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'रियाण' इन दिनों खाकी के निशाने पर, खुशी और गम से है खास नाता - TRADITION OF RAJASTHAN

मारवाड़ में प्रथाओं के नाम पर सालों से चली आ रही परंपरा रियाण. रस्मों-रिवाज में घुली अफीम खाकी के निशाने पर.

Rajasthan Tradition
रस्मों-रिवाज में घुली अफीम खाकी के निशाने पर (ETV Bharat Jodhpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : April 11, 2025 at 1:51 PM IST

4 Min Read

जोधपुर: मारवाड़ में रस्मों और प्रथाओं के नाम पर सालों से चली आ रही एक परंपरा रियाण इन दिनों खाकी के निशाने पर है. पश्चिमी राजस्थान में खुशी और गम के मौके पर मनुहार के रूप में परोसी जाने वाली अफीम जिसे अमल कहा जाता है, इसको लेकर इन दिनों नशा मुक्ति की दिशा में काम कर रही पुलिस सक्रिय है. बाकायदा पुलिस लोगों से अपील कर अब सदियों से चली आ रही इस परंपरा को विराम देने की मांग कर रही है.

पुलिस का कहना है कि सामाजिक परंपरा के नाम पर मादक पदार्थ का उपयोग नहीं किया जा सकता. यह गैर कानूनी है. पुलिस की सख्ती भी नजर आ रही है. हाल ही में दो पुलिसकर्मियों द्वारा एक सभा में अफीम लेने का वीडियो सामने आया तो उनकेा तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया गया. ये बताता है कि पुलिस अब कुप्रथा को बख्शने के मूड में नहीं है.

किसने क्या कहा, सुनिए... (ETV Bharat Jodhpur)

जोधपुर ग्रामीण एसपी राममूर्ति जोशी का कहना है कि नशा किसी सामाजिक परंपरा का हिस्सा नहीं हो सकता. बहुत सी सामाजिक रीतियां अब अवैध हो गई हैं. इसको लेकर अभियान चल रहा है. पुलिस की मुहिम का समर्थन भी हो रहा है.

दरअसल, मारवाड़ में अफीम की मनुहार शादी विवाह मौत मरघट में होती है. इसे रियाण कहा जाता है, जिसे एक तरह से अघोषित सामाजिक मान्यता सी मिली हुई है. नेता या अफसर कोई भी हो, ऐसी जगह जाते हैं तो उसमें शरीक होते हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह जसोल इसको लेकर चर्चा में आए थे. माना जा रहा है कि इस कुप्रथा ने नशा फैलाया है. अफीम परोसने का चलन सामाजिक परंपरा बनने का अब नुकसान भी नजर आ रहा है, जिसके चलते अब यह खाकी के निशाने पर है.

इसके अलावा पश्चिमी राजस्थान में अब नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो भी नशे की आपूर्ति पर लगाम लगाने में जुटा है. पूर्व विधायक महेंद्र सिंह विश्नोई का कहना है कि नशे की प्रवृति बढ़ रही है, यह गलत है. समाज में जागृति आ रही है. कुछ समाजों ने परंपराओं को बंद भी किया है. गांवों में पुलिस जो कार्रवाई कर रही है, वह पूरी तरह से सही है. नशे के शिकार युवाओं को छुड़ाकर वापस मुख्य धारा में लाना होगा. अतिरिक्त महाधिवक्ता नाथू सिंह राठौड़ का कहना है कि युवाओं को इससे बचाना जरूरी है. पुलिस को कड़े कदम उठाने चाहिए.

Drug Free Society Campaign
नशा मुक्त समाज अभियान (ETV Bharat Jodhpur)

इस तरह होता है रियाण गेट टुगेदर : गांवों में खुशी या गम, किसी भी मौके पर रियाण का आयोजन होता है. खुशी के मौके पर साथ में लोक कलाकार मांगणियार भी बैठते हैं. जैसे-जैसे उनकी सुरीली आवाज सिर चढ़ती है, त्यों-त्यों अफीम नसों में घुलती है. रियाण के दौरान एक व्यक्ति होता है जो सभी की मनुहार करता है. मनुहार करने वाला अपने हाथ की हथेली में अंगुलियों की ममद से खोबा बनाकर उसमें पानी में घुली अफीम लेकर तीन बार सामने वाले को पिलाता है, जिसे तेड़ा कहा जाता है. कुछ जगह पर इसे सुखे के रूप में भी दिया जाता है.

