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हिमाचल में 3 पुश्तों से वन भूमि पर कब्जा होगा नियमित, 50 बीघा तक जमीन का मिलेगा मालिकाना हक - HP OWNERSHIP RIGHTS ON FOREST LAND

हिमाचल प्रदेश में सरकार अब वन भूमि पर कब्जे को नियमित करने जा रही है. राजस्व मंत्री ने बताया इसमें क्या नियम और शर्तें रहेंगी.

Occupation of forest land will be regularized in Himachal
हिमाचल में वन भूमि पर कब्जे नियमित किए जाएंगे (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : March 21, 2025 at 6:57 AM IST

4 Min Read

शिमला: हिमाचल में वन भूमि पर जीवन निर्वाह करने वाले लोगों के लिए राहत भरी खबर है. प्रदेश सरकार वन भूमि पर 13 दिसंबर 2005 से पहले तीन पुश्तों तक के कब्जे को नियमित करने जा रही है. इसके तहत दावेदारों के वन भूमि पर 50 बीघा तक कब्जे को नियमित किए जाएगा. राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने ये जानकारी गुरुवार को विधानसभा में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दी.

"वन अधिकार अधिनियम 2006 के प्रावधानों में लोगों को 50 बीघा तक मालिकाना हक मिलेगा. जिसके लिए वन भूमि में कब्जे नियमित करने के लिए लोगों को फार्म भर कर आवेदन करना होगा. इसके लिए दो लोगों की गवाही सहित ग्राम सभा का अनुमोदन आवश्यक रहेगा. इस अधिनियम में दावा करने वालों को फार्म भरना होगा. जिसमें पत्नी का नाम भी जरूरी होगा, जो ऐसी भूमि पर बराबर की हिस्सेदार होगी." - जगत सिंह नेगी, राजस्व मंत्री

हिमाचल में वन भूमि पर कब्जे नियमित किए जाएंगे (ETV Bharat)

आवेदन के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट

राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि अगर आवेदनकर्ता अनुसूचित जाति या जनजाति वर्ग से संबंधित है तो इसके लिए ऐसे लोगों को आवेदन के साथ प्रमाण पत्र भी लगाना होगा. इसी तरह से अगर आवेदनकर्ता सामान्य वर्ग से तालुक रखता है तो उन्हें गांव के निवासी होने के पहचान पत्र, वोटर आई कार्ड या आधार कार्ड की कॉपी आवेदन के साथ लगानी होगी. इसके साथ ही वन भूमि पर 13 दिसंबर 2005 से पहले के तीन पुश्तों के कब्जे को सत्यापित करने के लिए साक्ष्य के तौर पर दो बुजुर्गों के बयान भी जरूरी हैं. जो दावेदारों के कब्जे की पुष्टि करेंगे.

ये होंगे नियम और शर्तें

  • राजस्व मंत्री ने कहा कि जिस भूमि पर दावेदार अपना दावा जता रहे हैं, उसके लिए उन्हें राजस्व रिकॉर्ड पेश करना होगा.
  • अगर राजस्व रिकॉर्ड नहीं होगा तो दावेदार नक्शा नजरी बनाकर भूमि की लंबाई और चौड़ाई की जानकारी खुद दे सकते हैं.
  • आवेदन को पंचायत की ग्राम सभा से वन अधिकार समिति (एफआरटी) के माध्यम से अनुमोदित किया जाएगा.
  • समिति में अधिकतम 15 लोग हो सकते हैं. इसमें एक तिहाई महिलाएं भी होनी चाहिए. जिसमें एक अध्यक्ष होगा और एक सचिव होगा.
  • यह कमेटी मौके पर जा कर दावों को लेकर रिपोर्ट बनाएगी.
  • कमेटी लिखित सूचना पटवारी और गार्ड को देगी, और इन्हें अनिवार्य तौर पर कमेटी के साथ मौके पर जाना होगा.
  • बिना सूचना दिए अगर नहीं जाते तो 1000 रुपये जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है.
  • एफआरटी को अधिकार नहीं कि दावे को स्वीकृति दें, इनका काम सिर्फ मौके पर जाकर सत्यापन करने का है.
  • संबंधित जमीन पर पेड़, खेत, मकान या चरागाह होने की जानकारी कमेटी अपनी टिप्पणी में लिखेगी.

