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कानपुर की OEF का हाई एंकल बूट; सेना से 7.85 लाख जूते बनाने का मिला ऑर्डर, मार्च 2026 तक होंगे तैयार - KANPUR NEWS

ओईएफसी के मुताबिक, 'मार्च 2025 तक सेना को तीन लाख बूट बनाकर दिए गये.'

कानपुर की OEF का हाई एंकल बूट
कानपुर की OEF का हाई एंकल बूट (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : April 14, 2025 at 9:35 PM IST

3 Min Read

कानपुर : देश की सीमाओं पर तैनात सैनिकों को कानपुर की आर्डिनेंस इक्विपमेंट फैक्ट्री (ओईएफसी) में तैयार होने वाले हाई एंकल बूट काफी पसंद आए हैं. ओईएफसी को पहली बार सेना की ओर से 7.85 लाख हाई एंकल बूट तैयार करने का आर्डर मिल गया है.

'तीन लाख बूट बनाकर भेजे गये' : पांच लाख बूट का आर्डर कई माह पहले मिल गया था, जबकि 2.85 लाख बूट बनाने का आर्डर कुछ दिनों पहले मिला है. ओईएफसी के आला अफसरों का कहना है, कि 'मार्च 2025 तक सेना को तीन लाख जूते बनाकर दिए जा चुके हैं. सैनिकों को हाई एंकल बूट की तमाम खूबियां भा गईं, जिसके चलते पहली बार इतनी बड़ी संख्या में बूट बनाने का आर्डर मिल गया है.'

ओईएफसी के जीएम अनिल रंगा ने दी जानकारी (Video credit: ETV Bharat)
हाई एंकल बूट की यह हैं खूबियां
- फिसलन वाले स्थानों पर पैरों से बिल्कुल नहीं हटेगा.
- पानी से किसी तरह का बूट पर नुकसान नहीं होगा.
- बूट का वजन लगभग 1400 ग्राम के बराबर है.
- बूट में उच्च गुणवत्ता वाले चमड़े का प्रयोग किया गया है.
- बूट में ग्रेन क्रोम टैंड लेदर का भी प्रयोग किया गया है.

मार्च 2026 तक तैयार करेंगे सात लाख बूट : ओईएफसी के जीएम अनिल रंगा ने बताया कि पिछले कई वर्षों से फैक्ट्री के अंदर बूट बनाने का काम ठप सा पड़ा था. हालांकि, दिक्कतों को दूर करते हुए फैक्ट्री में इंजेक्शन मोल्डिंग मशीनों को क्रियान्वित किया गया और लगातार हाई एंकल बूट बनाने का काम अब जारी है. उन्होंने ठोस दावा किया कि मार्च 2026 तक सेना को सात लाख जूते बनाकर सौंप देंगे. इसके लिए काम शुरू करा दिया गया है.

टेस्ट के लिए खर्च होते थे करीब 50 हजार रुपये : ओईएफसी के जीएम ने बताया कि ओईएफसी में पहली बार एक क्लो वैल्यू मशीन लगाई जा रही है. इसका उपयोग हम उत्पाद की गर्माहट के लिए करेंगे. उन्होंने कहा, कि इस मशीन का प्रयोग अभी कानपुर की किसी निजी फैक्ट्री में भी नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि अभी तक मशीन न होने के चलते हमें उत्पादों को परीक्षण (गर्माहट की जांच) के लिए मुंबई व मेरठ भेजना पड़ता था, जिसमें एक टेस्ट के लिए करीब 50 हजार रुपये खर्च होते थे. हालांकि, अब यह बचत होगी.

यह भी पढ़ें : सेना का ये 1400 ग्राम का बूट न पानी में खराब होगा न फिसलेगा

यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश में OEF कानपुर मार्च 2026 तक सेना को 7 लाख हल्के जूते की आपूर्ति करेगा

कानपुर : देश की सीमाओं पर तैनात सैनिकों को कानपुर की आर्डिनेंस इक्विपमेंट फैक्ट्री (ओईएफसी) में तैयार होने वाले हाई एंकल बूट काफी पसंद आए हैं. ओईएफसी को पहली बार सेना की ओर से 7.85 लाख हाई एंकल बूट तैयार करने का आर्डर मिल गया है.

'तीन लाख बूट बनाकर भेजे गये' : पांच लाख बूट का आर्डर कई माह पहले मिल गया था, जबकि 2.85 लाख बूट बनाने का आर्डर कुछ दिनों पहले मिला है. ओईएफसी के आला अफसरों का कहना है, कि 'मार्च 2025 तक सेना को तीन लाख जूते बनाकर दिए जा चुके हैं. सैनिकों को हाई एंकल बूट की तमाम खूबियां भा गईं, जिसके चलते पहली बार इतनी बड़ी संख्या में बूट बनाने का आर्डर मिल गया है.'

ओईएफसी के जीएम अनिल रंगा ने दी जानकारी (Video credit: ETV Bharat)
हाई एंकल बूट की यह हैं खूबियां
- फिसलन वाले स्थानों पर पैरों से बिल्कुल नहीं हटेगा.
- पानी से किसी तरह का बूट पर नुकसान नहीं होगा.
- बूट का वजन लगभग 1400 ग्राम के बराबर है.
- बूट में उच्च गुणवत्ता वाले चमड़े का प्रयोग किया गया है.
- बूट में ग्रेन क्रोम टैंड लेदर का भी प्रयोग किया गया है.

मार्च 2026 तक तैयार करेंगे सात लाख बूट : ओईएफसी के जीएम अनिल रंगा ने बताया कि पिछले कई वर्षों से फैक्ट्री के अंदर बूट बनाने का काम ठप सा पड़ा था. हालांकि, दिक्कतों को दूर करते हुए फैक्ट्री में इंजेक्शन मोल्डिंग मशीनों को क्रियान्वित किया गया और लगातार हाई एंकल बूट बनाने का काम अब जारी है. उन्होंने ठोस दावा किया कि मार्च 2026 तक सेना को सात लाख जूते बनाकर सौंप देंगे. इसके लिए काम शुरू करा दिया गया है.

टेस्ट के लिए खर्च होते थे करीब 50 हजार रुपये : ओईएफसी के जीएम ने बताया कि ओईएफसी में पहली बार एक क्लो वैल्यू मशीन लगाई जा रही है. इसका उपयोग हम उत्पाद की गर्माहट के लिए करेंगे. उन्होंने कहा, कि इस मशीन का प्रयोग अभी कानपुर की किसी निजी फैक्ट्री में भी नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि अभी तक मशीन न होने के चलते हमें उत्पादों को परीक्षण (गर्माहट की जांच) के लिए मुंबई व मेरठ भेजना पड़ता था, जिसमें एक टेस्ट के लिए करीब 50 हजार रुपये खर्च होते थे. हालांकि, अब यह बचत होगी.

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