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हाथों से मूर्तियों में जान फूंक देता है ये मूर्तिकार, देशभर में बनाई दर्जनों मूर्तियां, कई लोगों को दिया रोजगार - SCULPTOR RAJESH THAPA

पांवटा साहिब के राजेश थापा कई राज्यों में मूर्तियां बना चुके हैं. आज इनकी पहचान एक उम्दा मूर्तिकार के रूप में बन चुकी है,

मूर्तिकार राजेश थापा
मूर्तिकार राजेश थापा देशभर में बनाते हैं मूर्तियां (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : March 27, 2025 at 10:56 PM IST

Updated : March 28, 2025 at 11:37 AM IST

5 Min Read

पांवटा साहिब: कला और मेहनत अगर एकजुट हो जाएं, तो इंसान किसी भी ऊंचाई को छू सकता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं राजेश थापा, जो गरीबी और संघर्षों के बावजूद अपनी कला के दम पर देशभर में एक प्रतिष्ठित कलाकार के तौर पर अपनी पहचान बना चुके हैं. राजेश थापा का जन्म 1972 में देहरादून में हुआ था. बचपन से ही उनका सपना भारतीय सेना में भर्ती होने का था, लेकिन उनका ये सपना पूरा नहीं हो पाया.

राजेश थापा का एक सपना भले ही टूट गया था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने कुछ अलग करने की ठानी और एक बड़ा मूर्तिकार बनने का सपना देखा. बचपन में ही पेंटिंग और मूर्तिकला में रुचि लेने वाले राजेश ने मिट्टी से मूर्तियां बनाना शुरू किया और धीरे-धीरे इस कला को अपनी पहचान बना लिया. आज वो पूरे देश में एक जाने-माने मूर्तिकार और चित्रकार के रूप में जाने जाते हैं. ये अपने हाथों से मूर्तियों में जान फूंक देते हैं.

मूर्तिकार राजेश थापा देशभर में बनाते हैं मूर्तियां (ETV Bharat)

बच्चपन से था मूर्तियां बनाने का शौक

राजेश थापा ने बाताया कि, 'मुझे शुरू से ही मूर्तियां और पेटिंग बनाने का शोक था. बच्चपन में सरस्वती की मूर्ति बनाई थी तो लोगों ने काफी तारीफ की. इसके बाद मुझे मूर्तियां और पेटिंग्स बनाना अच्छा लगता था. शुरू शुरू में मेरे पास काम बहुत कम आता था. रोजी रोटी चलाने के लिए मैं इलेक्ट्रिशियन का भी काम करते थे, लेकिन अब मूर्तिकला में मैं अपनी पहचान बना चुका हूं और अब मेरे पास काफी काम है. मेरे पास हर समय 10 से 15 लोग काम करते हैं.'

शहीदों के सम्मान में बनाते हैं निशुल्क मूर्तियां

राजेश थापा भले ही सेना में भर्ती नहीं हो सके, लेकिन उनका दिल आज भी देश के लिए धड़कता है. देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए राजेश निशुल्क मूर्तियां बनाते हैं. अब तक उन्होंने हिमाचल, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में शहीद स्मारकों के लिए 6 से 7 स्टेच्यू फ्री में बनाए हैं. ये उनके देशप्रेम और कला के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है.

कई पार्कों में लगी हैं इनकी बनी मूर्तियां
कई पार्कों में लगी हैं इनकी बनी मूर्तियां (ETV BHARAT)

पर्यावरण का संदेश भी दे रही इनकी मूर्तियां

राजेश थापा के हाथों की बनी मूर्तियां और पेंटिंग्स सरकारी पार्कों, संस्थानों, स्मारकों और हेरिटेज स्थलों पर स्थापित हो रही हैं. ये अपनी मूर्तियों में पर्यावरण का संदेश भी दे रहे हैं. पर्यावरण को संदेश देती इनकी मूर्तियां हिमाचल और उत्तराखंड में लग चुकी हैं. नेशनल हाईवे 707 पर उनके द्वारा बनाई गई जापानी लेपर्ड, टाइगर और अन्य दुर्लभ जीवों की मूर्तियां पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का काम कर रही हैं. उत्तराखंड के शनि धाम में वे अब तक 60 से अधिक मूर्तियां बना चुके हैं, जो इस क्षेत्र के पर्यटन और धार्मिक महत्व को बढ़ा रही हैं.

कई लोगों को दिया है रोजगार
कई लोगों को दिया है रोजगार (ETV BHARAT)

देशभर में लगा चुके हैं हाथों से बनीं मूर्तियां

राजेश थापा ने बताया कि, 'अब तक मैं उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र और कई अन्य राज्यों में मूर्तियां बना चुकी हूं.ये मूर्तियां चौक चौराहों और पार्कों की शोभा बढ़ा रही हैं. इन मूर्तियों में महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, डॉ. भीमराव अंबेडकर, भगवान राम, शिव-पार्वती, हनुमान, बुद्ध और अन्य ऐतिहासिक और धार्मिक मूर्तियां शामिल हैं.'

