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मौत के बाद 4 लोगों को नई जिंदगी दे गई चंडीगढ़ की ज्योति, मां बोली- मैं कन्यादान नहीं कर पाई, अंगदान करूंगी - ORGAN DONATION CHANDIGARH

Organ Donation Chandigarh: 21 साल की ज्योति की मौत के बाद परिजनों ने अंगदान का फैसला किया. उसके ऑर्गन्स से 4 लोगों को जीवनदान मिला.

Organ Donation Chandigarh
Organ Donation Chandigarh (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : April 10, 2025 at 1:12 PM IST

3 Min Read

चंडीगढ़: मंडी खरार की 21 वर्षीय ज्योति के परिजनों ने बेटी की मौत के बाद मानवता की अनूठी मिसाल पेश की. ज्योति के अंगदान से 4 लोगों को जीवनदान मिला है. 4 अप्रैल 2025 को सड़क हादसे में ज्योति घायल हो गई थी. ज्योति ऑटो रिक्शा में सवार थीं, पीछे से तेज मोटरसाइकिल ने टक्कर दी. हादसे में ज्योति सड़क पर गिर पड़ीं और उनके सिर में गंभीर चोट लगी. कई अस्पतालों में भटकने के बाद 6 अप्रैल को उन्हें चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर में भर्ती कराया गया. दो दिन बाद, 8 अप्रैल को दिल का दौरा पड़ने से उनकी सांसें थम गईं.

परिवार का साहस बना प्रेरणा: ज्योति की मौत के बाद चंडीगढ़ पीजीआई की टीम ने उसके परिजनों से अंगदान की अपील की. इसके लिए परिवार तैयार हो गया. इसके बाद डॉक्टरों ने ज्योति के ऑर्गन से चार लोगों की जिंदगी बचाई. ज्योति के पिता वीरेंद्र कुमार ने गमगीन होकर कहा, "हमने अपनी बेटी को खोया, लेकिन ये जानकर सुकून है कि उसने चार जिंदगियों को बचाया."

मौत के बाद 4 लोगों को नई जिंदगी दे गई चंडीगढ़ की ज्योति (Etv Bharat)

मां बोली- जरूर करूंगी अंगदान: उनकी मां गीता ने भावुक होकर बताया, "ज्योति का दिल हमेशा दूसरों के लिए धड़कता था. उसने मरते वक्त भी वही किया जो जिंदा रहते हुए करती थी. मैं कन्यादान नहीं कर पाई, लेकिन अंगदान जरूर करूंगी." भाई अभिषेक ने बहन को याद करते हुए कहा "उसकी मुस्कान और प्यार आज भी चार लोगों में जिंदा है." परिवार के इस फैसले की पीजीआईएमईआर के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने तारीफ की और इसे समाज के लिए प्रेरणादायक बताया.

चिकित्सा चमत्कार ने लिखी नई इबारत: हादसे के बाद ज्योति की मृत्यु हार्ट अरेस्ट से हुई, जिससे अंगदान की प्रक्रिया जटिल हो गई थी. फिर भी, पीजीआईएमईआर की विशेषज्ञ टीम ने "डोनेशन आफ्टर सर्कुलेटरी डेथ" (DCD) तकनीक से उनके दो गुर्दे और कॉर्निया को सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया. प्रोफेसर दीपेश केनवर ने बताया, "दिल रुकने के बाद अंग तेजी से खराब होते हैं. हमें 60 मिनट के भीतर काम करना होता है. यह देश में अपनी तरह का 19वां सफल मामला था." ज्योति के गुर्दों से दो मरीजों को नया जीवन मिला, जबकि उनकी कॉर्निया ने दो लोगों को रोशनी दी.

अंगदान की जरूरत पर जोर: पीजीआईएमईआर के मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रोफेसर विपिन कौशल ने कहा "ज्योति की कहानी बताती है कि अंगदान कितना कीमती है. ये मानवता का सबसे बड़ा उपहार है." ये घटना समाज को अंगदान के प्रति जागरूक करने का एक मजबूत संदेश देती है. ज्योति भले ही आज हमारे बीच ना हों, लेकिन उनकी विरासत चार जिंदगियों में हमेशा जिंदा रहेगी.

