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फीस बढ़ोतरी पर एक्शन मोड में शिक्षा मंत्री, पूर्वी सिंहभूम के 78 प्राइवेट स्कूल को जारी किया नोटिस - PRIVATE SCHOOL FEE HIKE

पूर्वी सिंहभूम के 78 निजी स्कूलों को नोटिस जारी की गई है. सभी स्कूलों को 3 तक जवाब देने को कहा गया है.

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शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : April 2, 2025 at 11:51 AM IST

4 Min Read

पूर्वी सिंहभूम: झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के गृह जिला पूर्वी सिंहभूम में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के खिलाफ जिला शिक्षा विभाग ने तेवर कड़े कर लिए हैं. जिला शिक्षा पदाधिकारी व शिक्षा अधीक्षक ने 78 प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों को एक नोटिस जारी किया है, जिसमें उन लोगों से अलग-अलग बिंदुओं पर जवाब मांगा है.

कल तक जवाब सौंपने का निर्देश

जिला शिक्षा विभाग द्वारा एक पत्र जारी करते हुए कहा गया है कि झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 अध्याय-2 के नियम -75 (3) के अनुसार स्कूल भवन, संरचना या परिसर का उपयोग केवल शिक्षा के उद्देश्य के लिए किया जाएगा और स्कूल परिसर में शिविर लगाकर किताब या अन्य सामग्री (यूनिफॉर्म-जूते) की खरीद के लिए अभिभावक या छात्र-छात्राओं को बाध्य/ प्रेरित नहीं करने से संबंधित निर्देश है. इसके बावजूद स्कूल परिसर का उपयोग किताब बेचने के लिए किया जा रहा है.

जानकारी देते झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री (ETV BHARAT)

उक्त पत्र में यह भी बताया गया है कि अभिभावक या छात्रों को किताब खरीदने के लिए किसी खास दुकानदार के लिए बाध्य नहीं किया जाए, लेकिन अक्सर यह देखा जाता है कि स्कूल द्वारा निर्धारित विक्रेता के अलावा किसी अन्य विक्रेता के पास उक्त किताबें उपलब्ध नहीं होती है. जिला शिक्षा पद‌ाधिकारी मनोज कुमार व जिला शिक्षा अधीक्षक आशीष कुमार पांडेय ने स्कूल प्रबंधकों से 3 अप्रैल तक अपना जवाब सौंपने को कहा है. साथ ही यह चेतावनी भी दी है कि अगर स्कूल प्रबंधकों ने गलत जानकारी दी तो स्कूल का भौतिक सत्यापन किया जाएगा और गलत जानकारी देने पर स्कूल प्रबंधक पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

स्कूलों में व्यय से अधिक इनकम फिर भी बढ़ रही फीस

जिला शिक्षा विभाग की ओर से झारखंड निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली 2011 के नियम-12 (1) (ख) का उल्लेख किया गया है. जिसमें बताया गया है कि उक्त नियम में यह वर्णित है कि स्कूल को किसी व्यक्ति, व्यक्तियों के समूह या किन्हीं अन्य व्यक्तियों के लाभ के लिए नहीं चलाया जाएगा. लेकिन कुछ स्कूलों के ऑडिट रिपोर्ट की पड़ताल करने के बाद स्पष्ट हुआ है कि व्यय से अधिक आय होने के बाद भी प्रत्येक वर्ष फीस में वृद्धि की जा रही है.

जिला शिक्षा विभाग द्वारा भेजे गए पत्र में बताया गया है कि ऑडिट रिपोर्ट देखने के बाद यह प्रतीत हो रहा है कि स्कूल का संचालन लाभ अर्जित करने के लिए किया जा रहा है. जिला शिक्षा विभाग ने सभी स्कूल प्रबंधकों को पिछले तीन साल के ऑडिट रिपोर्ट की कॉपी सौंपने को भी कहा है.

स्कूल प्रबंधकों से मांगा गया तीन साल का रिकॉर्ड

इसके अलावा सभी स्कूल प्रबंधकों को यह भी कहा गया है कि झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 के नियम-7अ (1) (छ) में वर्णित है कि दो साल में अधिक से अधिक 10 फीसदी फीस की बढ़ोतरी की जा सकती है. यदि इससे अधिक बढ़ोतरी होती है तो उसके लिए समिति से अनुमोदन करवाना होगा.

