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झारखंड में कितने बचे हैं बायसन? बचाने के लिए हो रहा अध्ययन, बाघों का प्रिय भोजन है यह - BISON IN PALAMU TIGER RESERVE

झारखंड में बायसन की आबादी लगातार घटती जा रही है. इसे देखते हुए पलामू टाइगर रिजर्व पिछले दो सालों से सर्वे कर रहा है.

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पलामू टाइगर रिजर्व (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : April 15, 2025 at 4:30 PM IST

3 Min Read

पलामू: झारखंड का पलामू टाइगर रिजर्व इकलौता इलाका है, जहां बायसन पाया गया है. यह बायसन पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क के सिर्फ एक ही इलाके में मौजूद है. पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में 60 से 70 के करीब बायसन है. 70 के दशक में झारखंड में 1500 से अधिक बायसन थे, लेकिन वक्त के साथ बायसन की आबादी और इलाका घटता चला गया. एक बार फिर से बायसन की आबादी को बढ़ाने की योजना पर कार्य हो रहा है.

पलामू टाइगर रिजर्व बायसन को लेकर एक अध्ययन किया गया है. यह अध्ययन और सर्वे पिछले दो वर्षों से जारी है. सर्वे सह अध्ययन का कार्य अंतिम दौर में है और अगले कुछ महीनो में इसके रिपोर्ट को प्रकाशित कर दिया जाएगा. पलामू टाइगर 1129 वर्ग किलोमीटर और बेतला नेशनल पार्क 226 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है.

बाघ का प्रिय भोजन है बायसन, कई बिन्दुओं पर हुई अध्ययन

बायसन बाघ का प्रिय भोजन है. बायसन को बचाने के लिए पीटीआर कई बिन्दुओं पर योजना तैयार किया है. बायसन के लिए ग्रास लैंड को बढ़ाया जा रहा है. बायसन के बच्चों की गिनती और उनके प्रजनन के बारे में पता जांच की गई है. भारत के अन्य इलाकों से पीटीआर के बायसन कितने अलग हैं, यह भी सर्वे किया गया है. बायसन का मूवमेंट 226 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है.

वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट की एक टीम ने बायसन के बारे में अध्ययन किया है और रिपोर्ट तैयार किया है. पीटीआर में फिलहाल 60 से 70 बायसन है. अध्ययन में कई बातें निकाल कर सामने आई है, बायसन काफी सर्मिले होते है और एकांत में रहना पसंद करते है. अलग-अलग टीमों ने स्टडी किया है और बायसन की सुरक्षा को लेकर कई कदम उठाए गए है. शिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए कई सेंटर बनाएं गए है बायसन की आबादी को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है- प्रजेशकांत जेना, उपनिदेशक पीटीआर

बायसन को बचाने के लिए मवेशियों को लगाया गया टीका

पलामू टाइगर रिजर्व में 200 के करीब गांव मौजूद है. 34 गांव पीटीआर के कोर एरिया में मौजूद है. गांव के करीब 1.60 लाख मवेशी चारा के लिए पीटीआर में दाखिल होती है. मवेशियों से बायसन को संक्रमण का खतरा बना हुआ रहता है, जिसके चलते पीटीआर एक अभियान चला कर बड़ी संख्या में मवेशियों को टीका लगाया है. बायसन को गौर भी कहा जाता है. मवेशियों की प्रजाति में यह सबसे बड़ा है.

ये भी पढ़ें: झारखंड-बिहार में कभी मौजूद थे शेर, चीता और व्हाइट टाइगर, 1960 में मारा गया था अंतिम सफेद बाघ

झारखंड के खास इलाके में मवेशियों को क्यों लगाया जा रहा टीका? क्या है खतरा

पीटीआर में कितने प्रकार के हैं वन्य जीव? जूलॉजिकल टीम कर रही सर्वे - Survey in PTR

पलामू: झारखंड का पलामू टाइगर रिजर्व इकलौता इलाका है, जहां बायसन पाया गया है. यह बायसन पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क के सिर्फ एक ही इलाके में मौजूद है. पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में 60 से 70 के करीब बायसन है. 70 के दशक में झारखंड में 1500 से अधिक बायसन थे, लेकिन वक्त के साथ बायसन की आबादी और इलाका घटता चला गया. एक बार फिर से बायसन की आबादी को बढ़ाने की योजना पर कार्य हो रहा है.

पलामू टाइगर रिजर्व बायसन को लेकर एक अध्ययन किया गया है. यह अध्ययन और सर्वे पिछले दो वर्षों से जारी है. सर्वे सह अध्ययन का कार्य अंतिम दौर में है और अगले कुछ महीनो में इसके रिपोर्ट को प्रकाशित कर दिया जाएगा. पलामू टाइगर 1129 वर्ग किलोमीटर और बेतला नेशनल पार्क 226 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है.

बाघ का प्रिय भोजन है बायसन, कई बिन्दुओं पर हुई अध्ययन

बायसन बाघ का प्रिय भोजन है. बायसन को बचाने के लिए पीटीआर कई बिन्दुओं पर योजना तैयार किया है. बायसन के लिए ग्रास लैंड को बढ़ाया जा रहा है. बायसन के बच्चों की गिनती और उनके प्रजनन के बारे में पता जांच की गई है. भारत के अन्य इलाकों से पीटीआर के बायसन कितने अलग हैं, यह भी सर्वे किया गया है. बायसन का मूवमेंट 226 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है.

वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट की एक टीम ने बायसन के बारे में अध्ययन किया है और रिपोर्ट तैयार किया है. पीटीआर में फिलहाल 60 से 70 बायसन है. अध्ययन में कई बातें निकाल कर सामने आई है, बायसन काफी सर्मिले होते है और एकांत में रहना पसंद करते है. अलग-अलग टीमों ने स्टडी किया है और बायसन की सुरक्षा को लेकर कई कदम उठाए गए है. शिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए कई सेंटर बनाएं गए है बायसन की आबादी को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है- प्रजेशकांत जेना, उपनिदेशक पीटीआर

बायसन को बचाने के लिए मवेशियों को लगाया गया टीका

पलामू टाइगर रिजर्व में 200 के करीब गांव मौजूद है. 34 गांव पीटीआर के कोर एरिया में मौजूद है. गांव के करीब 1.60 लाख मवेशी चारा के लिए पीटीआर में दाखिल होती है. मवेशियों से बायसन को संक्रमण का खतरा बना हुआ रहता है, जिसके चलते पीटीआर एक अभियान चला कर बड़ी संख्या में मवेशियों को टीका लगाया है. बायसन को गौर भी कहा जाता है. मवेशियों की प्रजाति में यह सबसे बड़ा है.

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