पढ़ें : 526 साल पुरानी परंपरा: रत्न-आभूषणों से लदे राठौड़ बाबा और गणगौर माता को रखा दर्शनों के लिए, 7 को निकलेगी सवारी - RATHORE BABA SAWARI IN AJMER

रियाण ने राजनीति में भी मचाई हलचल : पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह जसोल भी रियाण को लेकर विवादों में आ गए थे. जसवंत सिंह और 9 दूसरे नेताओं के खिलाफ सामाजिक समारोह में अफीम परोसने का आरोप लगा. स्थानीय अदालत में शिकायत भी दर्ज कराई गई. अपने गांव जसोल में जसवंत सिंह ने एक पारिवारिक समारोह का आयोजित किया था. इसमें कई तत्कालीन कैबिनेट मिनिस्टर और पार्टी नेता शामिल हुए थे. आरोप था कि मेहमानों को पानी में अफीम मिला कर दी गई थी. हालांकि, बाद में कहा गया कि वह अफीम नहीं केसर था.

Jaswant Singh Jasol Controversy
पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह जसोल भी रहे विवादों में (ETV Bharat Jodhpur)

हर साल सैकड़ों मुकदमे, भारी बरामदगी : समूचे पश्चिम राजस्थान में हर साल पुलिस सैकड़ों मुकदमे मादक पदार्थों की तस्करी के दर्ज कर रही है. इसके साथ ही सैकड़ों मादक पदार्थ जब्त भी किए जा रहे हैं. राजस्थान में अफीम की आपूर्ति मध्य प्रदेश और नॉर्थ-ईस्ट से होती है. जोधपुर रेंज आईजी की स्पेशल टीम लगातार इस नेटवर्क को तोड़ने में लगी हुई है. बड़ी सफलता भी मिली है, लेकिन अभी तक इस परंपरा पर अंकुश नहीं लग पाया है.

जोधपुर: मारवाड़ में रस्मों और प्रथाओं के नाम पर सालों से चली आ रही एक परंपरा रियाण इन दिनों खाकी के निशाने पर है. पश्चिमी राजस्थान में खुशी और गम के मौके पर मनुहार के रूप में परोसी जाने वाली अफीम जिसे अमल कहा जाता है, इसको लेकर इन दिनों नशा मुक्ति की दिशा में काम कर रही पुलिस सक्रिय है. बाकायदा पुलिस लोगों से अपील कर अब सदियों से चली आ रही इस परंपरा को विराम देने की मांग कर रही है.

पुलिस का कहना है कि सामाजिक परंपरा के नाम पर मादक पदार्थ का उपयोग नहीं किया जा सकता. यह गैर कानूनी है. पुलिस की सख्ती भी नजर आ रही है. हाल ही में दो पुलिसकर्मियों द्वारा एक सभा में अफीम लेने का वीडियो सामने आया तो उनकेा तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया गया. ये बताता है कि पुलिस अब कुप्रथा को बख्शने के मूड में नहीं है.

किसने क्या कहा, सुनिए... (ETV Bharat Jodhpur)

जोधपुर ग्रामीण एसपी राममूर्ति जोशी का कहना है कि नशा किसी सामाजिक परंपरा का हिस्सा नहीं हो सकता. बहुत सी सामाजिक रीतियां अब अवैध हो गई हैं. इसको लेकर अभियान चल रहा है. पुलिस की मुहिम का समर्थन भी हो रहा है.