ग्रामसभा में जाएगा मामला

राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया कि मालिकाना हक के लिए हर आवेदन को सत्यापित करने के बाद कमेटी पंचायत सचिव के जरिए विशेष ग्रामसभा को भेजेगी. जहां पर 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यस्क वोट कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि सामान्य ग्राम सभा में 18 साल से अधिक आयु का सिर्फ एक व्यक्ति ही वोटर होता है, लेकिन विशेष ग्राम सभा में परिवार के सभी व्यस्क वोट दे सकेंगे. ग्रामसभा में 50 फीसदी लोग की और से आवेदनकर्ता के दावे का अनुमोदन करने पर ही मालिकाना हक दिया जाएगा.

ये समिति देगी मालिकाना हक की स्वीकृति

जगत सिंह नेगी ने कहा कि मामलों के सत्यापन के लिए भी नियम और शर्तें तय हैं. उन्होंने कहा कि ग्राम सभा अनुमोदित होने के बाद मामलों को सत्यापन के लिए उपमंडल स्तरीय समिति को भेजा जाएगा. यहां पर मामलों को सत्यापन के बाद जिला स्तरीय समिति को भेजा जाएगा. जहां पर डीसी की अध्यक्षता वाली समिति दावों का निपटारा और दस्तावेजीकरण कर स्वीकृति देगी. जिसके बाद ही दावेदार को भूमि का पट्टा देकर मालिकाना हक दिया जाएगा.

"ऐसा करने का मकसद अतिक्रमण को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि जीवन निर्वाह की भूमि पर मालिकाना हक देना है. इसके लिए लोगों को जागरूक करने के लिए जिला और उपमंडल स्तर पर कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएगी." - जगत सिंह नेगी, राजस्व मंत्री

ये भी पढ़ें: बिना समय सीमा आवंटित परियोजनाओं की वापसी के लिए लेंगे कानूनी राय: सीएम सुक्खू

शिमला: हिमाचल में वन भूमि पर जीवन निर्वाह करने वाले लोगों के लिए राहत भरी खबर है. प्रदेश सरकार वन भूमि पर 13 दिसंबर 2005 से पहले तीन पुश्तों तक के कब्जे को नियमित करने जा रही है. इसके तहत दावेदारों के वन भूमि पर 50 बीघा तक कब्जे को नियमित किए जाएगा. राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने ये जानकारी गुरुवार को विधानसभा में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दी.

"वन अधिकार अधिनियम 2006 के प्रावधानों में लोगों को 50 बीघा तक मालिकाना हक मिलेगा. जिसके लिए वन भूमि में कब्जे नियमित करने के लिए लोगों को फार्म भर कर आवेदन करना होगा. इसके लिए दो लोगों की गवाही सहित ग्राम सभा का अनुमोदन आवश्यक रहेगा. इस अधिनियम में दावा करने वालों को फार्म भरना होगा. जिसमें पत्नी का नाम भी जरूरी होगा, जो ऐसी भूमि पर बराबर की हिस्सेदार होगी." - जगत सिंह नेगी, राजस्व मंत्री

हिमाचल में वन भूमि पर कब्जे नियमित किए जाएंगे (ETV Bharat)

