताया कि सीटी जांच में सामने आया कि मरीज के पेट की नस पूरी तरह से ब्लॉक थी. इसका बाय पास ऑपरेशन ही विकल्प था. पेट से बाईपास का रास्ता उपलब्ध नहीं था. ऐसे में कंधे की आर्टिलेरी का मार्ग था, जहां से पेट तक ग्राफ्टिंग की गई. ग्राफ्टिंग 80 हजार रुपए में आती है.
ऐसे में महायोजना के तहत मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ अनिल सामरिया और अस्पताल अधीक्षक डॉ अरविंद खरे ने महायोजना के तहत ग्राफ्टिंग को उपलब्ध करवाया. इसके बाद मरीज का बाईपास ऑपरेशन किया गया. मरीज के कंधे की आर्टिलरी से लेकर पेट तक ग्राफ्टिंग की गई. उन्होंने बताया कि कंधे की आर्टिलरी में ग्राफ्टिंग करना काफी जोखिम भरा होता है. इससे मरीज के हाथों में लकवा भी हो सकता है. मरीज को हाथ उठाने और घुमाने में दिक्कत हो सकती थी. डॉ सामरिया ने बताया कि मरीज के पैरों में भी अब रक्त संचार आराम से हो रहा है जिस कारण उसे अब चलने-फिरने में भी दिक्कत नहीं हो रही है.
9 घंटे चला ऑपरेशन: डॉ कोठारी ने बताया कि मरीज का 9 घंटे तक ऑपरेशन चला. उन्होंने बताया कि अत्यधिक मात्रा में बीड़ी पीने से नसों के ब्लॉक होने का जोखिम रहता है. मरीज 20 वर्षों से अधिक बीड़ी पी रहा था. उन्होंने यह भी बताया कि ऑपरेशन में मरीज के पेट को नहीं खोला गया. यह अपने आप में सबसे बड़ा ऑपरेशन था. डॉ कोठारी ने बताया कि ढाई घंटे तो केवल कंधे की आर्टिलरी में ग्राफ्टिंग लगाने में समय लगा.
अजमेर ही नहीं राजस्थान में यह पहला ऑपरेशन: उन्होंने दावा किया कि इस तरह का ऑपरेशन बड़े-बड़े अस्पतालों में भी नहीं होता है. जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भी अभी तक इस तरह का ऑपरेशन नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि अजमेर में ही नहीं बल्कि राजस्थान में भी उसे तरह का ऑपरेशन पहला है.