शहीद सैनिकों की मूर्तियां निशुल्क बनाते हैं राजेश
शहीद सैनिकों की मूर्तियां निशुल्क बनाते हैं राजेश (ETV BHARAT)

नशे के खिलाफ कला के जरिए चला रहे हैं जागरूकता अभियान

देशभर में बढ़ते नशे की समस्या को लेकर राजेश थापा चिंतित हैं और इसके खिलाफ कला के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहे हैं. अब तक राजेश थापा कई नशा विरोधी पेंटिंग्स बना चुके हैं, जो सरकारी संस्थानों और सार्वजनिक पार्कों में प्रदर्शित की गई हैं. वो चाहते हैं कि देश का युवा वर्ग नशे से दूर रहे और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाएं.

कई प्रकार की मूर्तियां बनाते हैं राजेश थापा
कई प्रकार की मूर्तियां बनाते हैं राजेश थापा (ETV BHARAT)

200 फीट ऊंची मूर्ति बनाने का सपना

राजेश थापा ने कहा कि, 'मेरा अगला लक्ष्य 200 फीट ऊंची मूर्ति बनाना है. मैं चाहता हूं कि अगर सरकार और प्रशासन का सहयोग मिले, तो मैं भारत में एक ऐतिहासिक और भव्य मूर्ति का निर्माण करना चाहता हूं. इससे न केवल भारतीय संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि पर्यटन और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे.'

कई राज्यों में मूर्तियां बनाते हैं राजेश
कई राज्यों में मूर्तियां बनाते हैं राजेश (ETV BHARAT)

कई लोगों को दे रहे रोजगार

उत्तराखंड में विकासनगर के रहने वाले सोमपाल ने बताया कि, 'हमें यहां काम सीखते हुए तीन साल हो चुके हैं. एक मूर्ति बनाने के लिए काफी समय लग जाता है. हमें इससे अच्छा रोजगार मिल जाता है और अच्छे से परिवार चल जाता है. हम भगवान, नेताओं और अन्य प्रकार के स्टेच्यू बनाते हैं. ये बारीकी काम है. इसमें काफी टाइम लगता. रोजगार के लिहाज से ये बहुत अच्छा काम है. अगर कोई इसे करना चाहिए तो ये अच्छा विकल्प है. हम हिमाचल उत्तराखंड में कई मूर्तियां और पेटिंग्स बना चुके हैं.'

ये भी पढ़ें: आखिर क्यों सिजोफ्रेनिया मरीज को सुनाई देती हैं अजीब सी आवाजें, जानें कितना घातक है यह बीमारी, क्या संभव है इलाज?

पांवटा साहिब: कला और मेहनत अगर एकजुट हो जाएं, तो इंसान किसी भी ऊंचाई को छू सकता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं राजेश थापा, जो गरीबी और संघर्षों के बावजूद अपनी कला के दम पर देशभर में एक प्रतिष्ठित कलाकार के तौर पर अपनी पहचान बना चुके हैं. राजेश थापा का जन्म 1972 में देहरादून में हुआ था. बचपन से ही उनका सपना भारतीय सेना में भर्ती होने का था, लेकिन उनका ये सपना पूरा नहीं हो पाया.

राजेश थापा का एक सपना भले ही टूट गया था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने कुछ अलग करने की ठानी और एक बड़ा मूर्तिकार बनने का सपना देखा. बचपन में ही पेंटिंग और मूर्तिकला में रुचि लेने वाले राजेश ने मिट्टी से मूर्तियां बनाना शुरू किया और धीरे-धीरे इस कला को अपनी पहचान बना लिया. आज वो पूरे देश में एक जाने-माने मूर्तिकार और चित्रकार के रूप में जाने जाते हैं. ये अपने हाथों से मूर्तियों में जान फूंक देते हैं.

मूर्तिकार राजेश थापा देशभर में बनाते हैं मूर्तियां (ETV Bharat)

बच्चपन से था मूर्तियां बनाने का शौक

राजेश थापा ने बाताया कि, 'मुझे शुरू से ही मूर्तियां और पेटिंग बनाने का शोक था. बच्चपन में सरस्वती की मूर्ति बनाई थी तो लोगों ने काफी तारीफ की. इसके बाद मुझे मूर्तियां और पेटिंग्स बनाना अच्छा लगता था. शुरू शुरू में मेरे पास काम बहुत कम आता था. रोजी रोटी चलाने के लिए मैं इलेक्ट्रिशियन का भी काम करते थे, लेकिन अब मूर्तिकला में मैं अपनी पहचान बना चुका हूं और अब मेरे पास काफी काम है. मेरे पास हर समय 10 से 15 लोग काम करते हैं.'