हालांकि, जिला शिक्षा विभाग को यह शिकायत मिली है कि कई स्कूलों ने फीस के लिए तय गाइडलाइन का उल्लंघन किया है. यही कारण है कि प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों को तीन साल का रिकॉर्ड लिखित रूप में सबमिट करने को कहा गया है. साथ ही यह भी कहा गया है कि विद्यालय स्तरीय फीस निर्धारण समिति का कार्यकाल तीन वर्षों के लिए होता है, लेकिन कुछ स्कूल इस निर्देश का अनुपालन नहीं कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: अभिभावकों का खून चूस रहे हैं निजी स्कूल प्रबंधन, मंत्री बोले-ढाई लाख तक जुर्माना लगाने का है प्रावधान, पढ़ें रिपोर्ट

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कल तक जवाब सौंपने का निर्देश

जिला शिक्षा विभाग द्वारा एक पत्र जारी करते हुए कहा गया है कि झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 अध्याय-2 के नियम -75 (3) के अनुसार स्कूल भवन, संरचना या परिसर का उपयोग केवल शिक्षा के उद्देश्य के लिए किया जाएगा और स्कूल परिसर में शिविर लगाकर किताब या अन्य सामग्री (यूनिफॉर्म-जूते) की खरीद के लिए अभिभावक या छात्र-छात्राओं को बाध्य/ प्रेरित नहीं करने से संबंधित निर्देश है. इसके बावजूद स्कूल परिसर का उपयोग किताब बेचने के लिए किया जा रहा है.

जानकारी देते झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री (ETV BHARAT)

उक्त पत्र में यह भी बताया गया है कि अभिभावक या छात्रों को किताब खरीदने के लिए किसी खास दुकानदार के लिए बाध्य नहीं किया जाए, लेकिन अक्सर यह देखा जाता है कि स्कूल द्वारा निर्धारित विक्रेता के अलावा किसी अन्य विक्रेता के पास उक्त किताबें उपलब्ध नहीं होती है. जिला शिक्षा पद‌ाधिकारी मनोज कुमार व जिला शिक्षा अधीक्षक आशीष कुमार पांडेय ने स्कूल प्रबंधकों से 3 अप्रैल तक अपना जवाब सौंपने को कहा है. साथ ही यह चेतावनी भी दी है कि अगर स्कूल प्रबंधकों ने गलत जानकारी दी तो स्कूल का भौतिक सत्यापन किया जाएगा और गलत जानकारी देने पर स्कूल प्रबंधक पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

स्कूलों में व्यय से अधिक इनकम फिर भी बढ़ रही फीस

जिला शिक्षा विभाग की ओर से झारखंड निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली 2011 के नियम-12 (1) (ख) का उल्लेख किया गया है. जिसमें बताया गया है कि उक्त नियम में यह वर्णित है कि स्कूल को किसी व्यक्ति, व्यक्तियों के समूह या किन्हीं अन्य व्यक्तियों के लाभ के लिए नहीं चलाया जाएगा. लेकिन कुछ स्कूलों के ऑडिट रिपोर्ट की पड़ताल करने के बाद स्पष्ट हुआ है कि व्यय से अधिक आय होने के बाद भी प्रत्येक वर्ष फीस में वृद्धि की जा रही है.

जिला शिक्षा विभाग द्वारा भेजे गए पत्र में बताया गया है कि ऑडिट रिपोर्ट देखने के बाद यह प्रतीत हो रहा है कि स्कूल का संचालन लाभ अर्जित करने के लिए किया जा रहा है. जिला शिक्षा विभाग ने सभी स्कूल प्रबंधकों को पिछले तीन साल के ऑडिट रिपोर्ट की कॉपी सौंपने को भी कहा है.

स्कूल प्रबंधकों से मांगा गया तीन साल का रिकॉर्ड

इसके अलावा सभी स्कूल प्रबंधकों को यह भी कहा गया है कि झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 के नियम-7अ (1) (छ) में वर्णित है कि दो साल में अधिक से अधिक 10 फीसदी फीस की बढ़ोतरी की जा सकती है. यदि इससे अधिक बढ़ोतरी होती है तो उसके लिए समिति से अनुमोदन करवाना होगा.

हालांकि, जिला शिक्षा विभाग को यह शिकायत मिली है कि कई स्कूलों ने फीस के लिए तय गाइडलाइन का उल्लंघन किया है. यही कारण है कि प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों को तीन साल का रिकॉर्ड लिखित रूप में सबमिट करने को कहा गया है. साथ ही यह भी कहा गया है कि विद्यालय स्तरीय फीस निर्धारण समिति का कार्यकाल तीन वर्षों के लिए होता है, लेकिन कुछ स्कूल इस निर्देश का अनुपालन नहीं कर रहे हैं.

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