पन्ना: जिला केंद्र से करीब 5 किलोमीटर दूर पहाड़ी की तलछटी पर शंकर, पार्वती और गणेश जी का मंदिर है. बताया जाता है कि यह मंदिर करीब 400 साल पुराना है. जब प्रतिमा खंडित हो गई थी, तो करीब 30-40 साल पहले पुन: प्रतिमा स्थापित की गई. यह एक सिद्ध स्थान है. इस मंदिर प्रांगण में कई मंदिर स्थापित हैं. यहां पर शिवरात्रि और अन्य पर्वों पर अनुष्ठान किए जाते हैं. जंगलों से घिरा होने के कारण यह एक रमणीय स्थान है.
प्रतिमा स्थापना के दौरान निकेल थे विशाल सर्प
मंदिर के मुख्य पुजारी अजय कुमार दुबे बताते हैं कि "मंदिर में भगवान शंकर और मां पार्वती की मूर्ति लगभग 400 वर्ष पुरानी हो चुकी थी, जो खंडित हो चुकी थी. इस मूर्ति को बदलने के लिए जब मंदिर में पुरानी मूर्ति हटाई गई और खुदाई की गई तो वहां पर 2 काले विशाल सर्प निकले, जिन्हें देखकर सभी लोग घबरा गए. ये सर्प नाग नागिन का जोड़ा था, जो वहीं बैठ गया. फिर लोगों ने काले सर्प से प्रार्थना की. जिसके थोड़ी देर बाद सर्प वहीं पर पहाड़ की तलछठी में कहीं विलुप्त हो गए."

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बाघ तेंदुआ भी आतें हैं मंदिर!
आज से करीब 30-40 साल पहले मंदिर का जिर्णोद्धार किया गया. जब नवनिर्माण के लिए मंदिर में खुदाई की गई तो पुरानी मूर्ति हटाकर नई मूर्ति विधि-विधान के साथ स्थापित की गई. नई मूर्ती संगमरमर से बनी है. शंकर पार्वती का यह मंदिर पहाड़ी की तलछटी में बना हुआ है और जंगलों के बीच स्थित है. पुजारी बतातें हैं कि "कभी-कभी यहां पर बाघ और तेंदुआ भी पानी पीने आ जाते हैं. इसलिए रात के समय इस मंदिर में लोग आने से परहेज करते हैं."