रायपुर: छत्तीसगढ़ में बस्तर के विकास को लेकर एक नई परिकल्पना रख दी गई है. 6 जून 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की मुलाकात के बाद जिन ऐतिहासिक परियोजनाओं पर मुहर लगाने की बात की चर्चा शुरू हुई है. अगर वह धरातल पर उतरती है तो निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ और बस्तर डिवीजन के विकास में चार चांद लग जाएगा.
बोधघाट बांध परियोजना: छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा विकास का काम बस्तर डिवीजन में हो रहा है. बस्तर डिवीजन में जिन योजनाओं को लेकर चर्चा शुरू हुई है. अगर वह जमीन पर उतरती है तो निश्चित तौर पर बस्तर का डबल विकास होगा. नक्सलियों पर नकेल लगाने में जुटी सरकार अब विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए काम करने में जुट गई है. बहुउद्देशीय बोध घाट बांध परियोजना बस्तर संभाग के सिंचाई संसाधनों के दायरे को बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगा.
बोधघाट परियोजना के फायदे: इस परियोजना से 125 मेगावाट का विद्युत उत्पादन होगा. जबकि 4824 टन मछली का उत्पादन इस क्षेत्र से होगा. जिससे तकरीबन 2000 से ज्यादा रोजगार पैदा होंगे. खरीफ एवं रबी की फसल को मिलाकर के 3,78,475 हेक्टेयर की सिंचाई का विस्तार होगा. इसके साथ ही 49 मैट्रिक घन मीटर पेयजल की सुविधा भी सुनिश्चित होगी. इसको लेकर के प्रधानमंत्री से सीएम साय की विस्तार से चर्चा हुई है. यह परियोजना अगर धरातल पर उतरती है तो निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ और बस्तर के विकास के लिए बहुत बड़ी बात कही जा सकती है.
29 हजार करोड़ की है योजना: बोध घाट बांध परियोजना 29000 करोड़ के लागत से तैयार होनी है. जिसमें हाइड्रो पावर इलेक्ट्रो मैकेनिकल कार्य के साथ ही सिविल सिंचाई शामिल है. इस परियोजना में जल भराव क्षमता 2009 मैट्रिक घन मीटर होगा. कुल भराव क्षमता 2727 मैट्रिक घन मीटर होगा. पूर्ण जल भराव स्तर पर सात का क्षेत्रफल 10440 हैकटेयर वर्तमान समय में प्रस्तावित है.
बोधघाट परियोजना को लेकर क्या है प्रस्ताव ?: बोधघाट बांध परियोजना गोदावरी नदी की बड़ी सहायक इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित है . राज्य में इंद्रावती नदी का कुल 264 किलोमीटर प्रवाह क्षेत्र होता है. इस परियोजना को दंतेवाड़ा जिले के विकासखंड एवं तहसील गीदम के ग्राम बारसूर में होगा. बोधघाट परियोजना गीदम और बारसूर और वहां से लगभग 8 किलोमीटर एवं जगदलपुर शहर से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर प्रस्तावित है.
इंद्रावती नदी पर बनेगा प्रोजेक्ट: बोधघाट बहुउद्देशीय बांध परियोजना का निर्माण लंबे समय से इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित है. इंद्रावती नदी गोदावरी नदी की बड़ी सहायक नदी है और गोदावरी जल विवाद अभिकरण के वर्ष 1990 के अवार्ड में भी अन्य योजनाओं के साथ ही इस योजना का भी उल्लेख है. इसके क्रियान्वयन से दूसरे राज्यों द्वारा किया जा रहा विकास का कार्य छत्तीसगढ़ में भी तेजी से होगा और इससे किसानों को फायदा होगा.
नक्सल समस्या ने रोक रखा था कार्य: बोधघाट बांध परियोजना को नक्सल समस्या की परेशानी के कारण नहीं लागू किया जा सका. नक्सल प्रभावित इलाके में होने के कारण यहां पर काम शुरू करना एक मुश्किल कार्य था. बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिले के करीब 269 गांव को लाभ पहुंचाएगी. इस योजना के लागू होने से एक तरफ जहां रोजगार के अवसर बढ़ेंगे वहीं नक्सल समस्या से निपटने में भी बड़ी सहायता मिलेगी.
प्रोजेक्ट टू, इंद्रावती महानदी लिंक योजना: बस्तर से नक्सल समस्या जैसे जैसे खत्म हो रही है. बस्तर के विकास के लिए नई परियोजनाओं पर काम होना शुरू हो गया है. बस्तर में लंबे समय से नक्सलियों का प्रभाव होने के कारण इस संभाग में सिंचाई संसाधन का विकास नहीं हो सका. सरकार भी इस बात को मानती है कि नक्सल समस्या के कारण सिंचाई संसाधनों का जितना विकास बस्तर के क्षेत्र में होना चाहिए था उतना नहीं हो पाया .बस्तर संभाग में सिंचाई संसाधनों की समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार ने कई परियोजनाओं को तैयार किया है. जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार बहुउद्देशीय इंद्रावती महानदी लिंक परियोजना पर भी काम कर रही है.
20 हजार करोड़ की है योजना: इंद्रावती महानदी लिंक परियोजना की लागत लगभग 20000 करोड] रुपये रखी गई है. इंद्रावती महानदी इंटरलॉकिंग परियोजना से कांकेर जिले की लगभग 50000 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी. इसके साथ ही 300 हेक्टेयर से अधिक भूमि में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी. बस्तर डिवीजन के विकास के लिए और सिंचाई की दिशा में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में इंद्रावती महानदी इंटरलॉकिंग परियोजना काफी महत्वपूर्ण साबित होगी.
"विकास पर हर सहयोग का वादा मिला": छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव राय ने कहा कि जिन परियोजनाओं को हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रखा था. उन परियोजनाओं पर उन्होंने अपनी सहमति दी है. उन्होंने कहा इसको लेकर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के विकास के लिए जिस भी तरह की योजना की जरूरत होगी. उसे केंद्र सरकार पूरा करेगी. यह भरोसा केंद्र सरकार द्वारा दिया गया है. नक्सल समस्या के खत्म होने के बाद अब बस्तर के विकास को लेकर के बड़ी रणनीति तैयार की जा रही है. जिससे बस्तर के विकास के बाद छत्तीसगढ़ को विकास के नए मॉडल के तौर पर हम खड़ा कर सकेंगे. बस्तर के विकास के साथ छत्तीसगढ़ का विकास जुड़ा हुआ है और अब सरकार की यह प्राथमिकता है कि बस्तर को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जाए.