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एनटीपीसी अस्पताल प्रबंधन भविष्य में मौलिक अधिकार के उल्लंघन का काम नहीं करे: उपभोक्त फोरम - INSTRUCTIONS TO NTPC MANAGEMENT

उपभोक्ता फोरम ने एनटीपीसी अस्पताल को पाया भेदभाव का दोषी, कहा 'मरीजों के संवैधानिक अधिकार का हनन स्वीकार नहीं'

Instructions to NTPC management
उपभोक्त फोरम (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : April 18, 2025 at 3:21 PM IST

Updated : April 18, 2025 at 3:48 PM IST

5 Min Read

कोरबा: जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने एक प्रकरण में सुनवाई करते हुए एक तल्ख आदेश पारित किया है. 17 अप्रेल, 2025 को पारित अपने आदेश में आयोग ने कहा है कि, ''एनटीपीसी अस्पताल प्रबंधन को निर्देशित किया जाता है कि वे भविष्य में संविधान में आम नागरिक को अनुच्छेद 14 एवं 21 में प्रदत्त समानता एवं त्वरित उपचार के मौलिक अधिकार के उल्लंघन में कोई कार्य न करें. मरीजों के उपचार के संबंध में किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए.'' अस्पताल को मरीज से भेदभाव करने का दोषी मानते हुए फोरम ने अस्पताल प्रबंधन को जुर्माना लगाने के साथ ही कड़ी चेतावनी दी है.

ये है पूरा मामला: एनटीपीसी, जमनीपाली निवासी मोहम्मद सादिक शेख द्वारा एनटीपीसी, कोरबा के शल्य चिकित्सक धमेन्द्र प्रसाद और सीएमओ डा. विनोद काल्हटकर के विरूद्ध इलाज में भेदभाव करने संबंधी प्रकरण अपने अधिवक्ता अब्दुल नफीस खान के माध्यम से जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में प्रकरण प्रस्तुत किया गया था.

चिकित्सक धर्मेंद्र प्रसाद को दिखाया: इस प्रकरण में बताया गया था कि 2 अगस्त, 2024 को सादिक को घर की छत पर कार्य करने के दौर फिसलकर गिर जाने से बायें पसली में चोट आ गई थी. जिसके इलाज के लिए शाम को एनटीपीसी, कोरबा के विभागीय अस्पताल में शल्य चिकित्सक धमेन्द्र प्रसाद को दिखाया गया था.

एनटीपीसी कर्मचारी: डॉक्टर ने एनटीपीसी कर्मचारियों को प्राथमिकता दी और सादिक को काफी देर तक बिठाए रखा, काफी देर बाद सादिक को बुलाया और दवा लिखते हुए एक्सरे के लिए कहा, लेकिन देर हो जाने के कारण एक्सरे कक्ष बंद हो चुका था.

इलाज पहले किया जाए: डॉक्टर ने अगले दिन आकर एक्सरे कराने को कहा. 3 अगस्त, 2024 को मोहम्मद सादिक शेख ने एक्सरे का शुल्क जमा कर एक्सरे करवाया और इसकी रिपोर्ट दिखाने डॉ. धमेन्द्र प्रसाद के पास गए, तब कतार में लगे सादिक का दूसरा क्रम था. लेकिन इस बीच एक के बाद एक एनटीपीसी कर्मचारी इलाज के लिए आने लगे और डॉ. धमेन्द्र प्रसाद द्वारा उन्हें देखा जाने लगा. इस पर सादिक द्वारा आपत्ति जताई गई और कहा गया कि उनका दूसरा नम्बर था, और उनके नम्बर लगाने के बाद चार एनटीपीसी कर्मचारी को देखा गया. डॉ. धमेन्द्र प्रसाद ने कहा कि यह उनका प्रोटोकॉल है कि एनटीपीसी के कर्मचारी और उनके परिवार का इलाज पहले किया जाएगा.

डॉक्टर पर गलत व्यवहार का आरोप: सादिक ने प्रोटोकॉल का लिखित आदेश दिखाने की बात कही. इस पर डॉ. धमेन्द्र प्रसाद भड़क गए और दुर्व्यवहार करते हुए सीएमओ से बात करने कहा. सीएमओ डॉ. विनोद काल्हटकर ने भी कहा कि अस्पताल का प्रोटोकाल है, कि एनटीपीसी कर्मचारी को इलाज में प्राथमिकता दी जाएगी.