ये भी पढ़ें- अंगदान से 13 साल बाद उत्तराखंड की ट्विंकल डोगरा को मिली नई जिंदगी, फरीदाबाद के डॉक्टरों ने किया सफल डबल हैंड ट्रांसप्लांट - DOUBLE HAND TRANSPLANT IN FARIDABAD

चंडीगढ़: मंडी खरार की 21 वर्षीय ज्योति के परिजनों ने बेटी की मौत के बाद मानवता की अनूठी मिसाल पेश की. ज्योति के अंगदान से 4 लोगों को जीवनदान मिला है. 4 अप्रैल 2025 को सड़क हादसे में ज्योति घायल हो गई थी. ज्योति ऑटो रिक्शा में सवार थीं, पीछे से तेज मोटरसाइकिल ने टक्कर दी. हादसे में ज्योति सड़क पर गिर पड़ीं और उनके सिर में गंभीर चोट लगी. कई अस्पतालों में भटकने के बाद 6 अप्रैल को उन्हें चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर में भर्ती कराया गया. दो दिन बाद, 8 अप्रैल को दिल का दौरा पड़ने से उनकी सांसें थम गईं.

परिवार का साहस बना प्रेरणा: ज्योति की मौत के बाद चंडीगढ़ पीजीआई की टीम ने उसके परिजनों से अंगदान की अपील की. इसके लिए परिवार तैयार हो गया. इसके बाद डॉक्टरों ने ज्योति के ऑर्गन से चार लोगों की जिंदगी बचाई. ज्योति के पिता वीरेंद्र कुमार ने गमगीन होकर कहा, "हमने अपनी बेटी को खोया, लेकिन ये जानकर सुकून है कि उसने चार जिंदगियों को बचाया."

मौत के बाद 4 लोगों को नई जिंदगी दे गई चंडीगढ़ की ज्योति (Etv Bharat)

मां बोली- जरूर करूंगी अंगदान: उनकी मां गीता ने भावुक होकर बताया, "ज्योति का दिल हमेशा दूसरों के लिए धड़कता था. उसने मरते वक्त भी वही किया जो जिंदा रहते हुए करती थी. मैं कन्यादान नहीं कर पाई, लेकिन अंगदान जरूर करूंगी." भाई अभिषेक ने बहन को याद करते हुए कहा "उसकी मुस्कान और प्यार आज भी चार लोगों में जिंदा है." परिवार के इस फैसले की पीजीआईएमईआर के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने तारीफ की और इसे समाज के लिए प्रेरणादायक बताया.

चिकित्सा चमत्कार ने लिखी नई इबारत: हादसे के बाद ज्योति की मृत्यु हार्ट अरेस्ट से हुई, जिससे अंगदान की प्रक्रिया जटिल हो गई थी. फिर भी, पीजीआईएमईआर की विशेषज्ञ टीम ने "डोनेशन आफ्टर सर्कुलेटरी डेथ" (DCD) तकनीक से उनके दो गुर्दे और कॉर्निया को सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया. प्रोफेसर दीपेश केनवर ने बताया, "दिल रुकने के बाद अंग तेजी से खराब होते हैं. हमें 60 मिनट के भीतर काम करना होता है. यह देश में अपनी तरह का 19वां सफल मामला था." ज्योति के गुर्दों से दो मरीजों को नया जीवन मिला, जबकि उनकी कॉर्निया ने दो लोगों को रोशनी दी.

अंगदान की जरूरत पर जोर: पीजीआईएमईआर के मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रोफेसर विपिन कौशल ने कहा "ज्योति की कहानी बताती है कि अंगदान कितना कीमती है. ये मानवता का सबसे बड़ा उपहार है." ये घटना समाज को अंगदान के प्रति जागरूक करने का एक मजबूत संदेश देती है. ज्योति भले ही आज हमारे बीच ना हों, लेकिन उनकी विरासत चार जिंदगियों में हमेशा जिंदा रहेगी.

ये भी पढ़ें- अंगदान से 13 साल बाद उत्तराखंड की ट्विंकल डोगरा को मिली नई जिंदगी, फरीदाबाद के डॉक्टरों ने किया सफल डबल हैंड ट्रांसप्लांट - DOUBLE HAND TRANSPLANT IN FARIDABAD

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