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अब सिफारिश से नहीं रायशुमारी से बनेंगे जिला अध्यक्ष, जानिए गहलोत की गढ़ में क्या हो रहा है बदलाव

जोधपुर कांग्रेस में अब जिलाध्यक्ष की नियुक्ति कार्यकर्ताओं की राय से होगी. राहुल गांधी के निर्देश पर पर्यवेक्षक सुशांत मिश्रा ने चयन प्रक्रिया शुरू की.

एआईसीसी के संयुक्त सचिव सुशांत मिश्रा
जोधपुर पहुंचे पर्यवेक्षक (ETV Bharat Jodhpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : October 9, 2025 at 5:50 PM IST

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जोधपुर: शहर कांग्रेस में संगठन में नियुक्ति की प्रक्रिया अब पूरी तरह बदल गई है. दशकों से यह परंपरा रही कि जोधपुर शहर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष और कार्यकारिणी का फैसला अशोक गहलोत द्वारा तय किया जाता था, लेकिन इस बार राहुल गांधी के संगठन सृजन अभियान के तहत इसमें बड़ा बदलाव हुआ है, अब कार्यकर्ताओं की राय के आधार पर जिलाध्यक्ष का चयन किया जाएगा. इसके लिए पर्यवेक्षक कार्यकर्ताओं के बीच जाकर उनकी राय ले रहे हैं और जिलाध्यक्ष पद के लिए आवेदन भी स्वीकार कर रहे हैं.

एआईसीसी ने भेजे पर्यवेक्षक: इस प्रक्रिया के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (AICC) ने पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं. जोधपुर शहर के लिए एआईसीसी के संयुक्त सचिव सुशांत मिश्रा को पर्यवेक्षक बनाया गया है, जो 11 और 12 अक्टूबर को जोधपुर में कैंप करेंगे. इससे पहले वे एक बैठक कर चुके हैं, जिसमें सभी कार्यकर्ताओं को खुलकर अपनी राय देने का आह्वान किया गया था.

सुनिए क्या बोले नेता (ETV Bharat Jodhpur)

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दावेदारों में बढ़ी हलचल: जोधपुर शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए कई दावेदार सामने आ रहे हैं. दावेदार राजेश मेहता ने कहा कि यह अभियान राहुल गांधी के निर्देश पर शुरू हुआ है. पहले संगठन में बदलाव का कोई स्पष्ट समय नहीं होता था और लंबे समय तक अध्यक्ष पद पर वही लोग बने रहते थे, जिनके नाम का प्रस्ताव अशोक गहलोत भेजते थे,लेकिन अब यह प्रक्रिया पारदर्शी हो गई है। मेहता ने बताया कि उन्होंने सीधे पर्यवेक्षक के समक्ष दावेदारी पेश की है.

वहीं, वर्तमान अध्यक्ष सलीम खान ने भी कहा कि अब शीर्ष नेतृत्व के निर्देशानुसार पर्यवेक्षक को आवेदन दिए जा रहे हैं. सेवादल कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव राजेश सारस्वत ने कहा कि यह परंपरा पार्टी को मजबूत बनाएगी. संगठन सशक्त होगा तो कांग्रेस फिर से सरकार बना सकेगी.

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दशकों पुरानी परंपरा टूटी: 1970 से 1990 तक जोधपुर शहर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष हर दो-तीन साल में बदले जाते थे. इसी दौरान 1979 में अशोक गहलोत भी जिलाध्यक्ष बने थे. 1991 में भंवरलाल पंवार के निधन के बाद जुगल काबरा को अध्यक्ष बनाया गया, जो 2005 तक पद पर रहे. इसके बाद सईद अंसारी ने 2021 तक कमान संभाली. 2021 में संगठन का पुनर्गठन कर दो जिले बनाए गए और नरेश जोशी व सलीम खान को जिम्मेदारी दी गई. इस पूरी अवधि में अध्यक्ष पद पर नियुक्तियां गहलोत की मर्जी से होती रही हैं.

फीडबैक के आधार पर बनेगा नया अध्यक्ष: अब कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान के तहत नई नियुक्ति के लिए कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस बार फिर से एक ही जिलाध्यक्ष बनाया जाएगा. पर्यवेक्षक सुशांत मिश्रा ने साफ कहा है कि वर्तमान अध्यक्ष भी दावेदारी कर सकते हैं, लेकिन अंतिम निर्णय कार्यकर्ताओं की राय और फीडबैक के आधार पर लिया जाएगा. मिश्रा इस प्रक्रिया के तहत छह नामों का पैनल तैयार कर केंद्रीय नेतृत्व को भेजेंगे, जिनमें से एक नाम को जिलाध्यक्ष पद के लिए चुना जाएगा.

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