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बिना एनओसी लिये आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की नहीं लगेगी ड्यूटी, इस विभाग से लेनी होगी परमिशन - ANGANWADI WORKER

शुक्रवार को विधानसभा में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के साथ विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने की बैठक

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बिना एनओसी लिये आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की नहीं लगेगी ड्यूटी (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 30, 2025 at 7:51 PM IST

3 Min Read

देहरादून: उत्तराखंड में तमाम विभाग अपने विभागीय कार्यों के लिए अन्य विभागों की कर्मचारियों का शुरू से ही इस्तेमाल करते रहे हैं. खासकर, स्वास्थ्य विभाग, जनगणना विभाग, खंड शिक्षा अधिकारी और बीएलओ की ओर से शिक्षकों और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की ड्यूटी विभागीय कार्यों में लगा दी जाती है. जिसके चलते आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने अपने विभागीय मंत्री रेखा आर्य से इसको लेकर शिकायत दी है. ऐसे में अब निर्णय लिया गया है कि अगर कोई भी अन्य विभाग, अगर आंगनबाड़ी बहनों को अपने विभागीय कामों में लगता है तो उसे पहले महिला सशक्तिकरण विभाग से एनओसी लेनी होगी.

दरअसल, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने शुक्रवार को विधानसभा में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों एवं उनके संगठनों की मांगों, समस्याओं और विभागीय योजनाओं को लेकर बैठक की. बैठक के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की मांगों पर चर्चा की गई. जिसमें आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की मुख्य मांग मानदेय बढ़ाने को लेकर था. जिस पर मंत्री ने कहा मानदेय बढ़ाने को लेकर भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. साथ ही भारत सरकार के निर्णय के अनुसार ही निर्णय लिया जाएगा. बैठक के दौरान मंत्री ने आंगनबाड़ी से सुपरवाईजर की भर्ती प्रक्रिया को हर साल संचालित करने के निर्देश दिए.

रेखा आर्य ने कहा आंगनबाड़ी कार्यकत्री की ये शिकायत आती रहती हैं कि उन्हें अन्य विभागों, पंचायतीराज विभाग, खण्ड शिक्षा अधिकारी, बीएलओ और जनगणना जैसे कार्यों के लिए अधिकारियों की ओर से निर्देश दिये जाते हैं, जिसके कारण उनके खुद के विभागीय कार्य प्रभावित होते हैं. जिसको देखते हुए मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की ड्यूटी लगाने से पहले सम्बन्धित विभाग महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेंगे. साथ ही आंगनबाड़ी बहनों को यात्रा भत्ता, रहने और भोजन की व्यवस्था का परीक्षण के बाद ही सम्बन्धित विभाग को अनुमति दी जाएगी. इस व्यवस्था को लागू करने के लिए अगर प्रस्ताव कैबिनेट में लाने की जरूरत है तो प्रस्ताव तैयार किया जाये.

इसके साथ ही रेखा आर्य ने आंगनबाड़ी बहनों के फोन रिचार्ज के बचे हुए भुगतान को जल्द करने के भी निर्देश दिये. उन्होंने कहा कल्याण कोष के तहत आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का अंशदान 100 रुपए और विभाग की ओर से भी 100 रुपए का अंशदान दिया जाता है. जिसका लाभ साल 2026 से सेवानिवृत हो रही आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को मिलेगा. आने वाले समय में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की पेंशन स्कीम पर भी निर्णय लिया जाएगा. मंत्री ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के समय पर मानदेय नहीं मिलने की शिकायत भी है. विभाग की ओर से अप्रैल 2025 तक का राज्यांश का भुगतान किया जा चुका है. केन्द्र से बजट प्राप्त होने के बाद केन्द्रांश का भुगतान भी विभाग की ओर से किया जाएगा.

मंत्री ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की सेवानिवृति की तिथि को अनिवार्य रूप से कल्याण कोष की धनराशि का एकमुश्त भुगतान के सम्बन्ध में अधिकारियों को निर्देशित किया करते हुए कहा कि सेवानिवृत होने वाली बहनों का डाटा एक माह पूर्व ही तैयार कर लिया जाये. उन्हें सेवानिवृति के दिन ही अनिवार्य रूप से एकमुश्त भुगतान किया जाए. आंगनबाड़ी कार्यकत्री के रूप में सहायिकाओं को वरीयता देने से सम्बन्धी शासनादेश पहले ही जारी किया जा चुका है.

