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प्रयागराज में कुम्भ के बाद पट्टाभिषेक: परी अखाड़े ने साध्वी हनुमंती देवी को बनाया महामंडलेश्वर - PRAYAGRAJ NEWS

कुम्भ के बाद भी प्रयागराज में साधु संतों का पट्टाभिषेक जारी, परी अखाड़े ने साध्वी हनुमंती देवी को बनाया महामंडलेश्वर.

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परी अखाड़े ने साध्वी हनुमंती देवी को बनाया महामंडलेश्वर (picture credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : April 16, 2025 at 4:38 PM IST

3 Min Read

प्रयागराज: महाकुंभ में तमाम अखाड़ों ने दूरदराज से आये साधु संतों के पट्टाभिषेक कर महामंडलेश्वर की उपाधि दी. लेकिन अब भी प्रयागराज में पट्टाभिषेक का दौर जारी है. 13 अखाड़ों में 14 अखाड़े की दावा करने वाले परी अखाड़ा ने बांदा मध्य प्रदेश- की रहने वाली साध्वी हनुमंती देवी को महामंडलेश्वर की उपाधि दी है. बुधवार सुबह से तमाम धार्मिक अनुष्ठान किये गए. यह कार्य परी अखाड़े की जगतगुरु साध्वी त्रिकाल भवंता की मौजूदगी में हुआ. परी अखाड़े में पट्टाभिषेक के बाद साध्वी हनुमंती देवी ने महामंडलेश्वर का पद ग्रहण किया.


पट्टाभिषेक का यह कार्यक्रम प्रयागराज में संगम के नजदीक यमुना तट पर स्थित परी अखाड़े के मुख्यालय में आयोजित किया गया. महिला संतों के पट्टाभिषेक कार्यक्रम से पहले सोमेश्वर महादेव मंदिर में पूजन अर्चन का कार्यक्रम हुआ. पट्टाभिषेक समारोह में बड़ी संख्या में महिला साध्वी मौजूद थीं. इस मौके पर महिला संतों की आरती कर धार्मिक कार्यक्रम भी किए गए.

नवनियुक्त साध्वी हनुमंती देवी और अखाड़े की संस्थापक त्रिकाल भवंता ने दी जानकारी (video credit; ETV Bharat)

नवनियुक्त साध्वी हनुमंती देवी ने कहा कि हम इस अखाड़े का धन्यवाद देते हैं कि नारी शक्ति को बढ़ावा देने के लिए नारियों का सम्मान इस अखाड़े में दिया जा रहा है. इस पद के ग्रहण करने के बाद हम जगह-जगह जाकर सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करेंगे. जहां पर नारी शक्ति को अखाड़े में न शामिल करने की बात कही जा रही है, उसका भी विरोध करेंगे.
वहीं अखाड़े की संस्थापक ने कहा कि जिस तरह से कुंभ का समापन हुआ है हम लोग एक नारी शक्ति का मिनी कुंभ यहां पर आयोजित कर रहे हैं. इसमें हम उन अखाड़े को दिखाएंगे, जो अखाड़े हम नारियों को 14 खड़े के रूप में शामिल नहीं कर रहे हैं.
क्यों जरूरत पड़ी 14 अखाड़ों की : अखाड़े की संस्थापक त्रिकाल भवंता ने कहा कि शैव संप्रदाय के 10 अखाड़ों में से सिर्फ दो अखाड़ों में ही महिलाओं को प्रवेश मिलता है. इसी कारण से महिलाओं को अपने एक अखाड़े की जरूरत आन पड़ी. इसी के चलते 2013 में प्रयागराज में परी अखाड़े की स्थापना की गई.
50 से अधिक महिला संतों की मौजूदगी में संगम पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गंगा पूजन हुआ और महिला शंकराचार्य त्रिकाल भवंता ने 'श्रीसर्वेश्वर महादेव बैकुंठ धाम मुक्ति द्वार अखाड़ा' नामक महिला अखाड़ा की घोषणा की. स्थापना के दौरान अखाड़े को साधु संतों और महामंडलेश्वरों का भारी विरोध भी झेलना पड़ा. हालांकि महिला साधुओं का कहना था कि भगवान आदि शंकराचार्य ने 4 अखाड़े बनाए थे. धीरे धीरे यह 13 हो गए. ऐसे में 14 वां अखाड़ा बनने पर विवाद नहीं होना चाहिए.