दरअसल, मारवाड़ में अफीम की मनुहार शादी विवाह मौत मरघट में होती है. इसे रियाण कहा जाता है, जिसे एक तरह से अघोषित सामाजिक मान्यता सी मिली हुई है. नेता या अफसर कोई भी हो, ऐसी जगह जाते हैं तो उसमें शरीक होते हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह जसोल इसको लेकर चर्चा में आए थे. माना जा रहा है कि इस कुप्रथा ने नशा फैलाया है. अफीम परोसने का चलन सामाजिक परंपरा बनने का अब नुकसान भी नजर आ रहा है, जिसके चलते अब यह खाकी के निशाने पर है.

इसके अलावा पश्चिमी राजस्थान में अब नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो भी नशे की आपूर्ति पर लगाम लगाने में जुटा है. पूर्व विधायक महेंद्र सिंह विश्नोई का कहना है कि नशे की प्रवृति बढ़ रही है, यह गलत है. समाज में जागृति आ रही है. कुछ समाजों ने परंपराओं को बंद भी किया है. गांवों में पुलिस जो कार्रवाई कर रही है, वह पूरी तरह से सही है. नशे के शिकार युवाओं को छुड़ाकर वापस मुख्य धारा में लाना होगा. अतिरिक्त महाधिवक्ता नाथू सिंह राठौड़ का कहना है कि युवाओं को इससे बचाना जरूरी है. पुलिस को कड़े कदम उठाने चाहिए.

Drug Free Society Campaign
नशा मुक्त समाज अभियान (ETV Bharat Jodhpur)

इस तरह होता है रियाण गेट टुगेदर : गांवों में खुशी या गम, किसी भी मौके पर रियाण का आयोजन होता है. खुशी के मौके पर साथ में लोक कलाकार मांगणियार भी बैठते हैं. जैसे-जैसे उनकी सुरीली आवाज सिर चढ़ती है, त्यों-त्यों अफीम नसों में घुलती है. रियाण के दौरान एक व्यक्ति होता है जो सभी की मनुहार करता है. मनुहार करने वाला अपने हाथ की हथेली में अंगुलियों की ममद से खोबा बनाकर उसमें पानी में घुली अफीम लेकर तीन बार सामने वाले को पिलाता है, जिसे तेड़ा कहा जाता है. कुछ जगह पर इसे सुखे के रूप में भी दिया जाता है.

पढ़ें : 526 साल पुरानी परंपरा: रत्न-आभूषणों से लदे राठौड़ बाबा और गणगौर माता को रखा दर्शनों के लिए, 7 को निकलेगी सवारी - RATHORE BABA SAWARI IN AJMER

रियाण ने राजनीति में भी मचाई हलचल : पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह जसोल भी रियाण को लेकर विवादों में आ गए थे. जसवंत सिंह और 9 दूसरे नेताओं के खिलाफ सामाजिक समारोह में अफीम परोसने का आरोप लगा. स्थानीय अदालत में शिकायत भी दर्ज कराई गई. अपने गांव जसोल में जसवंत सिंह ने एक पारिवारिक समारोह का आयोजित किया था. इसमें कई तत्कालीन कैबिनेट मिनिस्टर और पार्टी नेता शामिल हुए थे. आरोप था कि मेहमानों को पानी में अफीम मिला कर दी गई थी. हालांकि, बाद में कहा गया कि वह अफीम नहीं केसर था.

Jaswant Singh Jasol Controversy
पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह जसोल भी रहे विवादों में (ETV Bharat Jodhpur)

हर साल सैकड़ों मुकदमे, भारी बरामदगी : समूचे पश्चिम राजस्थान में हर साल पुलिस सैकड़ों मुकदमे मादक पदार्थों की तस्करी के दर्ज कर रही है. इसके साथ ही सैकड़ों मादक पदार्थ जब्त भी किए जा रहे हैं. राजस्थान में अफीम की आपूर्ति मध्य प्रदेश और नॉर्थ-ईस्ट से होती है. जोधपुर रेंज आईजी की स्पेशल टीम लगातार इस नेटवर्क को तोड़ने में लगी हुई है. बड़ी सफलता भी मिली है, लेकिन अभी तक इस परंपरा पर अंकुश नहीं लग पाया है.

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