कुल्लू: मां को ब्लड कैंसर हुआ डायलासिस के लिए डोनर ढूंढने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा इसके बाद दूसरों के लिए ब्लड डोनेट करने का मन बनाया. रक्तदान को महादान माना जाता है. खून का एक कतरा भी किसी इंसान की जान बचा सकता है. एक यूनिट ब्लड से मरीजों की जान भी बची है और न मिलने पर मरीजों की जान भी गई है. रक्दान को लेकर लोगों में कई तरह की भ्रांतियां भी हैं जैसे कि ब्लड डोनेट करने से कमजोरी आ जाएगी या उनके अंदर खून की कमी हो जाएगी, लेकिन 69 साल के ओम प्रकाश का इन भ्रांतियों पर कोई असर नहीं होता है.
हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू के मुख्यालय सुल्तानपुर के रहने वाले ओमप्रकाश आड़ कई दशकों से खुद रक्तदान करने के साथ साथ लोगों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं. इतना ही नहीं 69 की उम्र में भी रक्तदान करने का जज्बा कम नहीं हुआ है. ओम प्रकाश अब तक 109 बार रक्तदान कर चुके हैं. उनकी इच्छा है कि वो 111 बार रक्तदान करें और समाज में युवाओं को भी रक्तदान के लिए प्रेरित करते रहेंगे, ताकि जिला कुल्लू के साथ-साथ अन्य इलाकों में भी मरीज को रक्त की कमी से न जूझना पड़े.
मां की बीमारी के बाद आया रक्दान का ख्याल
ओम प्रकाश आड़ ने बताया कि, 'साल 1985 में मेरी माता को ब्लड कैंसर हुआ था और इलाज के लिए हमें पीजीआई चंडीगढ़ जाना पड़ता था. उस दौरान मैंने देखा कि यहां पर कई ऐसे मरीज हैं, जिन्हें रक्त की जरूरत है. उस दौरान रक्तदान के महत्व का एहसास हुआ. उस समय लोग ब्लड डोनेट करने से बहुत डरते थे. यहां तक कि लोग अपने सगे परिजनों को भी ब्लड देने के लिए दूसरों को तलाश करते थे. इसी दौरान मैंने पहली बार रक्तदान किया. 1 साल के बाद मेरी माता का देहांत हो गया और उसके बाद मैंने समय समय पर रक्तदान करने और अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करने का प्रण लिया. कई लोग मेरी दुकान में ब्लड की डिमांड के लिए संपर्क करते हैं. मैं अन्य लोगों की मदद से उनके लिए हमेशा रक्त मुहैया करवाता हूं. आज कुल्लू में कई ऐसी संस्थाएं हैं जो रक्तदान के क्षेत्र में काम कर रही हैं. इस बात की खुशी है कि युवा वर्ग आज इससे जुड़ रहा है और लोगों की मदद कर रहा है.'
कई बार किया जा चुका है सम्मानित
69 वर्षीय ओम प्रकाश आड़ ने लोअर ढालपुर में ब्लड डोनर प्वाइंट खोला है, ताकि और लोग भी उनकी इस पहल से जुड़ सकें. रक्तदानी स्वेच्छा से यहां अपना नाम दर्ज करवाकर जरूरतमंदों को रक्त उपलब्ध करवा सकते हैं. उनके साथ करीब 200 लोग ऐसे जुड़े हैं, जो जरूरतमंदों को रक्त उपलब्ध करवाते हैं. रक्तदान, समाजसेवा, पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सराहनीय कार्य के लिए ओम प्रकाश आड़ को कई राष्ट्रीय, राज्य व जिलास्तरीय पुरस्कार मिल चुके हैं.
कई युवा रक्तदान के लिए हुए प्रेरित
जिला कुल्लू के बजौरा के रहने वाले चंद्रभानु ने बताया कि, 'साल 2015 में मुझे अपनी माता के लिए रक्त की आवश्यकता थी. मेरी माता किडनी की समस्या से जूझ रही थी. रक्त की समस्या को लेकर मैं सरवरी में ओम प्रकाश आड़ की दुकान पर पहुंचा और उन्हें अपनी समस्या बताई. ओम प्रकाश ने भी तुरंत अपने साथियों से संपर्क किया और अस्पताल में दो यूनिट रक्त मुहैया करवाया गया. इसके बाद ओमप्रकाश से प्रेरित होकर अब मैं भी रक्तदान कर रहा हूं और अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहा हूं.'

1984-85 में कुल्लू जिले की युवा पीढ़ी स्मैक के दलदल में फंसती जा रही थी. उस समय अपने युवा संगठन के सदस्यों और जिला पुलिस के साथ मिलकर इसके खिलाफ अभियान चलाया और जिले को स्मैक फ्री करने में पुलिस का हर संभव सहयोग किया. युवा पीढ़ी को नशे से दूर रहना चाहिए और जीवन में कम से कम एक बार रक्तदान अवश्य करना चाहिए. दूसरों को भी इसके लिए जागरूक करना चाहिए. इसके अलावा सरकार की ओर से रक्तदान करने वाले लोगों को विशेष सम्मान दिया जाए, ताकि इस कार्य के लिए अधिक लोग प्रोत्साहित होकर आगे आ सकें और लोगों को नया जीवन मिल सके. -ओम प्रकाश आड़
कई युवाओं के आदर्श हैं ओम प्रकाश
वहीं, रक्तदान के क्षेत्र में कार्य कर रही इमेजिन लाइफ संस्था के अध्यक्ष कृष ठाकुर ने बताया कि, 'ओम प्रकाश आड़ कई युवाओं के आदर्श है, क्योंकि ओम प्रकाश से प्रेरणा लेकर आज मैंने रक्तदान के क्षेत्र में काम करना शुरू किया है. आज इमेजिन लाइफ संस्था में भी नए युवा जुड़ रहे हैं और जिला कुल्लू के अलावा मंडी, शिमला, चंडीगढ़ में भी अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर मरीज को रक्त मुहैया करवाया जा रहा है.'

रक्तदान से नहीं आती कोई कमजोरी
सीएमओ कुल्लू डॉक्टर नागराज पवार ने बताया कि, ' ओम प्रकाश आड़ रक्तदान करके अच्छा काम कर रहे हैं. कई जिंदगियों को इन्होंने बचाया है. हर स्वस्थ व्यक्ति तीन माह के बाद रक्तदान कर सकता है और 18 साल से 60 साल तक का कोई भी व्यक्ति आसानी से ब्लड डोनेट कर सकता है. साठ साल के बाद भी रक्दानदान किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए सेहत और स्वास्थ्य का अच्छा होना जरूरी है. रक्तदान करने से शरीर में कोई भी कमजोरी नहीं आती है. स्वास्थ्य विभाग भी समय-समय पर लोगों को रक्तदान के बारे में जागरूक करता है, ताकि मरीजों को रक्त की कमी से जूझना ना पड़े. वहीं, रक्तदान के समय स्वास्थ्य विभाग की ओर से रक्त का परीक्षण भी किया जाता है, ताकि अगर रक्त में किसी प्रकार की समस्या है तो रक्तदाता को समय पर सूचित किया जा सके.'
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