प्रयागराज: महाकुंभ में तमाम अखाड़ों ने दूरदराज से आये साधु संतों के पट्टाभिषेक कर महामंडलेश्वर की उपाधि दी. लेकिन अब भी प्रयागराज में पट्टाभिषेक का दौर जारी है. 13 अखाड़ों में 14 अखाड़े की दावा करने वाले परी अखाड़ा ने बांदा मध्य प्रदेश- की रहने वाली साध्वी हनुमंती देवी को महामंडलेश्वर की उपाधि दी है. बुधवार सुबह से तमाम धार्मिक अनुष्ठान किये गए. यह कार्य परी अखाड़े की जगतगुरु साध्वी त्रिकाल भवंता की मौजूदगी में हुआ. परी अखाड़े में पट्टाभिषेक के बाद साध्वी हनुमंती देवी ने महामंडलेश्वर का पद ग्रहण किया.


पट्टाभिषेक का यह कार्यक्रम प्रयागराज में संगम के नजदीक यमुना तट पर स्थित परी अखाड़े के मुख्यालय में आयोजित किया गया. महिला संतों के पट्टाभिषेक कार्यक्रम से पहले सोमेश्वर महादेव मंदिर में पूजन अर्चन का कार्यक्रम हुआ. पट्टाभिषेक समारोह में बड़ी संख्या में महिला साध्वी मौजूद थीं. इस मौके पर महिला संतों की आरती कर धार्मिक कार्यक्रम भी किए गए.

नवनियुक्त साध्वी हनुमंती देवी और अखाड़े की संस्थापक त्रिकाल भवंता ने दी जानकारी (video credit; ETV Bharat)

नवनियुक्त साध्वी हनुमंती देवी ने कहा कि हम इस अखाड़े का धन्यवाद देते हैं कि नारी शक्ति को बढ़ावा देने के लिए नारियों का सम्मान इस अखाड़े में दिया जा रहा है. इस पद के ग्रहण करने के बाद हम जगह-जगह जाकर सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करेंगे. जहां पर नारी शक्ति को अखाड़े में न शामिल करने की बात कही जा रही है, उसका भी विरोध करेंगे.
वहीं अखाड़े की संस्थापक ने कहा कि जिस तरह से कुंभ का समापन हुआ है हम लोग एक नारी शक्ति का मिनी कुंभ यहां पर आयोजित कर रहे हैं. इसमें हम उन अखाड़े को दिखाएंगे, जो अखाड़े हम नारियों को 14 खड़े के रूप में शामिल नहीं कर रहे हैं.
क्यों जरूरत पड़ी 14 अखाड़ों की : अखाड़े की संस्थापक त्रिकाल भवंता ने कहा कि शैव संप्रदाय के 10 अखाड़ों में से सिर्फ दो अखाड़ों में ही महिलाओं को प्रवेश मिलता है. इसी कारण से महिलाओं को अपने एक अखाड़े की जरूरत आन पड़ी. इसी के चलते 2013 में प्रयागराज में परी अखाड़े की स्थापना की गई.
50 से अधिक महिला संतों की मौजूदगी में संगम पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गंगा पूजन हुआ और महिला शंकराचार्य त्रिकाल भवंता ने 'श्रीसर्वेश्वर महादेव बैकुंठ धाम मुक्ति द्वार अखाड़ा' नामक महिला अखाड़ा की घोषणा की. स्थापना के दौरान अखाड़े को साधु संतों और महामंडलेश्वरों का भारी विरोध भी झेलना पड़ा. हालांकि महिला साधुओं का कहना था कि भगवान आदि शंकराचार्य ने 4 अखाड़े बनाए थे. धीरे धीरे यह 13 हो गए. ऐसे में 14 वां अखाड़ा बनने पर विवाद नहीं होना चाहिए.
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