आवेदन के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट

राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि अगर आवेदनकर्ता अनुसूचित जाति या जनजाति वर्ग से संबंधित है तो इसके लिए ऐसे लोगों को आवेदन के साथ प्रमाण पत्र भी लगाना होगा. इसी तरह से अगर आवेदनकर्ता सामान्य वर्ग से तालुक रखता है तो उन्हें गांव के निवासी होने के पहचान पत्र, वोटर आई कार्ड या आधार कार्ड की कॉपी आवेदन के साथ लगानी होगी. इसके साथ ही वन भूमि पर 13 दिसंबर 2005 से पहले के तीन पुश्तों के कब्जे को सत्यापित करने के लिए साक्ष्य के तौर पर दो बुजुर्गों के बयान भी जरूरी हैं. जो दावेदारों के कब्जे की पुष्टि करेंगे.

ये होंगे नियम और शर्तें

  • राजस्व मंत्री ने कहा कि जिस भूमि पर दावेदार अपना दावा जता रहे हैं, उसके लिए उन्हें राजस्व रिकॉर्ड पेश करना होगा.
  • अगर राजस्व रिकॉर्ड नहीं होगा तो दावेदार नक्शा नजरी बनाकर भूमि की लंबाई और चौड़ाई की जानकारी खुद दे सकते हैं.
  • आवेदन को पंचायत की ग्राम सभा से वन अधिकार समिति (एफआरटी) के माध्यम से अनुमोदित किया जाएगा.
  • समिति में अधिकतम 15 लोग हो सकते हैं. इसमें एक तिहाई महिलाएं भी होनी चाहिए. जिसमें एक अध्यक्ष होगा और एक सचिव होगा.
  • यह कमेटी मौके पर जा कर दावों को लेकर रिपोर्ट बनाएगी.
  • कमेटी लिखित सूचना पटवारी और गार्ड को देगी, और इन्हें अनिवार्य तौर पर कमेटी के साथ मौके पर जाना होगा.
  • बिना सूचना दिए अगर नहीं जाते तो 1000 रुपये जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है.
  • एफआरटी को अधिकार नहीं कि दावे को स्वीकृति दें, इनका काम सिर्फ मौके पर जाकर सत्यापन करने का है.
  • संबंधित जमीन पर पेड़, खेत, मकान या चरागाह होने की जानकारी कमेटी अपनी टिप्पणी में लिखेगी.

ग्रामसभा में जाएगा मामला

राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया कि मालिकाना हक के लिए हर आवेदन को सत्यापित करने के बाद कमेटी पंचायत सचिव के जरिए विशेष ग्रामसभा को भेजेगी. जहां पर 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यस्क वोट कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि सामान्य ग्राम सभा में 18 साल से अधिक आयु का सिर्फ एक व्यक्ति ही वोटर होता है, लेकिन विशेष ग्राम सभा में परिवार के सभी व्यस्क वोट दे सकेंगे. ग्रामसभा में 50 फीसदी लोग की और से आवेदनकर्ता के दावे का अनुमोदन करने पर ही मालिकाना हक दिया जाएगा.

ये समिति देगी मालिकाना हक की स्वीकृति

जगत सिंह नेगी ने कहा कि मामलों के सत्यापन के लिए भी नियम और शर्तें तय हैं. उन्होंने कहा कि ग्राम सभा अनुमोदित होने के बाद मामलों को सत्यापन के लिए उपमंडल स्तरीय समिति को भेजा जाएगा. यहां पर मामलों को सत्यापन के बाद जिला स्तरीय समिति को भेजा जाएगा. जहां पर डीसी की अध्यक्षता वाली समिति दावों का निपटारा और दस्तावेजीकरण कर स्वीकृति देगी. जिसके बाद ही दावेदार को भूमि का पट्टा देकर मालिकाना हक दिया जाएगा.

"ऐसा करने का मकसद अतिक्रमण को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि जीवन निर्वाह की भूमि पर मालिकाना हक देना है. इसके लिए लोगों को जागरूक करने के लिए जिला और उपमंडल स्तर पर कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएगी." - जगत सिंह नेगी, राजस्व मंत्री

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