दर्री थाने में शिकायत: सीएमओ से भी प्रोटोकॉल का कोई आदेश है तो दिखाने कहा गया तो उन्होंने भी परिवादी के साथ उचित व्यवहार नहीं किया. सादिक ने मामले की शिकायत पहले दर्री थाने में की. थाने से एक माह बाद लिखित में, 'प्रकरण हस्तक्षेप योग्य नहीं है', का जवाब दिया गया. इसके बाद प्रकरण जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में प्रस्तुत किया गया.

आयोग द्वारा पारित आदेश में इन बातों का उल्लेख: अधिवक्ता अब्दुल नफीस खान ने बताया कि इस प्रकरण में आयोग ने काफी तल्ख और स्पष्ट आदेश दिया है. जिसमें उन्होंने एनटीपीसी प्रबंधन के अस्पताल को कहा है कि वह अपने अस्पताल में नीतियों एवं प्रक्रियाओं को स्वास्थ्य सेवा में स्थापित नैतिक एवं कानूनी मानकों के अनुरूप तैयार करें.

हॉस्पिटल मैनेजमेंट: अस्पताल प्रबंधन द्वारा इस प्रकरण में सेवा में कमी एवं व्यवसायिक कदाचरण का कृत्य किया जाना प्रमाणित पाया जाता है. अस्पताल प्रबंधन द्वारा किया गया कृत्य असंवैधानिक और सेवा में कमी का घोर कदाचरण के श्रेणी में आता है.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी: सुनवाई के दौरान एनटीपीसी अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं डॉ. धमेन्द्र द्वारा आयोग को बताया गया था कि अस्पताल के प्रोटोकॉल के तहत एनटीपीसी कर्मचारियों एवं उनके परिवार के सदस्यों को इलाज में प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन एनटीपीसी अस्पताल प्रबंधन द्वारा प्रोटोकॉल का कोई लिखित साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया जा सका. हमने मजबूती के साथ आयोग के समक्ष पैरवी की और प्रकरण को परिणाम तक पहुंचाया.

उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग: प्रकरण में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की अध्यक्ष रंजना दत्ता एवं सदस्य पंकज कुमार देवड़ा की बेंच द्वारा सुनवाई करते हुए अंतिम आदेश पारित किया गया है. अस्पताल प्रबंधन को चेतावनी दी गई है कि भविष्य में किसी भी आम नागरिक के संवैधानिक अधिकारों को हनन नहीं होना चाहिए. संविधान में सभी नागरिकों को एक समान स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है. सभी को बिना भेदभाव, एक समान रूप से स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ दिया जाना चाहिए.

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कोरबा: जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने एक प्रकरण में सुनवाई करते हुए एक तल्ख आदेश पारित किया है. 17 अप्रेल, 2025 को पारित अपने आदेश में आयोग ने कहा है कि, ''एनटीपीसी अस्पताल प्रबंधन को निर्देशित किया जाता है कि वे भविष्य में संविधान में आम नागरिक को अनुच्छेद 14 एवं 21 में प्रदत्त समानता एवं त्वरित उपचार के मौलिक अधिकार के उल्लंघन में कोई कार्य न करें. मरीजों के उपचार के संबंध में किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए.'' अस्पताल को मरीज से भेदभाव करने का दोषी मानते हुए फोरम ने अस्पताल प्रबंधन को जुर्माना लगाने के साथ ही कड़ी चेतावनी दी है.

ये है पूरा मामला: एनटीपीसी, जमनीपाली निवासी मोहम्मद सादिक शेख द्वारा एनटीपीसी, कोरबा के शल्य चिकित्सक धमेन्द्र प्रसाद और सीएमओ डा. विनोद काल्हटकर के विरूद्ध इलाज में भेदभाव करने संबंधी प्रकरण अपने अधिवक्ता अब्दुल नफीस खान के माध्यम से जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में प्रकरण प्रस्तुत किया गया था.

चिकित्सक धर्मेंद्र प्रसाद को दिखाया: इस प्रकरण में बताया गया था कि 2 अगस्त, 2024 को सादिक को घर की छत पर कार्य करने के दौर फिसलकर गिर जाने से बायें पसली में चोट आ गई थी. जिसके इलाज के लिए शाम को एनटीपीसी, कोरबा के विभागीय अस्पताल में शल्य चिकित्सक धमेन्द्र प्रसाद को दिखाया गया था.

