नई दिल्ली: देशभर में चर्चित रहने वाले जेएनयू के छात्रसंघ चुनाव में मंगलवार को नामांकन होना है. इसे लेकर जेएनयू के प्रमुख छात्र संगठनों ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा), स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई), डेमोक्रेटिक स्टूडेंट फेडरेशन (डीएसफ) और ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (एआईएसएफ) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के बीच उम्मीदवरों को लेकर मंथन जारी है. जेएनयू छात्रसंघ के मौजूदा अध्यक्ष धनंजय ने बताया कि अभी तक सिर्फ आइसा की ओर से अध्यक्ष पद पर पीएचडी पॉलिटिकल साइंस थर्ड ईयर के छात्र नीतीश का नाम लगभग फाइनल है. नीतीश बिहार के अररिया जिले के रहने वाले हैं. बाकी अभी गठबंधन को लेकर चारों दलों के बीच वार्ता चल रही है.
उन्होंने बताया कि नामांकन शुरू होने से पहले तक गंठबंधन को लेकर तस्वीर साफ हो सकती है. आइसा दिल्ली के अध्यक्ष अभिज्ञान ने बताया कि फिलहाल सभी चारों पदों अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पर नामांकन कराने की तैयारी है. जब गठबंधन फाइनल हो जाएगा और बाकी के तीनों पदों पर भी सहमति बन जाएगी तो नाम वापसी का विकल्प चुनेंगे. इसी तरह अन्य वामपंथी छात्र संगठनों एसएफआई, डीएसएफ और एआईएसएफ के द्वारा भी चारों पदों पर नामांकन कराने की तैयारी चल रही है.
सभी पदों पर नामांकन की तैयारी: गठबंधन फाइनल होने और आइसा को अध्यक्ष पद देने के बाद बाकी के तीनों पदों में से एक-एक पद को लेकर जब तीनों छात्र संगठनों में सहमित बन जाएगी तो नाम वापसी के बाद सभी चारों पदों पर वामपंथी दलों के प्रत्याशी फाइनल हो जाएंगे. इसी तरह एबीवीपी की भी सभी चारों पदों पर करीब आठ छात्र-छात्राओं के नामांकन कराने की तैयारी है.

चल रहा मंथन: एबीवीपी दिल्ली प्रांत के प्रांतसह मंत्री और जेएनयू के छात्र विकास पटेल ने बताया कि संगठन चारों पदों में से हर पद पर दो-दो नामांकन कराने की तैयारी है. इसके बाद फिर नाम वापसी कराकर प्रत्याशी फाइनल किए जाएंगे. दावेदारों की संख्या बहुत ज्यादा है, इसलिए प्रत्याशियों का चयन करने में समय लग रहा है. हम लोग इस पर मंथन कर रहे हैं. मजबूत प्रत्याशी देने पर अधिक जोर है. हर पद पर दो नामांकन कराने के पीछे यह रणनीति है कि अगर किसी एक का नामांकन रद्द होता है तो दूसरे को प्रत्याशी घोषित कर देंगे.

2015 से नहीं खुला खाता: बता दें कि, जेएनयू में 13 स्कूल और सेंटर के लिए 45 काउंसलर का भी चुनाव होता है. आइसा की ओर से करीब 15 काउंसलरों के पदों पर भी प्रत्याशी उतारने की तैयारी है. गौरतलब है कि जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में पिछले साल भी चारों पदों पर वामपंथी छात्र संगठनों ने जीत दर्ज की थी. जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में एबीवीपी का 2015 से खाता नहीं खुला है.
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