शहीदों के सम्मान में बनाते हैं निशुल्क मूर्तियां

राजेश थापा भले ही सेना में भर्ती नहीं हो सके, लेकिन उनका दिल आज भी देश के लिए धड़कता है. देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए राजेश निशुल्क मूर्तियां बनाते हैं. अब तक उन्होंने हिमाचल, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में शहीद स्मारकों के लिए 6 से 7 स्टेच्यू फ्री में बनाए हैं. ये उनके देशप्रेम और कला के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है.

कई पार्कों में लगी हैं इनकी बनी मूर्तियां
कई पार्कों में लगी हैं इनकी बनी मूर्तियां (ETV BHARAT)

पर्यावरण का संदेश भी दे रही इनकी मूर्तियां

राजेश थापा के हाथों की बनी मूर्तियां और पेंटिंग्स सरकारी पार्कों, संस्थानों, स्मारकों और हेरिटेज स्थलों पर स्थापित हो रही हैं. ये अपनी मूर्तियों में पर्यावरण का संदेश भी दे रहे हैं. पर्यावरण को संदेश देती इनकी मूर्तियां हिमाचल और उत्तराखंड में लग चुकी हैं. नेशनल हाईवे 707 पर उनके द्वारा बनाई गई जापानी लेपर्ड, टाइगर और अन्य दुर्लभ जीवों की मूर्तियां पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का काम कर रही हैं. उत्तराखंड के शनि धाम में वे अब तक 60 से अधिक मूर्तियां बना चुके हैं, जो इस क्षेत्र के पर्यटन और धार्मिक महत्व को बढ़ा रही हैं.

कई लोगों को दिया है रोजगार
कई लोगों को दिया है रोजगार (ETV BHARAT)

देशभर में लगा चुके हैं हाथों से बनीं मूर्तियां

राजेश थापा ने बताया कि, 'अब तक मैं उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र और कई अन्य राज्यों में मूर्तियां बना चुकी हूं.ये मूर्तियां चौक चौराहों और पार्कों की शोभा बढ़ा रही हैं. इन मूर्तियों में महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, डॉ. भीमराव अंबेडकर, भगवान राम, शिव-पार्वती, हनुमान, बुद्ध और अन्य ऐतिहासिक और धार्मिक मूर्तियां शामिल हैं.'

शहीद सैनिकों की मूर्तियां निशुल्क बनाते हैं राजेश
शहीद सैनिकों की मूर्तियां निशुल्क बनाते हैं राजेश (ETV BHARAT)

नशे के खिलाफ कला के जरिए चला रहे हैं जागरूकता अभियान

देशभर में बढ़ते नशे की समस्या को लेकर राजेश थापा चिंतित हैं और इसके खिलाफ कला के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहे हैं. अब तक राजेश थापा कई नशा विरोधी पेंटिंग्स बना चुके हैं, जो सरकारी संस्थानों और सार्वजनिक पार्कों में प्रदर्शित की गई हैं. वो चाहते हैं कि देश का युवा वर्ग नशे से दूर रहे और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाएं.

कई प्रकार की मूर्तियां बनाते हैं राजेश थापा
कई प्रकार की मूर्तियां बनाते हैं राजेश थापा (ETV BHARAT)

200 फीट ऊंची मूर्ति बनाने का सपना

राजेश थापा ने कहा कि, 'मेरा अगला लक्ष्य 200 फीट ऊंची मूर्ति बनाना है. मैं चाहता हूं कि अगर सरकार और प्रशासन का सहयोग मिले, तो मैं भारत में एक ऐतिहासिक और भव्य मूर्ति का निर्माण करना चाहता हूं. इससे न केवल भारतीय संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि पर्यटन और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे.'

कई राज्यों में मूर्तियां बनाते हैं राजेश
कई राज्यों में मूर्तियां बनाते हैं राजेश (ETV BHARAT)

कई लोगों को दे रहे रोजगार

उत्तराखंड में विकासनगर के रहने वाले सोमपाल ने बताया कि, 'हमें यहां काम सीखते हुए तीन साल हो चुके हैं. एक मूर्ति बनाने के लिए काफी समय लग जाता है. हमें इससे अच्छा रोजगार मिल जाता है और अच्छे से परिवार चल जाता है. हम भगवान, नेताओं और अन्य प्रकार के स्टेच्यू बनाते हैं. ये बारीकी काम है. इसमें काफी टाइम लगता. रोजगार के लिहाज से ये बहुत अच्छा काम है. अगर कोई इसे करना चाहिए तो ये अच्छा विकल्प है. हम हिमाचल उत्तराखंड में कई मूर्तियां और पेटिंग्स बना चुके हैं.'

ये भी पढ़ें: आखिर क्यों सिजोफ्रेनिया मरीज को सुनाई देती हैं अजीब सी आवाजें, जानें कितना घातक है यह बीमारी, क्या संभव है इलाज?

Last Updated : March 28, 2025 at 11:37 AM IST
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