एनटीपीसी कर्मचारी: डॉक्टर ने एनटीपीसी कर्मचारियों को प्राथमिकता दी और सादिक को काफी देर तक बिठाए रखा, काफी देर बाद सादिक को बुलाया और दवा लिखते हुए एक्सरे के लिए कहा, लेकिन देर हो जाने के कारण एक्सरे कक्ष बंद हो चुका था.

इलाज पहले किया जाए: डॉक्टर ने अगले दिन आकर एक्सरे कराने को कहा. 3 अगस्त, 2024 को मोहम्मद सादिक शेख ने एक्सरे का शुल्क जमा कर एक्सरे करवाया और इसकी रिपोर्ट दिखाने डॉ. धमेन्द्र प्रसाद के पास गए, तब कतार में लगे सादिक का दूसरा क्रम था. लेकिन इस बीच एक के बाद एक एनटीपीसी कर्मचारी इलाज के लिए आने लगे और डॉ. धमेन्द्र प्रसाद द्वारा उन्हें देखा जाने लगा. इस पर सादिक द्वारा आपत्ति जताई गई और कहा गया कि उनका दूसरा नम्बर था, और उनके नम्बर लगाने के बाद चार एनटीपीसी कर्मचारी को देखा गया. डॉ. धमेन्द्र प्रसाद ने कहा कि यह उनका प्रोटोकॉल है कि एनटीपीसी के कर्मचारी और उनके परिवार का इलाज पहले किया जाएगा.

डॉक्टर पर गलत व्यवहार का आरोप: सादिक ने प्रोटोकॉल का लिखित आदेश दिखाने की बात कही. इस पर डॉ. धमेन्द्र प्रसाद भड़क गए और दुर्व्यवहार करते हुए सीएमओ से बात करने कहा. सीएमओ डॉ. विनोद काल्हटकर ने भी कहा कि अस्पताल का प्रोटोकाल है, कि एनटीपीसी कर्मचारी को इलाज में प्राथमिकता दी जाएगी.

दर्री थाने में शिकायत: सीएमओ से भी प्रोटोकॉल का कोई आदेश है तो दिखाने कहा गया तो उन्होंने भी परिवादी के साथ उचित व्यवहार नहीं किया. सादिक ने मामले की शिकायत पहले दर्री थाने में की. थाने से एक माह बाद लिखित में, 'प्रकरण हस्तक्षेप योग्य नहीं है', का जवाब दिया गया. इसके बाद प्रकरण जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में प्रस्तुत किया गया.

आयोग द्वारा पारित आदेश में इन बातों का उल्लेख: अधिवक्ता अब्दुल नफीस खान ने बताया कि इस प्रकरण में आयोग ने काफी तल्ख और स्पष्ट आदेश दिया है. जिसमें उन्होंने एनटीपीसी प्रबंधन के अस्पताल को कहा है कि वह अपने अस्पताल में नीतियों एवं प्रक्रियाओं को स्वास्थ्य सेवा में स्थापित नैतिक एवं कानूनी मानकों के अनुरूप तैयार करें.

हॉस्पिटल मैनेजमेंट: अस्पताल प्रबंधन द्वारा इस प्रकरण में सेवा में कमी एवं व्यवसायिक कदाचरण का कृत्य किया जाना प्रमाणित पाया जाता है. अस्पताल प्रबंधन द्वारा किया गया कृत्य असंवैधानिक और सेवा में कमी का घोर कदाचरण के श्रेणी में आता है.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी: सुनवाई के दौरान एनटीपीसी अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं डॉ. धमेन्द्र द्वारा आयोग को बताया गया था कि अस्पताल के प्रोटोकॉल के तहत एनटीपीसी कर्मचारियों एवं उनके परिवार के सदस्यों को इलाज में प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन एनटीपीसी अस्पताल प्रबंधन द्वारा प्रोटोकॉल का कोई लिखित साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया जा सका. हमने मजबूती के साथ आयोग के समक्ष पैरवी की और प्रकरण को परिणाम तक पहुंचाया.

उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग: प्रकरण में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की अध्यक्ष रंजना दत्ता एवं सदस्य पंकज कुमार देवड़ा की बेंच द्वारा सुनवाई करते हुए अंतिम आदेश पारित किया गया है. अस्पताल प्रबंधन को चेतावनी दी गई है कि भविष्य में किसी भी आम नागरिक के संवैधानिक अधिकारों को हनन नहीं होना चाहिए. संविधान में सभी नागरिकों को एक समान स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है. सभी को बिना भेदभाव, एक समान रूप से स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ दिया जाना चाहिए.

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Last Updated : April 18, 2025 at 3:48 PM IST
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