जोधपुर : बिहार के आनंद कुमार के सुपर 30 क्लासेज से बच्चों को आईआईटी तक पहुंचाने की कहानी से हर कोई वाकिफ है, लेकिन जोधपुर में भी एक ऐसा ही सुपर 30 संस्थान है, जहां पर समाज के गरीब, पिछड़े बच्चों को आईआईटी और आईआईटी संस्थानों में दाखिला दिला रहा है. यह संस्थान केंद्र सरकार के उपक्रम की फंडिंग से चलता है, जिसकी सफलता दर 95 प्रतिशत है. जेईई मेन में इस बार 30 के 30 विद्यार्थी सफल हुए हैं. मंगलवार को ऑयल इंडिया के ईडी संजय वर्मा और सीएसआर डीजीएम कृष्णा हाजिरका ने इन सभी को सम्मानित किया. इस मौके पर ऑयल इंडिया के अधिकारियों ने सभी अभ्यर्थियों को शुभकामनाएं दी.
195 बच्चों को आईआईटीयन बनाया : भारत सरकार के उपक्रम ऑयल इंडिया का सेंटर फॉर सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड लीडरशिप के माध्यम से ऑयल प्रज्ञान सुपर 30 के जरिए 11 साल में 195 बच्चों को आईआईटीयन बनाया जा चुका है. वहीं, 62 बच्चों को एनआईटी में और 36 को देश अन्य प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश दिलाया गया है. इस वर्ष भी जेईई मेन में शत प्रतिशत छात्रों ने सफलता प्राप्त की है. सबसे अच्छा प्रदर्शन 99.56 प्रतिशत के साथ EWS कैटेगरी में अर्णव गर्ग का रहा.
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कम संसाधनों से कैसे मिलती है सफलता : अलवर के भिवाड़ी के रहने वाले अर्नव गर्ग के पिता एक छोटी कंपनी में नौकरी करते हैं. प्रतिदिन 12 घंटे की नौकरी होती है. गत वर्ष मेन दिया तो सफलता नहीं मिली. अर्नव ने बताया कि उसके पिता उसे महंगी कोचिंग नहीं करवा सकते, छोटी बहन की भी पढ़ाई है. ऑयल इंडिया का पता चला तो एग्जाम देकर प्रवेश लिया. इस बार 99.56 प्रतिशत अंक के साथ ईडब्लयूएस वर्ग में 794वीं रैंक मिली है. अर्नव का कहना है कि उसे आईआईटी मिल जाएगी.
राजसमंद के मानव की कहानी : राजसमंद के गीलुंड गांव के रहने वाले मानव रैगर के पिता गांव में निजी स्कूल में काम करते हैं. मानव ने बताया कि उसने तय कर लिया था कि वह हालात सुधारेगा. 12वीं पास करने के बाद महंगी कोचिंग का खर्च परिवार नहीं उठा सकता था. इस दौरान जवाहर नवोदय में ऑयल इंडिया का टेस्ट हुआ. जोधपुर में 11 माह रखा गया, पूरी मेहनत करवाई और इसी के बदौलत मानव ने बताया कि उसकी आरक्षित वर्ग में 612वीं रैंक है.

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कोटा के प्रियांशु की 977वीं रैंक : प्रियांशु मीणा कोटा के डायरा कस्बे के रहने वाले किसान परिवार से आते हैं. परिवार समृद्ध नहीं है. जवाहर नवोदय विद्यालय में चयन होने से 12वीं तक पढ़ाई हो गई, लेकिन आगे कोटा में कोचिंग के लिए रुपए नहीं थे. इसके बाद ऑयल प्रज्ञान के लिए टेस्ट क्लियर किया तो जोधपुर में तैयारी का मौका मिला. प्रियांशु का कहना है कि अगर हमें सपना सच करना है तो डट कर मेहनत करनी होगी. इसके चलते ही उसे 977 वीं रैंक जेईई मेन में मिली है.
उदयपुर के वैदिक की कहानी : उदयपुर जिले के रहने वाले वैदिक चौहान के पिता दुकान में काम करते हैं. इन पैसों से परिवार का खर्च ही मुश्किल से चलता था. 12वीं के बाद बड़े संस्थान से इंजीनियरिंग करने की ठानी, लेकिन संसाधनों का अभाव था. प्रज्ञान ऑयल 30 में प्रवेश मिला तो सफलता मिली. वैदिक को आरक्षित वर्ग में 803वीं रैंक मिली है. वैदिक का कहना है कि उसका ध्येय ड्रिम, क्रिएट और इंस्पायर वाक्य है. इस पर चलते हुए ही सफलता हासिल की है. वैदिक का कहना है कि बच्चों को इसी पाथ को अपनाना चाहिए.
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4 लाख से कम आय वाले परिवार के बच्चे : ऑयल इंडिया के इस उपक्रम के तहत राजस्थान के ऐसे परिवार, जिनकी सालाना आय 4 लाख रुपए से कम है, उनके होनहार बच्चों का चयन किया जाता है. प्रोजेक्ट मैनेजर राहुल अग्रवाल ने बताया कि जवाहर नवोदय विद्यालय में एंट्रेंस टेस्ट के माध्यम से अभ्यर्थियों का चयन किया जाता है. सुपर 30 के लिए चयनित 30 बच्चों को जोधपुर में रखा जाता है. उनकी पढ़ाई व हॉस्टल के साथ सारा खर्च ऑयल इंडिया कंपनी उठाती है.