पढे़ं- आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने रामनगर के केंद्रों में डाले ताले, मांगों के समर्थन में प्रदर्शन

पढे़ं- उत्तराखंड में खुलेंगे 3940 नए आंगनबाड़ी केंद्र, नौनिहालों को मिलेगी सहूलियतें, धनराशि हुई जारी

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देहरादून: उत्तराखंड में तमाम विभाग अपने विभागीय कार्यों के लिए अन्य विभागों की कर्मचारियों का शुरू से ही इस्तेमाल करते रहे हैं. खासकर, स्वास्थ्य विभाग, जनगणना विभाग, खंड शिक्षा अधिकारी और बीएलओ की ओर से शिक्षकों और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की ड्यूटी विभागीय कार्यों में लगा दी जाती है. जिसके चलते आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने अपने विभागीय मंत्री रेखा आर्य से इसको लेकर शिकायत दी है. ऐसे में अब निर्णय लिया गया है कि अगर कोई भी अन्य विभाग, अगर आंगनबाड़ी बहनों को अपने विभागीय कामों में लगता है तो उसे पहले महिला सशक्तिकरण विभाग से एनओसी लेनी होगी.

दरअसल, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने शुक्रवार को विधानसभा में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों एवं उनके संगठनों की मांगों, समस्याओं और विभागीय योजनाओं को लेकर बैठक की. बैठक के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की मांगों पर चर्चा की गई. जिसमें आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की मुख्य मांग मानदेय बढ़ाने को लेकर था. जिस पर मंत्री ने कहा मानदेय बढ़ाने को लेकर भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. साथ ही भारत सरकार के निर्णय के अनुसार ही निर्णय लिया जाएगा. बैठक के दौरान मंत्री ने आंगनबाड़ी से सुपरवाईजर की भर्ती प्रक्रिया को हर साल संचालित करने के निर्देश दिए.

रेखा आर्य ने कहा आंगनबाड़ी कार्यकत्री की ये शिकायत आती रहती हैं कि उन्हें अन्य विभागों, पंचायतीराज विभाग, खण्ड शिक्षा अधिकारी, बीएलओ और जनगणना जैसे कार्यों के लिए अधिकारियों की ओर से निर्देश दिये जाते हैं, जिसके कारण उनके खुद के विभागीय कार्य प्रभावित होते हैं. जिसको देखते हुए मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की ड्यूटी लगाने से पहले सम्बन्धित विभाग महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेंगे. साथ ही आंगनबाड़ी बहनों को यात्रा भत्ता, रहने और भोजन की व्यवस्था का परीक्षण के बाद ही सम्बन्धित विभाग को अनुमति दी जाएगी. इस व्यवस्था को लागू करने के लिए अगर प्रस्ताव कैबिनेट में लाने की जरूरत है तो प्रस्ताव तैयार किया जाये.

इसके साथ ही रेखा आर्य ने आंगनबाड़ी बहनों के फोन रिचार्ज के बचे हुए भुगतान को जल्द करने के भी निर्देश दिये. उन्होंने कहा कल्याण कोष के तहत आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का अंशदान 100 रुपए और विभाग की ओर से भी 100 रुपए का अंशदान दिया जाता है. जिसका लाभ साल 2026 से सेवानिवृत हो रही आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को मिलेगा. आने वाले समय में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की पेंशन स्कीम पर भी निर्णय लिया जाएगा. मंत्री ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के समय पर मानदेय नहीं मिलने की शिकायत भी है. विभाग की ओर से अप्रैल 2025 तक का राज्यांश का भुगतान किया जा चुका है. केन्द्र से बजट प्राप्त होने के बाद केन्द्रांश का भुगतान भी विभाग की ओर से किया जाएगा.

मंत्री ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की सेवानिवृति की तिथि को अनिवार्य रूप से कल्याण कोष की धनराशि का एकमुश्त भुगतान के सम्बन्ध में अधिकारियों को निर्देशित किया करते हुए कहा कि सेवानिवृत होने वाली बहनों का डाटा एक माह पूर्व ही तैयार कर लिया जाये. उन्हें सेवानिवृति के दिन ही अनिवार्य रूप से एकमुश्त भुगतान किया जाए. आंगनबाड़ी कार्यकत्री के रूप में सहायिकाओं को वरीयता देने से सम्बन्धी शासनादेश पहले ही जारी किया जा चुका है.

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